सोनिया गांधी के पारी ख़त्म होने की बात का मतलब संयास या कुछ और

The Leader. कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी रायपुर के अधिवेशन में पारी समाप्त होने की बात कहकह चर्चा का सबब बन गई हैं. उनके इतना कहने को उनका संयास माना जाए या फिर अभी कांग्रेस के लिए सेवाएं देती रहेंगी. कांग्रेस के अंदर और बाहर भी उनकी इस बात का मतलब अलग-अलग तरह से निकाला जा रहा है लेकिन जिस तरह से कांग्रेस की बागडोर मालिकार्जुन खड़गे संभाल चुके हैं, इस मोड़ पर सोनिया गांधी वाक़ई अपनी पारी को विराम देने की मनोदशा में दिख रही हैं. यह और बात है कि कांग्रेसी फिलहाल ऐसा नहीं चाहते. इसकी वजह कांग्रेस के पास सोनिया गांधी के रूप में एक सर्वमान्य चेहरे के 2024 के लोकसभा चुनाव तक सक्रिय रहने की ज़रूरत हो सकती है.


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सोनिया गांधी ने अपने भाषण में बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी की उपलब्धियों और असफलताओं का भी ज़िक्र किया. उनके अध्यक्ष रहते 2004 से 2009 तक जब मनमोहन सिंह जब देश के प्रधानमंत्री रहे तो बड़ी उपलब्धि थी. रोज़गार की गारंटी, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार और भोजन का अधिकार जैसे बड़े फ़ैसले भी सोनिया के अध्यक्ष रहते लिए जा सके. कांग्रेस की बतौर महिला अध्यक्ष रहते अगर उनके महिलाओं के लिए अहम काम किए जाने की बात करें तो देश को पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल, लोकसभा को पहली दलित महिला अध्यक्ष मीरा कुमार मिलीं और महिलाओं के आरक्षण का बिल भी उनके कार्यकाल में पेश किया जा सका.


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उन्होंने पारी ख़त्म होने की बात कहते वक़्त राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा का जिक्र भी किया. अधिवेशन स्थल पर उनके कार्यकाल से जुड़ी एक फ़िल्म भी दिखाई गई. बहरहाल अब अगर सोनिया गांधी की पारी ख़त्म होने की बात को संयास मानें तो हो सकता है कि वो बुज़ुर्ग कांग्रेसियों को संदेश देना चाहती हैं. सोनिया 76 साल की हो चुकी हैं. कांग्रेस वर्किंग कमेटी में 50 साल से कम युवाओं, महिलाओं को लाने की तैयारी है. इसके लिए कांग्रेस ने अपने संविधान में बड़ा संशोधन किया है. कांग्रेसी और कांग्रेस की राजीनीति को क़रीब से देखने वाले पत्रकार तमाम तरह की बातें कह रहे हैं लेकिन थोड़ा इंतज़ार करना होगा कि सोनिया गांधी का इस विषय में साफ-साफ क्या बयान सामने आता है.

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