सिलबट्टे में पीसे मसालों से मिलता है चटकारे भरा स्वाद… लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध ने छीन ली पत्थरों के कारीगरों की रोजी-रोटी

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द लीडर। भोजन में चटकारे भरा स्वाद बिना मसालों के नहीं आ सकता, और वो मसाले अगर सिलबट्टे पर पिसे हों तो फिर स्वादिष्ट भोजन तो बनेगा ही साथ ही आपकी सेहत को भी नुकसान नहीं होगा। इसके साथ ही पौष्टिक तत्व भी आपको मिलते हैं।

आधुनिकता की चकाचौंध के सामने पहचान खो रहे कारीगर

लेकिन पत्थरों को तराश कर आपके स्वाद और सेहत का ध्यान रखने वाले कारीगर आज आधुनिकता की चकाचौंध के सामने अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। उत्तराखंड के काशीपुर में पत्थरों के कारीगर अब भुखमरी की कगार पर आ गए है।


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लजीज भोजन की चाह हर किसी को होती है, और उस भोजन में यदि आपकी सेहत का भी ख्याल हो तो इससे बेहतर और आपके लिए क्या हो सकता है।

आधुनिकता की चकाचौंध और समय की व्यस्तता ने हर किसी को इस आसानी से काम करने वाली मशीनों से घेर दिया है, जिसके चलते सेहत से खिलवाड़ हो ही रहा है, साथ ही ना वो स्वाद ही भोजन में मिल पता है जिसकी हमें चाह है। वहीं पत्थरों के कारीगर भी अब भुखमरी की कगार पर पहुंचने लगे है।

सिलबट्टे पर पिसे मसालों से मिलता है स्वाद

हम बात कर रहे हैं सिलबट्टे पर पिसे मसालों के स्वाद की, सिलबट्टे पर पिसी चटनी का स्वाद हो या फिर भोजन के लिए पिसे गये मसाले, निश्चित तौर पर उसका स्वाद ही आपको चटकारे लेने पर विवश कर देगा, लेकिन मजेदार बात तो ये है कि, सिलबट्टे पर पीसे मसाले आपकी सेहत के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि पिसे मसाले आपको पौष्टिक तत्व देते है।

जी हां सिलबट्टे के मसाले आपकी सेहत के लिए वास्तव में वरदान साबित हो सकते हैं, यही नहीं मिक्सी से पिसे मसाले आपकी सेहत को धीरे-धीरे जो नुकसान भी पहुंचाएंगे, वहीं अगर बात करें इन कारीगरों के दर्द की, तो इनके अनुसार पहले सिलबट्टे की मांग अधिक थी तो इनके हुनर के चलते इनका परिवार का गुजर बसर हो जाता था, लेकिन मांग कम होने के चलते अब ये कारीगर भुखमरी की कगार पर पहुंच गये है।

बाजार में सिलबट्टे की बिक्री हुई कम

सदियों से उत्तराखंड के काशीपुर के चैती मेले में पत्थरों का बाजार लगता रहा है, लेकिन अब सिलबट्टों की बिक्री कम होने से मेले में पत्थरों के बाजार की रौनक भी कम हो गयी है। मशीनी दौर में समय की बचत पर तो हमने ध्यान दे दिया लेकिन सेहत को लेकर हम उतने ही लापरवाह हो गये, और जिन पौष्टिक तत्वों की हमारे शरीर को जरुरत थी वो हमारे शरीर से दूर होते चले गये।

लिहाजा इसके एवज में हमको मिली तो बीमारियां, जिसने हमको जकड़ लिया है, लेकिन आज भी अगर हम अपनी सेहत के प्रति सचेत होकर पुरानी वस्तुओं से भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान दें तो निश्चित तौर पर स्वस्थ शरीर के साथ ही बीमारियों को भी अलविदा कर सकते हैं, साथ ही वो पुरानी धरोहर भी संजोये रख सकते है जो विलुप्त हो रही है।


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