आंबेडकर जयंती पर पढ़िए आरडी आनंद की तीन प्रमुख कविताएं

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बीते दो साल से महामारी में आंबेडर जयंती पर लोग मायूस रहे। इस बार तैयारियां काफी पहले ही शुरू कर दी गईं और धूमधाम से पूरे देश में ही नहीं, कई दूसरे देशों में भी डॉ.आंबेडकर को याद किया जा रहा है। इस मौके पर उन्हें याद करने के लिए वरिष्ठ चिंतक आरडी आनंद ने कुछ कविताएं लिखीं हैं, जो डॉ.आंबेडकर के विशाल व्यक्तित्व और आज के हालात को बयां करती हैं। (Poems On Ambedkar Jayanti)

(1)

आम्बेडकर

एक दीप्तमान शब्द है,
एक वर्ग की पहचान है;
आम्बेडकर
त्रिसूत्र है-
समता, स्वतंत्रता और बन्धुत्व;
आम्बेडकर
नई दुनिया का संविधान है,
सिंबल ऑफ नॉलेज है;
आम्बेडकर
मानवता का धर्म है,
सील, समाधि और प्रज्ञा है;
आम्बेडकर
त्रिशरण है
पंचशील है
अष्टांगिक मार्ग है;
आम्बेडकर
बिना क्रान्ति समाजवाद है;
आम्बेडकर
वर्गविहीनता है,
आम्बेडकर
आम्बेडकरवाद है
जातिप्रथा-उन्मूलन-
गैर-बराबरी, छुआ-छूत और उँच-नीच का लोप;
आम्बेडकर
दलितों, शोषितों, उत्पीड़ितों की आवाज़ है
मजलूमों की अस्मिता है
परिवर्तन की महत्वाकांक्षा है। 

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(2)

नीली मूर्ति

तुम उस मूर्ति की कल्पना करो
जो गढ़हे में है
जिसके बगल कूड़े का ढ़ेर है
जहाँ सुअर अपने बच्चों के साथ डुहकते हैं,
मूर्ति का वह हाथ गायब है
जिसकी अँगुली संसद की तरफ इशारा करती है
वह किताब तोड़ दी गई है
जिस पर तुम्हें नाज़ है;
मूर्ति नीली है
चश्मा गोल है
टाई का रंग लाल अब भी दिख रहा है;
दो तरह के लोग हैं,
दो तरह के विचार हैं,
वह कहता है
सुअर के औलाद
इतने बड़े आदमी की बेज्जती करवाते हैं
क्या जरूरत थी
गढ़हे में मूर्ति लगवाने की
कूड़े की गंध
और सुअर की चाभ
न कोई सुरक्षा न कोई सफाई
लेकिन, मैंने प्रबुद्ध लोगों को कहते सुना है
यह देखो गढ़हे में पहाड़ उग रहा है
देखो! देखो! कूड़े के ढ़ेर से कोई टाई वाला लुभा रहा है
उसका नीला शान्ति से
उसकी उँगली संसद पर
कब्ज़ा का संकेत दे रहे हैं
संसद अपना तो संविधान अपना;
जरूर इसी को कीचड़ में कमल कहते हैं,
यह तमाम पाखण्डों का नकार है
और, उनके छल-छद्मों का प्रतिकार भी है,
यह परिवर्तन का संकेत तो है ही
यह युद्ध का ललकार भी है।
(Poems On Ambedkar Jayanti)

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(3)

लाल टाई

लाल टाई! लाल टाई!
लाल टाई क्या है
लाल टाई एक प्रतिमान है
डॉ. भीम राव आम्बेडकर की अवचेतना है
जब वे कहते हैं
प्रज्ञा, करुणा, शील
तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं
कि कोई मारता रहे और तुम सहते रहो
लाल टाई संकेत है अंतिम उपाय का
कि तुम उसका गला पकड़ लो
जातिप्रथा उन्मूलन बोलता है
वे हर परिस्थितियों में युद्ध से मना करते हैं
लेकिन आखिरी उपाय तो
लाल टाई की तरह ही चमकता है
कि अंततः तुम्हें डायनामाइट लगाना ही पड़ेगा
डायनामाइट ब्लॉस्ट का रंग लाल है
लाल टाई विदेशी है और
स्वदेशियों के ज़ुल्म के विरुद्ध एक हंटर भी,
पूना पैक्ट की करुणा सापेक्षिक है
गरीब, निरक्षर और भूमिहीन
सब दलित हैं
सब शोषित है
इन्हीं की झोपड़ियाँ जलतीं
इन्हीं का खून बहता
लेकिन उस समय भी
लाल टाई एक सौगंध है
ज़ुल्म की दास्तां के विरुद्ध
खून से सने कफ़न की तरह
हर जुल्म का बदला हम लेंगे
करुणा के नव्य सागर ने
लाल टाई धारण कर रखा है
लाल टाई क्रान्ति का संकेत है
संकेत ही अंतिम विकल्प है।
(Poems On Ambedkar Jayanti)

 

(रचनाकर वरिष्ठ मार्क्सवादी दलित चिंतक हैं)


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