जान लें, कोविड-19 वैक्सीन किसे नहीं लगवाना चाहिए

0
1882

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को सलाह दी है कि कुछ मेडिकल कंडीशन वाले लोगों को कोविड-19 वैक्सीन टीके नहीं लगवाने चाहिए, या टीका लगवाने से पहले इंतजार करना चाहिए।

कोविड-19 रोग के टीके को वैश्विक स्वीकृति के बाद, कोविड-19 टीकाकरण से नियंत्रित हो सकने वाला 28वां मानव रोग बन गया है। बहरहाल, यह तो भविष्य ही बताएगा कि कोविड-19 के टीके अपने उद्देश्य में कितना और किस तरह सफल हो पाएंगे।

विज्ञान के तमाम प्रयासों और तरक्की के बावजूद सभी संक्रामक रोगों को टीके से नहीं रोका जा सकता। एचआईवी-एड्स, श्वसन सिनसिटियल वायरस और कैंसर पैदा करने वाले एपस्टीन-बार वायरस हर साल लाखों लोगों के लिए मृत्युकारक होते हैं, लेकिन अभी तक उनकी रोकथाम या नियंत्रण के लिए कोई टीका नहीं है।

इसके अलावा, कई आर्थिक, सामाजिक, नैतिक, भौगोलिक और स्वास्थ्य कारणों के कारण हर कोई इतना सौभाग्यशाली नहीं है कि उसका टीकाकरण किया जा सके या उसकी टीके तक पहुंच हो, और उसकी टीकाकरण न होने से संभावित मौत को रोका जा सके। बहुत से लोगों में टीकाकरण न हो पाने के स्वास्थ्य संबंधित कई कारण हो सकते हैं।

जैसे, (1) टीके से एलर्जी जो गंभीर व जानलेवा हो प्रतिक्रिया सकती है, (2) कई टीके कुछ विशेष उम्र में ही लगने पर फायदेमंद होते हैं और अलग उम्र में लगाने पर अप्रभावी या हानिकारक हो सकते हैं, (3) लंबी चलने वाली और गंभीर बीमारियां से पीड़ित लोग और (4) कई बीमारियां, मसलन गुइलेन-बर्रे सिंड्रोम (जिसमें आंखों की मांसपेशियों और दृष्टि के साथ कठिनाइयां विशेषकर निगलने, बोलने, चबाने, हाथों और पैरों में संवेदनाओं की कमी, विशेष रूप से रात में गंभीर दर्द, शारीरिक समन्वय और स्थिरता की समस्याएं, दिल की अनयिमित धड़कन हैं।

इसी तरह किसी प्रकार के सर्जरी, असाध्य इम्यून सिस्टम के रोगों या कैंसर से पीड़ित लोगों में टीका देना ठीक नहीं होता। सामान्य फ्लू वैक्सीन शॉट्स (जुकाम नियंत्रण के लिए) भी 2 साल से कम उम्र के बच्चों, या छोटे बच्चों, जिसको अस्थमा या श्वास-रोग हो, दीर्घकालीन एस्पिरिन उपचारित बच्चों या किशोरों को और गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जाता है।

इसके अलावा, पुरानी बीमारियों वाले लोग (जैसे हृदय रोग, यकृत रोग, या अस्थमा), कुछ मांसपेशियों या तंत्रिका रोगों वाले लोग (सांस लेने में समस्या पैदा कर सकते हैं) और वे लोग जो प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालने वाली औषधियों (जैसे कोर्टिसोन) का सेवन कर रहे हैं, उन्हें फ्लू वैक्सीन के लिए नहीं जाना चाहिए।

फ्लू वैक्सीन शॉट्स आमतौर पर बुजुर्गों को सामान्य फ्लू से बचाने में नाकाम रहते हैं। हालांकि, हमें अभी तक कोविड-19 टीकों की उपयोगिता और उपयुक्तता के बारे में बहुत कुछ जानना और सीखना है, जो कि बड़े पैमाने पर कोविड-19 टीकाकरण के बाद रिपोर्ट की जाने वाली कई जटिलताओं के बाद ही सीखा और जाना जा सकता है।

ये भी पढ़ें – पैगंबर मोहम्मद की बताई खाने की वो चीजें, जो अब सुपरफूड हैं: रिसर्च- (1)

टीकों के प्रकार

वैक्सीनों (टीकों) की उपयोगिता के अनुसार इनके दो समूह हैं, रोग प्रतिरोधक एवं रोग निवारक / चिकित्सीय/ औषधीय, टीके की उपयोगिता और निर्माण डिज़ाइन के अनुसार एक टीका दोनों समूहों से संबंधित हो सकता है। वैक्सीनों (टीकों) का उपयोग मुख्य रूप से बीमारियों की रोकथाम के लिए, रोग नियंत्रण और रोग उन्मूलन के लिए होता है।

चिकित्सीय टीकों का उपयोग ज्यादातर लंबे समय तक चलने वाले (क्रोनिक) रोगों या धीमी प्रगति वाले रोगों के लिए किया जाता है, जैसे रेबीज, कैंसर (एंटीजन वैक्सीन), डेंड्राइटिक सेल वैक्सीन (अभी भी अनुसंधान के तहत), ऑटोलॉगस और एलोजेनिक वैक्सीन (कुछ ट्यूमर के लिए) । एचआईवी और अल्जाइमर रोग के लिए कुछ चिकित्सीय टीके प्रायोगिक चरण में हैं।

कोविड-19 के टीके

कोविड-19 के टीकों और टीकाकरण के असर और नतीजों को समझने के लिए हम अभी भी प्रारंभिक अवस्था में हैं। हम न तो उनके चिकित्सीय मूल्य को पूर्ण रूप से जानते हैं और न ही रोग की रोकथाम क्षमता को विस्तार से जानते हैं।

कोविड-19 टीके के प्रकार

कोविड-19 के लिए संभावित, उपयोग या परीक्षण चरण में अनुमोदित टीके चार प्रकार के हो सकते हैं-

•निष्क्रिय या कमजोर वायरस से निर्मित टीके: निष्क्रिय या कमजोर वायरस बीमारी पैदा करने में असमर्थ होते हैं, लेकिन एक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकते हैं। इस श्रेणी में दावा किया गया है कि भारत बायोटेक का कोवैक्सीन 70.4% और चीन का सिनोविन बायोटेक टीका 50% से अधिक प्रभावी है।

• वायरस के प्रोटीन आधारित टीके: उपसमुच्चय टीके में वायरस के हानिरहित हिस्से होते हैं। जैसे कि स्पाइक प्रोटीन या बाहरी सतह के प्रोटीन, जो कोविड-19 वायरस की सतह पर होते हैं, उन्ही की क्लोन की हुई फाेटोस्टेट या नकल होते हैं। इन्हें कणों पर (वीएलपी) लगाकर वैक्सीन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। ये अक्सर सुरक्षित होते हैं और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करते हैं। मिसाल के तौर पर रूस की एपिवाकोरोना वैक्सीन।

• वायरल वेक्टर वैक्सीन: इस प्रक्रिया में एक हानिरहित कैरियर वायरस का उपयोग किया जाता है, जो प्राकृतिक या आनुवांशिक इंजीनियरिंग द्वारा वायरस के जीन को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये कैरियर वायरस टीकाकरण के बाद मनुष्य में कोविड-19 वायरस की प्रोटीन से रोग प्रतिरोधकता विकसित करते हैं। उदाहरण के लिए गाम-कोविड-वैक या स्पुतनिक वी, रूस (92% प्रभावकारिता), एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड का वायरस का कोविड-शील्ड (90% प्रभावकारिता)। दोनों में कोविड-19 वायरस का स्पाइक प्रोटीन के लिए वेक्टर के रूप में एडेनोवायरस का उपयोग किया हैं।

कोविड-19 वायरस के आरएनए टीके

एक अत्याधुनिक दृष्टिकोण, जो प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए आनुवंशिक रूप से इंजीनियर एम-आरएनए का उपयोग कर एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया को विकसित कर प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करता है परंतु इसके लिए एक शक्तिशाली वितरण प्रणाली और सहौषधि की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए मॉडेर्ना (एम-आरएनए 1273) और फाइजर (बी एन टी 162b2)कोविड-१९ के टीके (94-95% प्रभावकारिता)।

क्या अन्य टीके भी कोविड-19 से बचाने में मदद करेंगे?

वैज्ञानिकों ने दावा किया है और अध्ययन भी कर रहे हैं कि क्या कुछ मौजूदा टीके – जैसे बैसिलस कालमेटी-ग्यूरिन (बीसीजी) टीका, जो बाल्यवस्था और किशोरावस्था में तपेदिक रोग के बचाव के लिए उपयोग किया जाता है, कोविड-19 के प्रभाव और प्रसार को रोकने में उपयोगी हो सकता है। हालांकि, बीसीजी टीका द्वारा प्रदत्त सुरक्षा गैरविशिष्ट और कई सवालों के घेरे में है।

क्या कोविड-19 टीके दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करेंगे?

आवश्यक जानकारी और प्रायोगिक नतीजों के अभाव में यह दावा करना जल्दबाजी होगी कि कोविड-19 टीके लंबी अवधि की सुरक्षा प्रदान करेंगे या नहीं, लेकिन वर्तमान में यह दावा किया जाता है कि बूस्टर टीकाकरण के बाद 6 से 8 महीनों तक ये कोविड-19 रोग से रक्षा कर सकते हैं।

यह पूरी तरह ज्ञात नहीं कि ये संक्रमण से बचाव करेंगे या नहीं और ना ही यह स्पष्ट है कि इनके लगने के बाद कोई कोविड-19 रोगी कैरियर रहेगा या बन सकेगा कि नहीं।

उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर यह सुझाव दिया गया है कि जो लोग कोविड-19 बीमारी से उबरते हैं, उनमें से अधिकांश में एक सुरक्षात्मक एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं। जिसके आधार पर कई देशों में सीरम थेरेपी का उपयोग किया गया है। कोशीय प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दोबारा संक्रमण से 6-8 महीनों के लिए सुरक्षा देती है।

कोविड-19 वैक्सीन किसे नहीं लगवाने चाहिए?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को सलाह दी है कि कुछ मेडिकल कंडीशन वाले लोगों को कोविड-19 वैक्सीन टीके नहीं लगवाने चाहिए, या टीका लगवाने से पहले इंतजार करना चाहिए। इस तरह की चेतावनी उनके लिए है जिन्हें पुरानी बीमारियां हैं या ऐसे उपचार के दौरान (जैसे कीमोथेरेपी) हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं।

टीके के अवयवों के लिए गंभीर और जानलेवा एलर्जी होने पर, जो बहुत दुर्लभ हैं, या जिन लोगों को कोई अन्य अस्थमा या सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है या टीकाकरण के दिन तेज बुखार है या दिल की बीमारी के चलते खून पतला करने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें – पैगंबर मोहम्मद की बताई खाने की वो चीजें, जो अब सुपरफूड हैं: रिसर्च- (2)

कोविड-19 टीकों से संभावित नुकसान?

किसी भी अन्य दवा की तरह, टीकों को कई हल्के दुष्प्रभावों का कारण माना जाता है। इसी तरह, कोविड-19 टीके भी इंजेक्शन की जगह पर दर्द या लालिमा, शरीर में हरारत, कमजोरी या हल्के बुखार कर सकते हैं।

अधिकांश मामूली या हल्की प्रतिक्रियाएं एक दिन या कुछ दिनों के भीतर चली जाती हैं। गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले दुष्प्रभाव अत्यंत दुर्लभ हैं। दुर्लभ प्रतिकूल घटनाओं का पता लगाने या सुरक्षा के लिए टीका लगवाने वालों की लगातार निगरानी की जाती है।

परीक्षणों के दौरान कोविड-19 टीकों के परिलक्षित होने वाले दुष्प्रभाव: कई कोविड-19 टीका परीक्षण कराने वालों ने हल्के, सुस्त और कुछ मामलों में पूरी तरह से असामान्य दुष्प्रभावों का अनुभव किया है।

यह कहा जाता है कि यदि आपने कोविड-19 टीका लगवाने का निर्णय लिया है, तो आपको वैक्सीन शॉट की जगह पर एक या अधिक दिनों के लिए दर्द और सूजन होना निश्चित है और बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, थकान और सिरदर्द (एक या दो दिन के लिए) हो सकता है।

यदि आपको 24 घंटे के बाद इंजेक्शन के स्थान पर लालिमा या कोमलता बढ़ जाती है या अन्य दुष्प्रभाव आपको परेशान कर रहे हैं या कुछ दिनों के बाद दुष्प्रभाव दूर नहीं हो रहे हैं तो आपको चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

दुष्प्रभाव फ्लू (सामान्य जुकाम) की तरह लग सकता है जो दैनिक गतिविधियों को करने की आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है, लेकिन उन्हें कुछ दिनों में दूर हो जाना चाहिए। टीका परीक्षण के बाद पता चला है कि टीका लगने के कुछ ही घंटों के भीतर 102 डिग्री फ़ारेनहाइट तक बुखार और कंपकंपाने वाली ठंड लगती है।

एंटीबॉडी के उत्पादन की शुरुआत भी इंजेक्शन के स्थान पर लालिमा और सूजन के साथ कम-ग्रेड या उच्च बुखार का कारण बन सकती है । फाइजर-कोविड-19 वैक्सीन के सामान्य रूप से रिपोर्ट किए गए दुष्प्रभावों में थकान (63%), सिरदर्द (55%) और मांसपेशियों में दर्द (38%) शामिल हैं। ये दुष्प्रभाव एक या दो दिन चलते हैं।

हालांकि, टीके से सबसे अधिक 84% सूचित दुष्प्रभाव इंजेक्शन जगह पर रिएक्शन है। टीका लगाए हुए हाथ को थोड़ा हिलाने पर दर्द हो सकता है। परीक्षण में कुछ प्रतिभागियों ने टीकाकरण के बाद ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, या बुखार की बात कही। टीका की दूसरी (बूस्टर) खुराक के बाद प्रतिक्रियाओं को अक्सर ज्यादा रिपोर्ट किया गया।

कुछ लोगों में टीकाकरण के उपरान्त बैल्स-पाल्सी के रूप में गंभीर दुष्प्रभाव जिसमें चेहरे के एक तरफ हल्की कमजोरी या हल्का लकवा हो जाता है, जो 7वें तंत्रिका की सूजन की वजह से हो सकती है।

टीकाकरण के बाद 24 घंटे के भीतर, 0.5% टीका परीक्षण प्रतिभागियों में चेहरे का लटकना, और चेहरे के भाव बनाने में कठिनाई, आंख बंद करना या मुस्कुराने में कठिनाई, जबड़े के आसपास या कान के पीछे दर्द आदि बताया। इसके अलावा टीकों से दुर्लभ गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं भी हो सकती हैं।

एनाफिलेक्सिस, एक संभावित प्राणघातक एलर्जी रिएक्शन है, जिसे अतीत में कई प्रकार के टीकों से जोड़ा गया है। मॉडेर्ना और फाइजर वैक्सीन प्राप्त करने के बाद गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया (1.31 प्रति मिलियन खुराक) मिली है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों को यह देखने के लिए सतर्क कर दिया कि क्या एनाफिलेक्सिस सभी कोविड-19 वैक्सीन से जुड़ा हुआ है, या केवल मैसेंजर आरएनए से बने फाइजर और मॉडेर्ना वैक्सीन से है।

फाइजर और मॉडेर्ना वैक्सीन प्राप्त करने के बाद परीक्षणों में आठ लोगों को बैल्स-पाल्सी (पक्षाघात) (Bell’s palsy) हो गया। वैक्सीन शॉट्स मिलने के बाद गुइलेन बैरे सिंड्रोम होने की भी एक संभावना है।

यह सलाह दी जाती है कि यदि आपको मैसेंजर आरएनए कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद तत्काल एलर्जी रिएक्शन हो, तो आपको दूसरी खुराक नहीं लेनी चाहिए। अगर आपको भोजन, पालतू पशु, विष, पर्यावरण एलर्जी, या लेटेक्स एलर्जी जैसी एलर्जी है, तो आपको टीका लगवाना चाहिए।

वैज्ञानिक जांच के अनुसार वैक्सीन शॉट्स के बाद होने वाली एलर्जी की प्रतिक्रिया पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल (पीईजी) यौगिक के कारण हो सकती है, जो वैक्सीन का एक हिस्सा है।

ये भी पढ़ें – पैगंबर मोहम्मद की बताई खाने की वो चीजें, जो अब सुपरफूड हैं: रिसर्च- (आखिरी कड़ी )

कोविड-19 टीकों का असर

इंटरनेशनल वैक्सीन एक्सेस सेंटर के निदेशक विलियम मॉस के अनुसार, “रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी)” ने कहा कि हम नहीं जानते कि टीके की एक खुराक के बाद क्या होगा, निश्चित रूप से हम यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि एक खुराक सुरक्षा प्रदान करेगा। तीन नैदानिक परीक्षणों से मालूम हुआ कि उच्च स्तर की सुरक्षा टीके की दूसरी खुराक के बाद दिखाई दी है।

उदाहरण के लिए, फाइजर का टीका, पहली खुराक के बाद लगभग 52 प्रतिशत प्रभावी पाया गया, दूसरी के बाद प्रभावशीलता 95 प्रतिशत तक बढ़ गई। फाइजर-बायोएनटेक और मॉडेर्ना क्लिनिकल ट्रायल से एक दिलचस्प खोज यह भी है कि टीके युवाओं की तरह बुजुर्गों (65 और इससे अधिक उम्र) में भी बराबर प्रभावी हैं।

वहीं 65 और इससे अधिक उम्र के लोगों में युवा लोगों की तुलना में कम साइड इफेक्ट्स का अनुभव होता है। कोविड-19 वैक्सीन की प्रभावशीलता वार्षिक फ्लू शॉट (40%) की प्रभावशीलता से कहीं बेहतर है।

कोविड-19 टीकाकरण क्यों? टीकाकरण का लक्ष्य “सामुदायिक प्रतिरक्षा,” या हर्ड-इम्युनिटी (झुंड-उन्मुक्ति) का निर्माण करना है, जहां पर्याप्त मानव जनसंख्या वायरस से सुरक्षित रहती है और नतीजतन बीमारी का प्रसार काफी धीमा हो जाता है।

हालांकि, वैक्सीनोलॉजिस्ट कोविड-19 के लिए प्रभावी झुंड-उन्मुक्ति प्राप्त करने के लिए जादुई संख्या (प्रतिरक्षित आबादी का अंश) के बारे में निश्चित नहीं हैं। उनका अनुमान है कि लगभग 70 प्रतिशत आबादी यदि प्रतिरक्षित हो जाए तो हमें कोविड-19 के प्रसार और रोग से मुक्ति मिल सकती है।

टीकाकरण के माध्यम से विकसित स्वास्थ्य प्रणाली वाले राष्ट्रों को भी इस जादुई संख्या को प्राप्त करने के लिए महीनों / वर्षों लग सकते हैं। इस अनुमान को देखें तो दूसरा पहलू ये भी है कि कोविड-19 का वायरस म्यूटेट करके तब तक नए तरीके से उभार सकता है।

इसके अलावा, अगले तीन वर्षों में बच्चे पैदा करने की प्रजनन आयु की योजना में लोगों को कोविड-19 टीकाकरण से परहेज करने की सलाह दी जाती है, विशेष रूप से एमआरएनए आधारित वैक्सीन से रोगाणु कोशिकाओं में अवांछित म्यूटेशन के संभावित डर के कारण (खुले तौर पर चर्चा नहीं की गई क्योंकि यह टीकों की स्वीकार्यता को और कम कर सकता है)।

कोविड-19 संक्रमण के बाद प्राकृतिक प्रतिरक्षा

कोविड-19 संक्रमण के बाद लोग (जिन्हें संक्रमण के बाद बिना लक्षण के या मामूली बीमारी) में काफी अच्छी और लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करते देखे गए हैं। ऐसे लोगों में संक्रमण के 6-8 महीने बाद भी कोविड-19 एंटीबॉडी एक अच्छे स्तर पर बना रहती है।

इस प्रकार यह परिकल्पित किया गया है कि लंबे समय तक चलने वाले एंटीबॉडी स्तर और प्रतिरक्षा स्मृति कोशिकाएं संभावित रूप से फिर से संक्रमण की गंभीरता को कम कर सकती हैं।

ये एक तरह से “प्रतिरक्षा पासपोर्ट” या “जोखिम-मुक्त प्रमाण पत्र” के समान है जो दोबारा संक्रमण से सुरक्षा देता है। हालांकि, सीमित डेटा साक्ष्यों की उपलब्धता ऐसे किसी भी प्रतिरक्षा पासपोर्ट की उपयोगिता की संभावना पर एक मत नहीं है और कई संस्थाएं सवाल उठाती हैं।

आज तक, कोई भी देश किसी व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी कोविड-19 प्रतिरक्षात्मक एंटीबॉडी रिपोर्ट के साथ यात्रा करने की अनुमति नहीं देता है। इसके लिए आरटी-पीसीआर आधारित एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट रिपोर्ट की आवश्यकता होती है।

लेकिन, उपयोग के लिए स्वीकृत वैक्सीन जो निश्चित रूप से सभी टीकाकृत मनुष्यों में प्रतिरक्षा की गारंटी नहीं देता उसके उपयोग पर सभी सरकारें सहमत हैं और जल्दी ही अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए ये एक आवश्यकता बनने वाली है।

अगर ऐसा होता है तो यही सिद्ध होगा की इस बीमारी और वैक्सीन के पीछे निश्चित ही कोई अघोषित और गलत उद्देश्य निहित है। कोविड-19 के टीके 90% से 94.5% प्रभावी हैं, लेकिन प्राकृतिक रूप से कोविड-19 संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा प्रभावकारिता 99.99% होती है।

हालांकि, एक प्राकृतिक संक्रमण प्रतिरक्षा प्राप्त करने का विकल्प नहीं हो सकता है क्योंकि कई (तीन में से एक) लोग जो कोविड-19 से उबरते हैं, उन्हें अनेक शिकायतें होती हैं, जिनमें थकावट और दिल का दौरा भी शामिल है।

कोविड-19 रोग से प्रभावित होकर बचे कई लोगों ने ल्यूपस और रुमेटीइड गठिया जैसे लक्षणों की सूचना दी है। कोविड-19 टीके, इसके विपरीत, केवल कुछ और थोड़ा ज्ञात दुष्प्रभाव दिखाते हैं। अब तक कोविड-19 टीकों का हजारों लोगों में परीक्षण किया गया है, और उनमें से अधिकांश ने किसी गंभीर दुष्प्रभाव का सामना नहीं किया ।

डॉ हैनगे ने कहा “एक बार जब आप लाखों लोगों का टीकाकरण शुरू करते हैं, तो आपको बहुत ही दुर्लभ घटनाएं मिल सकती हैं, लेकिन हमें यह जानना होगा कि कोविड-19 के प्राकृतिक संक्रमण से जुड़ी प्रतिकूल घटनाएं बहुत दुर्लभ और मामूली हैं।

एक और चिंता “रिसाव टीकाकरण (leaky Vaccination)” है। जब कोई टीका किसी व्यक्ति को लगाया जाता है, तब रोग के रोगाणु शरीर में फैलता रहता है, इसे रिसाव टीकाकरण कहा जाता है।

वर्तमान में कोविड-19 टीकों पर अध्ययन इस बिंदु पर नहीं हुआ हैं। रिसाव चिंता का विषय है क्योंकि यह बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक टीकाकरण कवरेज को बढ़ाता है और विषाणु की रोग उत्पादकता की क्षमता के विकास को भी बढ़ा सकता है।

क्या टीकाकरण के बाद भी हमें सामाजिक दूरी बनाए रखना और फेस मास्क का उपयोग करने की आवश्यकता है? सभी स्वास्थ्य सम्बंधित अधिकारियों का जवाब हां है, हालांकि शोधकर्ता और उपयोगकर्ताओं को उम्मीद है कि यह नहीं होगा।

ये भी पढ़ें – क्या बेजुबानों के जानलेवा जख्मों पर बेअसर हो रही हजारों करोड़ की वैक्सीन

बड़े सवाल

आज तक कोविड-19 की वैश्विक संक्रामकता 1.1 प्रतिशत है (बीसीजी का उपयोग करते हुए 0.09% और गैर-बीसीजी उपयोग करने वाले विकसित देशों में 3.36%), और संक्रमित लोगों में मृत्यु दर 3 प्रतिशत से कम रही है। ऐसी की स्थिति में, अर्थात कोविड-19 के लिए कुल वार्षिक मृत्यु दर केवल 0.03 प्रतिशत (मास्क और अन्य निवारक उपायों के साथ) है।

दूसरी ओर, सामान्य फ्लू से संयुक्त राज्य अमेरिका में 0.1 प्रतिशत की मृत्यु दर है, वैश्विक स्तर पर लगभग 0.65 मिलियन लोग मर गए हैं। पिछले एक साल में कोविड-19 महामारी से लगभग 91 मिलियन लोगों प्रभावित हुए हैं और दो मिलियन से कम लोगों के लिए यह रोग मृत्युकारक सिद्ध हुआ है (इसके बावजूद जबकि हर मरने वाले में इस विषाणु को कोशिश करके ढूंढा गया)।

फ्लू वायरस के किसी भी नए स्ट्रेन के साथ उच्च मृत्युदर आम है और इसे अतीत में कई इन्फ्लूएंजा वायरस उपभेदों के साथ देखा गया है। यहां तक कि मामूली परिवर्तन रुग्णता और मृत्यु दर में वृद्धि का कारण हो सकते हैं, जैसा कि 2017-18 में देखा गया था।

लोग अक्सर कहते हैं कि कोविड-19 से बचाव के लिए प्रमाणित टीकों में से किसी की भी बचाव क्षमता 95 प्रतिशत से ऊपर नहीं है । वास्तविक संक्रमण चुनौती का सामना करने के लिए अधिकतम 95% प्रभावी (> 50 से 95 प्रतिशत तक) वैक्सीन से 100 में से केवल पांच को ही यह बीमारी हो सकती है।

जबकि पिछले एक साल के अनुभव से पता चला है कि विश्व स्तर पर किसी भी वैक्सीन के अभाव में केवल 1.1 प्रतिशत लोगों को ही संक्रमण हुआ (0.0 से लगभग 10 प्रतिशत तक) और उनमें से केवल एक हिस्सा (पांच प्रतिशत से कम) को डायग्नोसिस से बीमारी पता लगी।

इससे तो बिना टीकाकरण की स्थिति बेहतर प्रतीत होती है। जब टीकाकरण का 5% और गैर-टीकाकरण वाले केवल 1.1% लोगों को कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा है!

संक्रमण की 1.1% दर सभी निवारक उपायों के साथ थी, लेकिन आपको टीकाकरण के बाद भी उन सभी एहतियातों का अभ्यास करना होगा, मतलब टीकाकरण के बाद भी मास्क और सामाजिक दूरी से राहत नहीं है।

इसके अलावा, सवाल गरीब या विकासशील देशों में कोविड-19 की संक्रामकता का भी है। गरीब देशों के ज्यादा संख्या में लोग तपेदिक से पीड़ित है और बीसीजी वैक्सीन का उपयोग करते हैं वहां कोविड-19 की संक्रामकता का प्रतिशत काफी कम है, उदाहरण के तौर पर भारत, जहां कोविड-19 संक्रामकता सिर्फ 0.7 प्रतिशत है, फिर हम टीकाकरण अभियान के पीछे क्यों भाग रहे हैं?

यह आश्चर्य की बात है कि भारत में बिना वैक्सीन, कोविड-19 बीमारी के कारण, वर्ष 2020 में 0.15 मिलियन से कम मृत्यु और लगभग 10 मिलियन संक्रमित हुए हैं, इसके बावजूद शासन के सभी स्तरों पर बहुत अधिक रोना है। आर्थिक रूप से विनाशकारी लॉकडाउन का उपयोग क्यों?

इससे भी अधिक अन्य घातक, लेकिन रोकथाम योग्य रोगों के लिए नहीं किया गया है, उदाहरण तपेदिक बीमारी के कारण 0.5 मिलियन से अधिक लोग प्रतिवर्ष मृत्यु का ग्रास बनते हैं और किसी भी समय 8.5 मिलियन टीबी रोगी भारत में वास करते हैं, देश में हर साल दस्त के 8.6 मिलियन और मलेरिया के 15 मिलियन मामले होते हैं।

सभी मतभेद के बावजूद यह माना जाता है कि टीकाकरण निश्चित रूप से झुंड-प्रतिरक्षा के निर्माण में मदद करेगा। कोई नहीं जानता कि न्यूनतम प्रभावी झुंड-प्रतिरक्षा (70 प्रतिशत) के लिए, कोविड-19 का अच्छा वैक्सीन टीका (90 से 95 % प्रभावकारिता के साथ) कितने समय में यह आंकड़ा छू पायेगा। आवश्यक प्रतिरक्षा के लिए कोविड-19 टीका एक वर्ष में कम से कम दो बार / द्विवार्षिक रूप से लगाया जाना चाहिए।

हर छह महीने में इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे विकसित राष्ट्रों के लिए भी क्या ऐसा कर पाना संभव होगा? यदि नहीं, तो समुदाय या झुंड-प्रतिरक्षा के निर्माण के लिए कोविड-19 वैक्सीन की वकालत क्यों की जा रही है? निश्चित रूप से यह केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों के लिए ही सबसे अच्छे फ्लू शॉट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

कोविड-19 महामारी से छुटकारा पाने के लिए विश्व की कोई भी सरकार तीन साल तक इस तरह के महंगे टीकाकरण कार्यक्रम को चलाने की स्थिति में नहीं है, और 80 प्रतिशत से कम प्रभावकारिता वाले वैक्सीन (भारत बायोटेक के कोवाक्सिन और चीनी वैक्सीन) का इस्तेमाल कोविड-19 महामारी नियंत्रित करने के लिए झुंड-प्रतिरक्षा पैदा करने के उद्देश्य से कभी नहीं किया जा सकता है।

ऐसे कम प्रभावकारिता वाले टीकों का उपयोग आम फ्लू के खिलाफ फ्लू-शॉट्स के समान आंशिक व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए ही किया जा सकता है।

ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका दोनों में हाल के सप्ताहों में कोरोनो वायरस के नए, अधिक संक्रामक वैरिएंट मिले हैं, जिन्होंने कोविड-19 रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि की है। ब्रिटिश स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने कहा है कि वह अब दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले वैरिएंट को लेकर बहुत चिंतित हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि नए दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट में महत्वपूर्ण “स्पाइक” प्रोटीन में कई म्यूटेशन हैं। ऑक्सफोर्ड-बैल (Oxford-Bell),जो ब्रिटेन सरकार के वैक्सीन टास्क फोर्स को सलाह देती है, ने कहा कि अनुमोदित टीके ब्रिटिश वैरिएंट पर काम करेंगे, लेकिन क्या वे दक्षिण अफ्रीकी संस्करण पर काम करेंगे! ये “बड़ा प्रश्न चिह्न” है?

(ये शोध इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के महामारी डिवीजन के प्रमुख व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. भोजराज सिंह, वरिष्ठ माइक्रोबायोलॉजिस्ट सुमेधा जी डहल, ऋचा गंधर्व एवं धर्मेंद्र कुमार सिन्हा का है, जिसे रिसर्च गेट पर प्रकाशित किया गया है। शोध को ‘आजाद इंडिया’ ब्लॉग पर भी प्रकाशित किया गया है।)

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here