तो उत्तराखंड में कुछ बड़ा होने वाला है! संकट में त्रिवेंद्र!

दिनेश जुयाल

ऐसा क्या हुआ कि गैरसैंण में चलने वाला विधानसभा के बजट सत्र आनन फानन में चार दिन पहले ही आनिश्चितकाल के लिए टालकर सरकार और विधायक देहरादून लौट रहे हैं। पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह देहरादून पहुंच गए हैं जहां वे शाम को पार्टी की कोर कमेटी की अहम बैठक लेने वाले हैं। प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार भी वहां पहुंच चुके हैं। दो बजे बीजापुर गेस्ट हाउस में बैठक की तैयारी हो रही हैं।सभी विधायकों को भी बुला लिया गया है।

 

सत्ता के गलियारों में एक ही अटकल घूम रही है कि इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की कुर्सी खतरे में दिख रही है। भाजपा
नेताओं के फोन या तो उठ नहीं रहे या व्यस्त हैं।उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए खींचतान की लंबी कहानी है। यहां सिर्फ एन डी तिवारी ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए, हालांकि सहज वह भी नहीं रहे। बाकी को या तो आधी पारी मिली या आधे में ही छोड़ना पड़ा। त्रिवेंद्र अपने राज के चार साल पूरे करने पर प्रदेश भर में जश्न की तैयारी कर रहे हैं और इधर चर्चा गर्म है कि इस बार तो झटका लगने वाला है।

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सत्ता में पकड़ रखने वाले सूत्र भी इतना तो कह रहे हैं कि कुछ बड़ी गड़बड़ लगती है लेकिन साथ ही यह भी कह रहे हैं कि डैमेज कंट्रोल के प्रयास चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि 18 को सरकार के चार साल पूरे होने पर समारोह की तैयारियों पर चर्चा होनी है और अगले सप्ताह राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के भी देहरादून आने की संभावना के मद्देनजर मंथन होना है। इसीलिए सीएम और मंत्रियों को भी गैरसैंण से बुलाया गया है।

विधानसभा का सत्र दोपहर तक जारी था लेकिन खबर है कि इसे भी अनिश्चतकाल के लिए स्थगित किया जा रहा है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह जब से इस पद पर आसीन हुए तब से कभी दो तो कभी छह महीने बाद उनके बदलने की अटकलें तैरने लगती हैं। पार्टी के लोगों को दायित्व बांटने और मंत्रिमंडल के विस्तार पर भी वह लंबे समय तक अटकते रहे हैं।

हाल ही में उनके दिल्ली दौरे के बाद खबर आयी कि उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार की हरी झंडी मिल चुकी है लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। उनके प्रधानमंत्री से मिलने की बात को कांग्रेस ने झूठी खबर करार दे दिया लेकिन केंद्रीय मंत्रियों से उनकी मुलाकात की तस्वीरें भी छपी।आम तौर पर जब भी पार्टी में नेतृत्व संकट पैदा हुआ इस तरह अचानक पर्वेक्षक तभी भेजे गए। मेजर जनरल खंडूड़ी और निशंक के अधूरे कार्कालों में भी ऐसा हुआ। अब तक के घटनाक्रम से भी जाहिर है कि मुख्यमंत्री को भी अचानक होने वाली इस बैठक का कोई पूर्वाभास नहीं था।

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Ateeq Khan

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