बचाव दलों की 2 दिनों से चल रही जद्दोजहद के बावजूद चमोली के तपोवन बिजली परियोजना टनल में अब भी फंसे 30 से ज्यादा कामगारों को अब तक रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. प्रशासन ने इन कामगारों के जिंदा होने की संभावना जतायी है. तपोवन की जिस टनल में अब भी कामगार फंसे हुए हैं वह 250 मीटर लम्बी और 9 मीटर ऊंची है. इस टनल में 100 मीटर आगे का हिस्सा और ज्यादा ऊंचा बताया जा रहा है. इसी ऊंचे हिस्से में कामगारों के जिंदा बचे होने की उम्मीद है. टनल के भीतर टनों मलबा फंसा हुआ है. इस वजह से बचाव दल जितना मलबा हटाते जा रहे हैं उतना भीतर से बाहर की तरफ और आता जा रहा है. यह मलबा बचाव दलों के भीतर घुसने में रुकावट बना हुआ है. (Uttarakhand Disaster Update)
26 शव बरामद, 4 की शिनाख्त
इस बीच प्रशासन ने 26 लोगों के शव बरामद किये हैं. शव इतने क्षत-विक्षत हैं कि उनकी शिनाख्त करना बहुत मुश्किल हो रहा है. अब तक 26 में से 4 शवों की शिनाख्त हो पायी है. इनमें 2 रैणी, 1 तपोवन और 1 डोईवाला से है. डीजीपी अशोक कुमार ने पहचाने जा चुके लोगों के बारे में यह जानकारी दी है.
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लापता लोगों की बढ़ती तादाद
लापता लोगों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक इस हादसे में 197 लोगों के लापता होने की संख्या सामने आ रही है. लापता लोगों में उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, आसाम, मध्य प्रदेश, उड़ीसा आदि राज्यों के लोग शामिल हैं. ये सभी इन बिजली परियोजनाओं के कामगार हैं.
हिमस्खलन है इस सैलाब का कारण
इस बीच ऋषिगंगा घाटी में आये इस सैलाब की वजहों का पता लाया जा रहा है. भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक सेटेलाइट डाटा जुटाने में लगे हुए हैं. आपदा प्रबंधन विभाग ने भी अमेरिका की एक प्राइवेट सेटेलाइट कंपनी से ब्यौरा जुटाया है.
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शुरुआती अनुमान के मुताबिक ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में हाल के दिनों में भारी बर्फ़बारी हुई थी. सेटेलाइट की 6 फरवरी और फरवरी की तस्वीरें दिखाती हैं कि लगभग 14 वर्ग किमी के एरिया से ताजा बर्फ खिसककर नीचे की तरफ पहुँच गयी. शायद यही बर्फ एक सैलाब के रूप में आगे बढ़कर इस भीषण तबाही का कारण बनी. (Uttarakhand Disaster Update)
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