उर्से रज़वी : देश के किन सुलगते मुद्​दों के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ने जा रही दरगाह आला हज़रत

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Urse Razvi 2022 Ala Hazrat
दरगाह आला हज़रत बरेली. 21 सितंबर से यहां उर्स प्रारंभ हो रहा है.

द लीडर : सुन्नी-बरेलवी मुसलमानों के मरकज (केंद्र) दरगाह आला हज़रत के उलमा ने 104वें उर्से रज़वी की तक़रीरों के लिए कुछ ज्वलंत और गंभीर विषयों की एक फ़ेहरिस्त बनाई है. ऐसे तमाम मुद्​दे, जिनसे केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा परेशान है. मसलन-नशा, सूदखोरी, महिला अपराध, जुआ, समुदायों के आपसी झगड़े और सांप्रदायिक आधार पर बढ़ती नफ़रत की घटनाएं. (Urse Razvi 2022 Ala Hazrat)

आला हज़रत के मदरसा मंजरे इस्लाम के टीचर और मुस्लिम स्कॉलर मुफ़्ती सलीम नूरी के मुताबिक, उर्से रज़वी के मंच से इन सामाजिक बुराईयों के ख़िलाफ़ एक अभियान चलाने का ऐलान किया जाएगा.

आला हज़रत की दरगाह यूपी के ज़िला बरेली में है. बरेली में ड्रग्स के बड़े धंधेबाज़ हैं, पिछले कुछ अरसे में यहां कई ड्रग सप्लायरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई देखने को मिली है. चूंकि बरेली से सटे पीलीभीत ज़िले की सरहद नेपाल से मिलती है. माना जाता है कि ड्रग्स की सप्लाई यहीं से होती है. और ये नशा नौजवानों की ज़िंदग़ी नर्क बना रहा है. (Urse Razvi 2022 Ala Hazrat)

दरगाह के ज़िम्मेदारों ने नशे का नाश करने का इरादा ज़ाहिर किया है. इसके अलावा जुआ और सूदखोरी आर्थिक रूप से कमज़ोर आबादी की बर्बादी का सबब बनी है. महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की हालत कोर्ट-कचहरी की भीड़ ख़ुद ही बताती है. मुस्लिम समुदाय के अंदरूनी झगड़े, शैक्षिक और आर्थिक स्तर पर उनका पिछड़ापन और उस पर शादियों में बेतहाशा खर्चे. गंभीर संकट के तौर पर देखे जा रहे हैं.


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दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान-सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी-अहसन मियां ने उलमा, टीचर, तहरीक-ए-तहफ़्फ़ुज-ए-सुन्नियत (TTS)के ज़िम्मेदारों के साथ एक मीटिंग में ऐसे कई बिंदुओं का चुनाव किया है, जिन पर उर्से रज़वी के मंच से चर्चा की जानी है. (Urse Razvi 2022 Ala Hazrat)

इस कोशिश के साथ कि पारिवारिक और समाज के बीच के छोटे-मोटे मसलों को घरों में सुलझाया जाना चाहिए. इस पहलू पर लोगों को जागरुक करने की ज़रूरत है. निकाह, तलाक़ और घरेलू हिंसा के मुक़दमों की झड़ी लगी है. ये ऐसे मामले हैं, जिनको आपसी बातचीत के ज़रिये सुलझाया जा सकता है. ये संभव तभी है, जब समाज के ज़िम्मेदार लोग इन मसलों पर अवेयर हों.

मीटिंग में सांप्रदायिक आधार पर बंटवारे की घटनाओं पर भी चर्चा हुई. तय हुआ कि देशवासियों के बीच जो लोग नफ़रत का एजेंडा चला रहे हैं. उसे रोकने के लिए हिंदू-मुसलमानों के बीच रिश्तों को और मधुर-ख़ुशगवार बनाने की ज़रूरत है. हर समुदाय के देशप्रेमियों को एक साथ आकर नफ़रत की हवाओं को ठंडा करने में जुटना चाहिए. इसलिए क्योंकि मुहब्बत, अमन और भाईचारा ही भारत को ख़ुशहाल और तरक्क़ी की परवाज़ दे सकता है. (Urse Razvi 2022 Ala Hazrat)

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि इस बार उर्स के मंच से इन्हीं बिंदुओं पर देश-विदेश के सुन्नी-सूफ़ी खानकाही और आम लोगों तक पैग़ाम आम किया जाएगा. उलमा अवाम को संबोधित करेंगे. और ये उर्से रज़वी से जज़्बा लेकर घरों को लौटेंगे कि उन्हें समाज और देश के लिए इन पहलुओं पर काम करना है.

इसके अलावा मुसलमानों से एक ख़ास अपील है कि वो किसी के बहकावे में हरगिज़ न आएं. चंद सिरफिरे लोग उकसावे में आकर हिंसा के ज़रिये इस्लाम को बदनाम करने की कोशिशें करते हैं. नौजवानों को ये समझना होगा कि ये सब एक साजिश के तहत हो रहा है. मुस्लिम विरोधी शक्तियां उनके विरुद्ध अभियान चलाए हुए हैं. ताकि मुसलमानों की छवि को भ्रष्ट किया जा सके. इसलिए बेहतर है कि क़ानूनी और नैतिक तौर पर जो भी ग़लत है-उससे बचकर रहें. सोशल मीडिया पर कोई भी भड़काऊ पोस्ट, कमेंट या कंटेंट अपलोड-शेयर न करें. (Urse Razvi 2022 Ala Hazrat)


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इस पूरी कोशिश में उलमा की ये ज़िम्मेदारी है कि वे समाज के बीच इस्लाम का मूल पैग़ाम आम करें. शांति और शांतिवाद की तालीम को जन-जन तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी निभाएं. हमें एक सुंदर-ख़ुशहाल, शांतिप्रय समाज और भारत बनाना है.

आला हज़रत का 104वां उर्से रज़वी अगले-21, 22 और 23 सितंबर को बरेली में मनाया जाएगा. इस उर्स में देश-विदेश के लाखों ज़ायरीन बरेली पहुंचते हैं. क़रीब महीना भर पहले से ही आयोजन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. (Urse Razvi 2022 Ala Hazrat)


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