पंजाब कांग्रेस में ‘झगड़ा’ जारी, अब सुनील जाखड़ ने सिद्धू की नियुक्ति पर उठाए सवाल

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द लीडर हिंदी, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में जारी अंदरूनी लड़ाई का अंत होता नहीं दिख रहा है. नवजोत सिंह सिद्धू की नियुक्ति पर अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि, पार्टी ने उन्हें भुला दिया है.

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कैप्टन अमरिंदर सिंह की तारीफ

इस दौरान उन्होंने इशारों-इशारों में सिद्धू की क्षमताओं पर भी सवाल उठाए हैं. साथ ही उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलनों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तारीफ भी की.

पार्टी ने उन्हें भुला दिया

जाखड़ ने खुले तौर पर पार्टी हाईकमान से सवाल किए हैं. उन्होंने कहा है कि, जो व्यक्ति कैप्टन और सिद्धू के बीच सुलह कराने की कोशिश कर रहा था, उसे ही कांग्रेस पार्टी ने भुला दिया.

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उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस में यह रिवाज बन गया है कि अगर कोई दुखी हो जाता है तो लोग उसे मनाने उसके घर तक जाते हैं, लेकिन आज आपने चाबियां किसके हाथ में दे दी? आज आपने सुनील जाखड़ को भुला दिया.

किसान मुद्दे को लेकर क्या बोले जाखड़

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि, अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा कोई और सीएम होता, तो आज केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ चल रहा विरोध पंजाब सरकार और कांग्रेस के विरोध में होता. क्योंकि नए कृषि कानूनों के खिलाफ पूरा पंजाब सामने आया है. जाखड़ ने कहा कि, सीएम ने इस बात को शानदार तरीके से संभाला और उन्हें दिल्ली सीमा पर भेज दिया.

पार्टी के राष्ट्रीय पुनरुद्धार का रास्ता पंजाब से होकर जाता है

साथ ही उन्होंने यह साफ किया है कि, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर दोबारा तैयार होने का रास्ता पंजाब से होकर जाता है. जबकि, पंजाब कांग्रेस के दोबारा सत्ता में आने का रास्ता कोटकपूरा और बेहबाल कलां से गुजरता है.

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14 अक्टूबार 2015 को बेहबाल कलां में 12 अक्टूबर को हुई गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के खिलाफ विरोध कर रहे दो युवाओं की पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी. उसी दिन पुलिस ने कोटकपूरा में भी प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थीं, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे. कैप्टन के साथ तनातनी के बीच सिद्धू ने भी बेअदबी का मामला उठाया था.

पार्टी फिर होगी संकट का शिकार!

इधर, राहुल गांधी पंजाब में जारी सियासी संकट को खत्म करने की कोशिश में हैं. वहीं, नए उठ रहे तनावों के चलते पार्टी को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके अलावा पंजाब के नेता भी इस बात की आशंका जता चुके हैं कि सिद्धू को बड़ा पद दिए जाने के बाद भी विवाद सुलझेगा नहीं, बल्कि टिकट वितरण के समय और खुलकर सामने आएगा.

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