2030 तक यमन की जंग में मारे जाएंगे 13 लाख लोग: UNDP

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संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यमन के युद्ध के चलते मरने वालों की संख्या 2021 के अंत तक 3 लाख 77 हजार तक पहुंच जाएगी, जिसमें अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष कारणों से मारे गए लोग भी शामिल हैं। मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अनुमान लगाया कि मारे गए लोगों में से 70 प्रतिशत पांच साल से कम उम्र के बच्चे होंगे। यह पाया गया कि 60 प्रतिशत मौतें अप्रत्यक्ष कारणों से हुई होंगी, जैसे कि भूख और रोकी जा सकने वाली बीमारियां, बाकी मौतें फ्रंट-लाइन लड़ाई और हवाई हमलों का नतीजा हैं। (Yemen War 2030 UNDP)

यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने कहा, यमन के मामले में हम मानते हैं कि युद्ध की वजह से होने वाली अप्रत्यक्ष मौतें युद्ध के मैदान में मरने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा है।

यमन 2014 से जंग में फंस हुआ है, जब सरकार के फरार होने पर हूती विद्राहियों ने राजधानी सना सहित देश के उत्तरी हिस्से के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया था। मार्च 2015 में सऊदी अरब के नेतृत्व में अरब देशों के एक गठबंधन ने सरकार को बहाल करने के मकसद से दखल दिया। उसके बाद से गतिरोध बना हुआ है। हूती विद्रोही सऊदी अरब को अक्सर छकाते रहते हैं और कई अहम जगहों को रॉकेट या मिसाइल से निशाना बना चुके हैं।

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HOUTHI REBELS

बीते सात साल से लगातार युद्ध जारी रहने से यमन अकाल की कगार पर है और हर साल हजारों लोग मारे जा चुके हैं, जबकि लाखों लोग विकलांग हो गए या फिर देश से पलायन करने को मजबूर हुए हैं। देश की इस स्थिति को संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया की सबसे खराब मानवीय आपदा बताया है। जिसकी वजह से कम से कम डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं। (Yemen War 2030 UNDP)

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने निकट भविष्य में गंभीर परिणामों का अनुमान लगाया है। इसमें कहा गया है कि युद्ध इसी तरह जारी रहा तो 2030 तक लगभग 13 लाख लोग मारे जाएंगे, जिनमें 70 प्रतिशत मौतें अप्रत्यक्ष कारणों, जैसे आजीविका के नुकसान, बढ़ती खाद्य कीमतों, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं की गिरावट का नतीजा होंगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक कुपोषण का सामना करने वालों की संख्या बढ़कर 92 लाख हो जाएगी और बेहद गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या तकरीबन सवा दो करोड़ हो जाएगी, यानी कि इस हाल में 65 प्रतिशत आबादी गुजर बसर कर रही होगी।

अगर युद्ध समाप्त हो गया तो क्या होगा? इस पर भी रिपोर्ट में सांख्यिकीय मॉडलिंग का इस्तेमाल कर अनुमान लगाया गया है। यूएनडीपी का अनुमान है कि अगर जनवरी 2022 तक शांति हो जाती है तो यमन 2047 तक बेहद गरीबी की हालत को खत्म कर सकता है। कृषि, महिला सशक्तिकरण, क्षमता विकास, प्रभावी और समावेशी शासन पर केंद्रित निवेश के विकास पर बेहतरीन हालात होने का अनुमान लगाया गया है। (Yemen War 2030 UNDP)

यूएनडीपी के प्रशासक स्टेनर ने कहा, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि युद्ध खत्म होने पर 2025 तक 450 बिलियन डॉलर की आर्थिक वृद्धि होगी। कुपोषण पर लगाम लग जाएगी, जिससे 49 लाख लोग जूझ रहे हैं। महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने पर केंद्रित प्रयासों से 30 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इसके लिए 2050 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ावा देने के साथ 2029 तक मातृ मृत्यु दर को आधा करना होगा।

Saudi-led air strike in Sanaa, Yemen, REUTERS/Khaled Abdullah/File Photo

यूएनडीपी क्षेत्रीय ब्यूरो के निदेशक खालिदा बौजर ने कहा, यमन के लोग सतत और समावेशी विकास के लिए उत्सुक हैं। अरब देशों में यूएनडीपी किसी को पिछड़ने न देने को प्रतिबद्ध है और यमन की तरक्की के सफर में हम मजबूती से समर्थन देने को तैयार हैं, ताकि यमन की क्षेत्रीय क्षमता को महसूस किया जा सके, अमन कायम रखा जा सके।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि यमन की भलाई और विकास के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय ताकतों को न केवल शांति प्रयास करने चाहिए, बल्कि बुनियादी ढांचे से अलहदा जनहितकारी सहयोग को हाथ बढ़ाना चाहिए।


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