यह है दुनिया का सबसे खुशहाल मुस्लिम देश

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दुनिया में दर्जनों मुस्लिम देश हैं, लेकिन ज्यादातर मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं। कई देश तो इस कदर मुसीबत में हैं कि वहां किसी का होना ही जान हथेली पर लेना माना जा सकता है। यमन, सीरिया, लेबनान, अफगानिस्तान ऐसे ही देश हैं। तबाही-बर्बादी का मंजर खौफनाक है। कुछ इस्लामी देश ऐसे भी हैं, जो एक हद तक तरक्कीयाफ्ता हैं, लेकिन कई मुसीबतें उनका भी पीछा नहीं छोड़ रहीं, इनमें सऊदी अरब भी है, जिसको यमन के हूती विद्रोहियों से मुकाबला करना पड़ रहा है। इससे पहले अरब स्प्रिंग में अरबी दुनिया में खलबली ही मच गई थी, जब सत्ता विरोधी आंदोलनों की आंधी चली। एक देश साफ बच गया….संयुक्त अरब अमीरात। (Happiest Muslim Country)

सिर्फ यही एक इस्लामी देश ऐसा है, जहां खुशहाली उछाल मार रही है। संयुक्त राष्ट्र वार्षिक वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट में यूएई सबसे खुशहाल देश पाया गया। यह रिपोर्ट राष्ट्रों की प्रति व्यक्ति जीडीपी, औसत आयु, स्वतंत्रता और सरकार और व्यापार में भ्रष्टाचार समेत कई कारकों के आधार पर रैंकिंग करती है। रिपोर्ट एनालिटिक्स रिसर्चर गैलप के डेटा पर आधारित है, जिसमें 149 देशों के लोगों से अपनी खुशी का आकलन करने के लिए कहा गया।

हैपीनेस रिपोर्ट में यूएई सूचकांक में 25वें स्थान पर है और उसके बाद सऊदी अरब 26वें पर है। शीर्ष 50 में अन्य मुस्लिम देशों में कोसोवो, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और कुवैत भी शामिल हैं।

अफगानिस्तान को दुनिया में सबसे कम खुशहाल राष्ट्र के रूप में वर्गीकृत किया गया। सूची में नीचे के 30 स्थानों में अन्य मुस्लिम देशों में ट्यूनीशिया, लेबनान, फिलिस्तीन, जॉर्डन, मिस्र और यमन शामिल हैं। युद्धग्रस्त सीरिया के लिए कोई डेटा प्रकाशित नहीं किया गया। इसका एक मतलब यह भी है कि सीरिया में खुशहाली शब्द के लिए भी शायद जगह नहीं है फिलहाल। (Happiest Muslim Country)

यूएई ने यह कमाल अपनी पैदायश के महज 50 साल के अंदर दिखाया है, असल में तो 40 साल में। 1950 के दशक में तो यहां की अर्थव्यवस्था मछली पकड़ने और मोती उद्योग पर निर्भर थी, जो वैसे ही ढह रहा था। 1962 में तेल निर्यात शुरू होने के बाद से यहां की अर्थव्यवस्था और समाज की सूरत बदल गई।

संयुक्त अरब अमीरात दो दिसंबर 1971 को एक साथ आए सात राज्यों का एक संघ है। उससे पहले अबू धाबी, दुबई, शारजाह बगैर अलग-अलग अमीरात थे। एक तरह से रियासत, जहां के शासक को अमीर कहा जाता है।

बेशक, यहां एक किस्म की राजशाही है। लेकिन यूएई खाड़ी देशों में एकमात्र ऐसा देश है, जहां दूसरी संस्कृतियों और अास्थाओं को भी बर्दाश्त किया जाता है, कोई ऐतराज जैसा मसला नहीं है। मस्जिदें ही नहीं, चर्च अौर मंदिर भी हैं। अरबी ही नहीं, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू को भी अहम दर्जा है। प्रवासी ही यहां की रौनक हैं, जिनकी आबादी स्थानीय लोगों से कई गुना ज्यादा है। शायद यही वजह है कि बीते दो सप्ताह के अंदर ही कई कानूनी फेरबदल यहां हो गए, एक पारिवारिक विवाद निपटाने को स्पेशल कोर्ट और कानून बन गया, जबकि कई दूसरे कानूनी संशोधन हो गए।

सालभर पहले यूएई अरब का पहला और दुनिया का पांचवां देश बन गया, जिसने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक अपना उपग्रह स्थापित कर दिया। इसी के साथ 2020 में यह इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला खाड़ी देश भी बना। अभी दुबई एक्सपो में इजरायल के साथ कई अहम सैन्य उपकरण निर्माण के सौदे भी हुए हैं।

यूएई की खुशहाली को कुछ आंकड़ों से समझा जाए।

साल 2005 के सर्वेक्षण के हिसाब से यहां की साक्षरता दर 90 है। साल 2013 की गणना के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद 269.8 अरब डॉलर और प्रति व्यक्ति आय 29,900 डॉलर है। बेरोजगारी 2.5 फीसद है।

कृषि योग्य भूमि महज 0.61 हैं, जिसमें खजूर, सब्जियां, तरबूज, मुर्गी पालन, अंडे, डेयरी उत्पाद मछली पालन होता है। 15 से 64 आयु वर्ग की 85 प्रतिशत आबादी गैर-राष्ट्रीय है। अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान 78 प्रतिशत, उद्योग 15 और कृषि की 7 भागीदारी है। उद्योग में पेट्रोलियम और पेट्रोरसायन, मछली पकड़ने, एल्यूमीनियम, सीमेंट, उर्वरक, वाणिज्यिक जहाज की मरम्मत, निर्माण सामग्री, नाव निर्माण, हस्तशिल्प, वस्त्र है। प्राकृतिक संसाधन में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस है। निर्यात 368.9 बिलियन डॉलर और आयात 249.6 बिलियन डाॅलर का है। आयात में मशीनरी और परिवहन उपकरण, रसायन, भोजन मंगाया जाता है। प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, थाईलैंड, चीन, जर्मनी, ईरान, यूएस., सिंगापुर रहे हैं, अब इजरायल भी है।

साल 2012 में ही 13.775 मिलियन मोबाइल फोन इस्तेमाल हो रहे थे, अब का आंकड़ी बहुत ऊपर है। दुबई के मीडिया फ्री ज़ोन को छोड़कर, अधिकांश टीवी और रेडियो स्टेशन सरकार के स्वामित्व वाले हैं।

परिवहन सेवा में यहां रेलवे नेटवर्क नहीं है, 1200 किलोमीटर का एक नेटवर्क बनाया जा रहा है, जो सभी सात राज्यों की प्रमुख जगहों को जोड़ेगा। कोई भी राजमार्ग कच्चा नहीं है। कई प्रमुख बंदरगाह के अलावा 43 एयरपोर्ट हैं।

पड़ोसी देशों में ओमान और ईरान से कुछ द्वीपों को लेकर विवाद है, लेकिन इतना नहीं कि खूनखराबा होने की नौबत हो।

खुश्क मौसम वाले यूएई के चर्चित शहर दुबई में 160 मंजिला बुर्ज खलीफा में रोजाना लगभग ढाई लाख गैलन पानी का इस्तेमाल होता है, एक यहां के लिए यह छोटी सी मिसाल है। बाकी इतिहास लाखों साल पुराना है और तमाम कमियां भी हैं, जो इस खुशहाली से ढंक जाती हैं। (Happiest Muslim Country)

संयुक्त अरब अमीरात, अरब प्रायद्वीप के पूर्वी हिस्से में, ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी के दक्षिणी तट तक फैला हुआ है। इसके पड़ोसी देश पश्चिम और दक्षिण में सऊदी अरब, उत्तर में कतर और पूर्व में ओमान हैं। ज्यादातर जमीन बंजर और रेतीली है।

1971 में ट्रुशियल स्टेट्स के नाम से जाने जाने वाले सात अमीरातों द्वारा गठित फेडरेशन में अबू धाबी (सबसे बड़ा), दुबई, शारजाह, अजमान, फुजैराह, रास अल-खैमाह और उम्म अल-क़ैवेन हैं। संघीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा हर अमीरात में एक अलग शासक होता है, जो स्थानीय सरकार की देखरेख करता है।

यहां दो लाख साल पुराने प्रागैतिहासिक अवशेष भी मिले हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, प्राचीनकाल में मूल रूप से इस क्षेत्र में समुद्री यात्रा करने वाले लोग रहते थे, जो 7वीं शताब्दी में इस्लाम के अनुयायी हो गए। बाद में यहां के एक असंतुष्ट संप्रदाय कार्मेथियन ने शक्तिशाली शेख़ों संगठित किया और उसकी सेना ने मक्का पर विजय हासिल की।

इस शेखशाही के बिखर जाने के बाद, इसके लोग समुद्री डाकू बन गए। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में मस्कट और ओमान की सल्तनत को धमकाने पर इन समुद्री लुटेरों ने अंग्रेजों को दखल का मौका दे दिया, जिन्होंने 1820 में आंशिक और 1853 में स्थायी संघर्ष विराम के हालात में पहुंचा दिया। इसके बाद, यह तट, जिसे समुद्री डाकू तट कहा जाता था, उसका नाम बदलकर ट्रूशियल कोस्ट कर दिया गया। अंग्रेजों ने नौ ट्रुशियल राज्यों को सुरक्षा देकर व्यापारिक लाभ कमाया, नियंत्रित भी किया, लेकिन औपचारिक रूप से उन्हें उपनिवेश बनाकर राज नहीं किया।

1971 में ब्रिटिश फारस की खाड़ी से हट गए और ट्रुशियल राज्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) नामक संघ बन गए। दो ट्रुशियल राज्यों, बहरीन और ओमान ने महासंघ में शामिल नहीं होने का विकल्प चुना। वे अलग देश बन गए।

यूएई ने 1994 में अमेरिका के साथ और 1995 में फ्रांस के साथ सैन्य रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। लेकिन यूएस पर 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों के बाद, संयुक्त अरब अमीरात को अल-कायदा को धन हस्तांतरित करने के लिए प्रमुख वित्तीय केंद्र के रूप में देखा गया, क्योंकि 9/11 के अपहर्ताओं में से दो नागरिक संयुक्त अरब अमीरात के थे। इस पर यूएई ने तुरंत संदिग्ध आतंकवादियों से जुड़े खातों को फ्रीज करके मनी लॉन्ड्रिंग पर सख्ती से रोक लगा दी।

यूएई का कुल क्षेत्रफल 32,278 वर्ग मील है, जहां 56 लाख से ज्यादा आबादी है, जिसमें से राजधानी अबू धाबी में लगभग साढ़े नौ लाख लोग रहते हैं। सबसे बड़े शहर दुबई में 10 लाख से ज्यादा आबादी है।

देश का आधिकारिक मजहब इस्लाम है। यहां 76 फीसद मुसलमानों के अलावा 9 प्रतिशत ईसाई और 15 प्रतिशत में हिंदू और बौद्ध, पारसी, सिख, अहमदी, इस्माइली, दाऊदी बोहरा मुस्लिम, यहूदी आदि है। लेकिन कुल आबादी का 85 प्रतिशत दूसरे देशों से आए प्रवासी गैर नागरिकों का है। (Happiest Muslim Country)

एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारी मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, यातना करते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी प्रतिबंधित करते हैं, सरकार के आलोचकों को कैद करते हैं और उन्हें गंभीर परिस्थितियों में रखते हैं। आबादी का विशाल बहुमत प्रवासी श्रमिक कफला प्रणाली के तहत नियोक्ताओं के रहमोकरम पर होते हैं, जिससे उनके साथ श्रम दुर्व्यवहार और शोषण का गंभीर रूप से सामना करना पड़ता है।


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