‘द लीडर’ की खबर पर मुहर, कोवैक्सीन ‘जबर्दस्त असरदार’

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मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में विकसित कोविड-19 टीका Covaxin “जबर्दस्त असरदार” है और इसको लगवाने से चिंता वाली कोई बात नहीं है। ‘द लीडर हिंदी’ ने टीकाकरण की शुरुआत इससे संबंधित खबर वरिष्ठ सूक्ष्मविज्ञानी के हवाले से प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि कोवैक्सीन क्यों बेहतर है और इसका प्रभाव कोशिकाओं के डीएनए को प्रभावित नहीं करेगा, जबकि बाकी वैक्सीन जेनेटिकली मोडिफाइड वायरस आधारित हैं, इसलिए उनके दूरगामी दुष्प्रभाव होने की संभावनाएं हैं। (India Covaxin Very Effective)

भारतीय वैक्सीन के बारे में शुरुआती दौर में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी इसका असर रामवाण जैसा होने का दावा किया था। हालांकि तमाम विदेशी वैक्सीन बाजार में आने और उनको विदेशों में मंजूरी मिलने से उनको तवज्जो ज्यादा मिली।

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अब, जब ज्यादातर भारतीयों को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है, कम ही लोग वैक्सीनेशन से बचे हैं, तब Covaxin के असरदार होने का अध्ययन सामने आया है। पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैक्सीन को हरी झंडी दिखा दी। इस टीके को 17 देशों में इस्तेमाल के लिए पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। (India Covaxin Very Effective)

कोड BBV152 नाम से जानी जाने वाली Covaxin निष्क्रिय वायरस-आधारित COVID-19 वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से विकसित किया है।

लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने इस वैक्सीन को “आसानी से रखने के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए बेहद उपयुक्त बताया है। जबकि अन्य स्वीकृत टीकों में से ज्यादातर को बहुत कम तापमान पर ही रखा जा सकता है। यह अपने आप में यह समस्या है। इस वजह से उनकी लागत बढ़ जाती है।

अध्ययन में कहा गया है कि कोवैक्सीन की प्रयोगशाला में पुष्टि हुई कि यह “वयस्कों पर COVID-19 रोग के खिलाफ काफी असरदार है। (India Covaxin Very Effective)

 

विश्लेषण में यह भी सामने आया कि सुरक्षा को लेकर कोई चिंता की भी बात नहीं है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक महीने में दो खुराक के बाद भारत द्वारा विकसित टीके की प्रभावकारिता दर 78 प्रतिशत है।

इस लिहाज से यह टीका WHO द्वारा अनुमोदित सूची में फाइजर/बायोएनटेक, मॉडेर्ना, एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन, सिनोफार्मा और सिनोवैक द्वारा निर्मित COVID टीकों की कतार में शामिल हो गया है।

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चीनी शोधकर्ता ली जिंगक्सिन ली और झू फेंगकाई ने कहा, “कोवैक्सिन टीकों की आपूर्ति में सुधार में कारगर हो सकता है, जो कम आय वाले और मध्यम आय वाले देशों की बड़ी जरूरत है।” इस वैश्विक चुनौती से पार पाया जा सकता है।

हालांकि, उन्होंने अध्ययन की कुछ सीमाओं को बताते हुए कहा कि परीक्षण पूरी तरह से भारत में किए गए, जहां अध्ययन के लिए मानवी जीन की विविधता की कमी महसूस की गई। (India Covaxin Very Effective)

अध्ययन नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच किया गया, इस दरम्यान वायरस के अधिक संक्रामक डेल्टा संस्करण के केस भी सामने आ गए थे। इस वजह से शोधकर्ताओं ने इस वैरिएंट पर भी कोवैक्सीन के असर को परख लिया। पाया गया कि कोवैक्सीन इस संक्रमण में भी कारगर है।


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