अब्राहम टी कोवूर जैसे तर्कशील के देश श्रीलंका में लोग ‘चमत्कार’ का शिकार होकर कोरोना वायरस के मुंह में जा पहुंचे। खुद को चमत्कारी बताने वाले शख्स ने एक मंत्री समेत हजारों लाेगों को काली देवी का आशीर्वाद बताकर मजमा लगाकर ऐसी दवा पिला दी कि उनकी जान पर बन आई। सभी को कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
धम्मिका बंडारा द्वारा बनाई गई दवा के नाम पर चाशनी पाने के लिए हजारों लोगों का तांता लग गया था।
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महिला एवं बाल विकास मंत्री पियाल निशांता डी सिल्वा समेत कई राजनेता भी इस तथाकथित कोरोना वायरस निवारण दवा को पीने पहुंचे थे। सबको शंख से दवा दी गई। श्रीलंका के संसदीय अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि नेतागण कोरोना वायरस टैस्टिंग में पॉजिटिव आए जब उन्हें अस्पताल में जांचा गया।
सरकारी मीडिया ने चमत्कार को खासा तवज्जो भी दी थी। इस बात का जोर-शोर से प्रचार किया गया कि मौत और विनाश की देवी काली का ‘प्रसाद’ है।
पेय में शहद, जायफल, धनिया और अन्य जड़ी-बूटियां डाली गईं थीं। एक बोतल की कीमत 13 डॉलर में उपलब्ध कराई गई, भारतीय रुपए के हिसाब से लगभग 950 रुपए में। स्थानीय मीडिया ने बताया कि ‘चमत्कारी कारोबारी’ ने कंपनियों के साथ-साथ मंदिरों में भी अपना ‘चमत्कार’ बेचा था।
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उन्होंने राजनेताओं और मंत्रियों को भी एक नमूना दिया था। डीपीए समाचार एजेंसी के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री पवित्रा वन्नियाराचची ने भी औषधि ली, हालांकि उनके अपने मंत्रालय ने इसे दवा के रूप में मंजूरी नहीं दी थी।
इस पर विपक्षी विधायकों ने झूठी आशा फैलाने और लोगों को ‘चमत्करी आदमी’ के जाल में फंसने को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाकर आलोचना की।
इसके बाद सरकार ने कथित ‘चमत्कारी’ से दूरी बनाने की कवायद शुरू कर दी और आधिकारिक स्वदेशी चिकित्सा इकाई द्वारा खाद्य पूरक के रूप में दवा को अनुमोदित किया गया था।
गौरतलब है, श्रीलंका में 53,750 कोरोना संक्रमण और 270 मौतें दर्ज की गई हैं।