देहरादून : कहां जा रहे हो बेटे ? बिजनौर जा रिया हूं.साइकिल से पहुंच जाओगे? हां नानू के घर जा रिया हूं। गुस्से में क्यों हो?
मैंने बर्थ डे मनाने को कहा तो डांटने लगे इसलिए पुलिस वाले को समझ में आ गया कि बच्चा नादान है और रूठा हुआ है। बच्चे को कहा चलो हम मनाते हैं तुम्हारा बर्थ डे। बच्चे को नेहरू कालोनी थाने लाया गया। केक मंगाया गया और फिर तोहफे देकर उसे उसके पिता मतलूब के साथ घर भेज दिया। जब तक पुलिस उसके घर वालों को ढूंढती तब तक अरहम ने थाने वालों की मेज़बानी का मजा लिया।नौ साल के अरहम को अब्बू की डांट पर गुस्सा आ गया।
उसका बर्थ डे था और कोई तैयारी नहीं। अब सामान्य घरों में कौन बच्चे का बर्थ डे मना पाता है। बच्चे ने ज़िद की तो रूठ गया और साइकिल उठा कर चल दिया। किस्मत अच्छी थी कि एक भले पुलिस वाले के मन में उसे देख कर कुछ खटका। बच्चे को भटका सा देख उसने रोका और सवाल करने लगा।
बच्चा अपने घर का सही पता नहीं बता पा रहा था। पुलिस को इतना तो समझ में आ गया कि बच्चा आसपास का ही है। कुछ व्हाट्सएप्प ग्रुप में उसकी फोटो डाली गई। चीता मोबाइल को एलर्ट किया गया। थोड़ी देर में उसके माता पिता थाने पहुंच गए। तब तक तो हैप्पी बर्थ डे भी हो चुका था। खाकी में इंसान नाम की पुस्तक लिखने वाले उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार अपनी पुलिस की इस भूमिका से बहुत खुश हैं। देहरादून के एसएसपी योगेंद्र रावत ने भी इस घटना को बड़े रोचक अंदाज में ट्वीट किया है।
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