इस गोली को नाम मिला है ‘जिहादी ड्रग्स’ का नाम, सीरिया हो बदनाम

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जॉर्डन की सेना ने सीरिया की ओर से सीमा में दाखिल होने की कोशिश करने वाले 27 संदिग्ध ड्रग तस्करों को मार गिराने का दावा किया है। इस तस्करी में खास दवा का नाम भी सामने आया है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में तो हो ही रहा है, लेकिन मध्यपूर्व के देशों में ज्यादा इस्तेमाल होने की बात की जा रही है। पश्चिमी मीडिया ने दवा को जिहादी ड्रग का भी नाम दिया है। (Jihadi Drugs Syria Infamous)

रॉयटर्स के अनुसार, जॉर्डन के अधिकारियों का कहना है कि लेबनान के ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह समूह और दक्षिणी सीरिया पर नियंत्रण रखने वाले मिलिशिया तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि हिजबुल्लाह इस तरह के आरोपों से इनकार करता रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 10 साल के गृहयुद्ध के बाद सीरिया में एक अवैध दवा उद्योग फला-फूला है। हाल के वर्षों में अरब भूमध्यसागरीय देश कैप्टागन (Captagon) बनाने और बेचने के हॉट स्पॉट के रूप में उभरा है। सीरिया और लेबनान मध्य पूर्व, खासतौर पर खाड़ी देशों में पहुंचने का एंट्री गेट बन गए हैं। (Jihadi Drugs Syria Infamous)

यूएन ऑफिस ऑफ़ ड्रग्स एंड क्राइम ने 2014 की एक रिपोर्ट में कहा कि एम्फ़ैटेमिन का बाजार मध्य पूर्व में बढ़ रहा है। दुनियाभर में जब्त होने वाली एम्फ़ैटेमिन का 55 फीसद सऊदी अरब, जॉर्डन और सीरिया में पकड़ा गया।

ड्रग्स डॉट कॉम की एक रिपोर्ट बताती है, कैप्टागन को पहली बार 1961 में एम्फ़ैटेमिन और मेथामफेटामाइन के विकल्प के रूप में निर्मित किया गया था, जिसका इस्तेमाल उस वक्त नार्कोलेप्सी, थकान और व्यवहार संबंधी विकार “न्यूनतम मस्तिष्क रोग” के इलाज के लिए किया जाता था। सैनिकों को लंबे समय तक जागते रहने, “साहस और बहादुरी बढ़ाने” के लिए सेना में पहले से ही डेक्साम्फेटामाइन का इस्तेमाल किया जा रहा था।

Captagon को इन दवाओं का एक हल्का संस्करण माना जाता था। लेकिन 1980 के दशक तक अमेरिकी सरकार ने इसे नियंत्रित दवा घोषित कर दिया, जिसका कोई चिकित्सीय उपयोग नहीं है। 1980 के दशक में इस दवा का निर्माण बंद हो गया।

लेकिन इसका अवैध निर्माण अब तक जारी है। यूरोप और मध्य पूर्व में पिछले कुछ वर्षों में इसकी खपत बढ़ी है। ऐसा भी कहा जाता है कि मध्य पूर्व में युवाओं के बीच कैप्टागन खासी लोकप्रिय और मनोरंजक दवाओं में शुमार है।

रिपोर्टें यही भी कहती है कि ISIS या ISIL जैसे चरमपंथी समूहों में लड़ाकों को क्षमताओं को बढ़ाने के लिए “कैप्टागन” को अस्सी के दशक तक काफी इस्तेमाल किया गया। कैप्टागन को मीडिया ने “द एम्फ़ैटेमिन फ्यूलिंग सीरियाज़ वॉर” या “द जिहादिस्ट ड्रग” नाम भी दिया। (Jihadi Drugs Syria Infamous)

अवैध निर्माण से तैयार होने वाली यह छोटी सी गोली इतनी उत्तेजक है कि विनाशकारी लत लगा देती है। मस्तिष्क में स्थायी रोग की वजह बन सकती है। इसका कुछ दिन इस्तेमाल करने पर व्यक्ति का खुद पर कोई काबू नहीं रहता और तार्किक साेचने की क्षमता खत्म हो जाती है।


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