नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने ‘लव जिहाद‘ के नाम पर बने (विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन) कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं (Petitions) पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश (UP) और उत्तराखंड (UK) सरकार को नोटिस जारी किया है. हालांकि, अदालत (Court) ने कानूनों के उन प्रावधानों पर फौरीतौर से रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिनमें शादी के लिए धर्म परिवर्तन से पहले अनुमति लेना जरूरी है. (Love Jihad Supreme Court)
चीफ जस्टिस (CJI) एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ (Bench) बुधवार को अधिवक्ता विशाल ठाकरे और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ (सिटीजन्स फॉर जस्टिएस एंड पीस) की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन याचिकाओं में उत्तराखंड फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट-2018 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश-2020 को चुनौती दी गई है.
किसान आंदोलन पर सुप्रीमकोर्ट ने जताई चिंता, कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा
‘लाइव लॉ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में पीठ ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय (High Court) में संपर्क करने को कहा. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले से ही कानून के खिलाफ चुनौती पर विचार कर रहा है.
चीफ जस्टिस ने कहा, चुनौती पहले से ही उच्च न्यायालयों में लंबित है. आप वहां क्यों नहीं जाते. हम ये नहीं कह रहे हैं कि आपके पास एक बुरा मामला है. लेकिन आपको सीधे सुप्रीमकोर्ट के बजाय उच्च न्यायालयों का रुख करना चाहिए.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने कोर्ट में कहा कि प्रावधान दमनकारी हैं और विवाह करने से पहले इजाजत लेना एकदम अप्रिय है. उन्होंने प्रस्तुत किया-यूपी अध्यादेश के आधार पर पुलिस ने ‘लव जिहाद’ के आरोप में कई निर्देश व्यक्तियों को उठाया है.
इसे भी पढ़ें : उमर खालिद समेत यूएपीए के तहत बंद अन्य आरोपियों को जेल में मिलेगी चार्जशीट की सॉफ्ट कॉपी
कोर्ट ने एडवोकेट चंदर उदय सिंह और प्रदीप कुमार की दलीलें सुनने के बाद अपना विचार बदल किया वे दो राज्यों के कानूनों को चुनौती दे रहे हैं, जो समाज में व्यापक समस्याएं पैदा कर रहे हैं. अधिवक्ताओं ने प्रस्तुत किया कि मध्यप्रदेश, हरियाणा जैसे और राज्य समान कानूनों को लागू कर रहे हैं.
जब मामले एक से अधिक उच्च न्यायायों में लंबित हैं, तो ये उचित है कि सुप्रीमकोर्ट इस मामले पर विचार करे. अधिवक्ताओं के काफी मनाने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा, ‘ठीक है. हम नोटिस जारी करेंगे.’
उत्तर प्रदेश में कथित लव जिहाद पर रोक के लिए नवंबर में राज्य सरकार अध्यादेश लाई थी. इसके लागू होने के बाद से ही ये काफी चर्चा में बना है. इसके अंतर्गत राज्य में अब तक करीब 14 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 50 के आस-पास गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.
कुछ मामलों पर गलत तरीके से फंसाने के आरोप भी लगे हैं. इसमें एक मामला बरेली जिले का है, जिसमें पुलिस जांच में सामने आया था कि तीन युवकों के खिलाफ नए कानून के अंतर्गत जो मामला दर्ज किया गया है. दरअसल वो फर्जी है. पुलिस ने उस केस को रद कर दिया था.