कर्नाटक हिजाब विवाद के विरोध में महाराष्ट्र में जमा हुए हजारों लोग, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद पर केस दर्ज

0
321

द लीडर | कर्नाटक के बाद अब हिजाब विवाद देश के दूसरे हिस्सों में भी देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के मालेगांव में पुलिस ने जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इसके अलावा एआईएमआईएम के स्थानीय विधायक मौलाना मुफ्ती इस्माइल के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है. दरअसल उलेमा-ए-हिंद के नेतृत्व में मालेगांव में महिलाओं ने प्रदर्शन किया. इसके बाद बुलढाणा, बीड और मालेगांव में धारा 144 लगाई गई है, जो अगले आदेश तक जारी रहेगी.

‘हिजाब दिन’ के तौर पर मनाया जाएगा

मंगलवार को ‘जमीयत-उलेमा-ए-हिंद’ के प्रमुख मौलानाओं की बैठक विधायक मौलाना मुफ्ती इस्माइल के नेतृत्व में हुई थी. इसी मीटिंग में यह फैसला किया गया. गुरुवार को महिला मिलन का एक कार्यक्रम रखा गया था. वहां हिजाब का समर्थन करने के लिए  हिजाब और बुरखाधारी महिलाओं को बुलाया गया था. मौलाना मुफ्ती ने यह भी जानकारी दी थी कि शुक्रवार को मालेगांव में ‘हिजाब दिन’ के तौर पर मनाया जाएगा. सभी महिलाएं उस दिन बुर्का पहनेंगी. उन्होंने कहा था कि भारत में हर धर्म को अपने रीति-रिवाजों के मुताबिक रहने की आजादी है.


यह भी पढ़े –UP Election: दूसरे चरण में 25 फीसदी प्रत्याशी हैं करोड़पति और 19 फीसदी पर दर्ज हैं गंभीर आपराधिक मामले ?


पुणे में भी एनसीपी ने किया विरोध

महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे में भी एनसीपी की महिला विंग ने कर्नाटक मेले के हिजाब पर प्रतिबंध का गुरुवार को विरोध किया. इसके अलावा पुणे के आई आई एस ई आर में भी विद्यार्थी और अध्यापकों ने कर्नाटक के उल्टी में मुस्लिम समुदाय की छात्राओं को अपना समर्थन देते हुए विरोध प्रदर्शन किया है. लोगों ने कॉलेज परिसर में इकट्ठा होकर अपना विरोध दर्ज करवाया है.

मुंबई के इस कॉलेज में हिजाब पर बैन

कर्नाटक में शुरू हुआ हिजाब विवाद का मुद्दा अब महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई तक आ पहुंचा है. दरअसल मायानगरी मुंबई के एक कॉलेज में भी महिलाओं के बुर्का, स्कार्फ और घूंघट पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है. देश की आर्थिक राजधानी के माटुंगा इलाके में मौजूद एमएमपी शाह कॉलेज में यह प्रतिबंध लगाया गया है. यह कॉलेज एसएनडीटी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाता है. यह प्रतिबंध जुबानी तौर पर नहीं बल्कि कॉलेज की वेबसाइट और उनके प्रोस्पेक्टस पर दर्ज है. जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि आप बुर्का, दुपट्टा और घुंघट पहन कर कॉलेज परिसर में नहीं आ सकते हैं.

क्या है मामला ?

हिजाब विवाद की शुरुआत पिछले महीने उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कुछ छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज परिसर में जाने पर हुई थी, जिन्हें कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि जो छात्रा पहले बिना हिजाब के आती थीं, वे अब अचानक से हिजाब में आने लगी हैं. बाद में छात्राओं ने बिना हिजाब के कक्षाओं में जाने से इनकार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. यह मुद्दा एक विवाद बन गया और कर्नाटक के अन्य जिलों के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी इस मुद्दे को उठाया जा रहा है. इसकी वजह से तनाव बना हुआ है और यहां तक कि हिंसा भी हो चुकी है.

हिजाब विवाद मामले की कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए गुरुवार को आदेश दिया था कि अंतिम आदेश तक छात्रों के लिए किसी भी धार्मिक प्रतीक की अनुमति नहीं है. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमण ने शुक्रवार को हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता के वकील से यह सोचने के लिए कहा कि क्या इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट का आदेश अभी तक सामने नहीं आया है और इसे इस मुद्दे पर फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए. मेहता ने जोर देकर कहा कि इस मामले को न तो धार्मिक बनाया जाना चाहिए और न ही राजनीतिक.

(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here