15वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग : जानिए कौन हैं NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ?

द लीडर। आज देश में 15वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है। यह वोटिंग शाम पांच बजे तक चलेगी। नया राष्ट्रपति चुनने के लिए राज्यों की विधानसभा और संसद भवन में मतदान हो रहा है। यह मतदान बैलेट पेपर से हो रहा है। वहीं राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।

राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज करीब 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक मतदान कर रहे हैं। 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। जिसके बाद पता चलेगा कि, देश का 15वां राष्ट्रपति कौन होगा। फिलहाल, 24 जुलाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं पीएम मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी ने द्रौपदी मुर्मू को वोट किया है।


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पीएम मोदी ने किया मतदान

राष्ट्रपति चुनाव के लिए सीएम योगी ने डाला वोट

अनुराग ठाकुर ने संसद भवन में डाला वोट

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने किया वोट

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी विधानसभा पहुंचकर अपना वोट डाला। आम आदमी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रही है। मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि, राष्ट्रपति चुनाव में मेरा वोट संविधान और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए। राष्ट्रपति किसी पार्टी विशेष के नहीं बल्कि पूरे देश के राष्ट्रपति होते है।

कौन हैं द्रौपदी मुर्मू ?

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 में ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय महिला राजनेत्री हैं। भारत के सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये उनको अपना प्रत्याशी घोषित किया हैं।

इसके पहले 2015 से 2021 तक वह झारखण्ड की राज्यपाल थीं। द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की गवर्नर रह चुकी हैं।

द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा और राजनीतिक करियर

द्रौपदी ने अपने गृह जिले से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ, जिससे उनके दो बेटे और एक बेटी हुई।

दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं। बच्चों और पति का साथ छूटना द्रौपदी मुर्मू के लिए कठिन दौर था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।

द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशी से भाजपा के साथ ही की। भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई। भाजपा ने मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002 कर वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं।

साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता। बाद में साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं। वह राज्य की पहली महिला गवर्नर बनीं।

कौन हैं यशवंत सिन्हा ?

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार पूर्व टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा है। यशवंत सिन्हा दो बार केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके हैं। पहली बार वह 990 में चंद्रशेखर की सरकार में और फिर अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार में वित्त मंत्री थे। वह वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री भी रहे।

पटना में 6 नवंबर 4937 को जन्में यशवंत सिन्हा की पढ़ाई राजधानी में ही हुई। 958 में राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री लेने के बाद पटना विश्वविद्यालय से 4960 तक बतौर शिक्षक काम किया। इस दौरान उनकी प्रशासनिक सेवा की तैयारी जारी रही। 960 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ और 24 साल तक उन्होंने प्रशासनिक सेवा में अपना योगदान दिया। इस दौरान वह कई अहम पदों पर काबिज हुए।

उन्होंने बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक सचिव और उप-सचिव के तौर पर काम किया। इसके बाद भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के उप-सचिव पद के लिए नियुक्ति की गई। इतना ही नहीं उन्होंने भारतीय दूतावास में अहम जिम्मेदारी संभाली। 4974 से 4974 तक यशवंत सिन्हा बोन, जर्मनी में भारतीय दूतावास के पहले सचिव नियुक्त किए गए।


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