क्रिकेटर वसीम जाफर प्रकरण की जांच सचिव करेंगे, विधानसभा में ऐलान

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द लीडर। वसीम जाफर को क्यों इस्तीफा देना पड़ा? और क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड में खिलाड़ियों के चयन के नाम पर क्या खेल हो रहा है? इसकी जांच अब सचिव स्तर से होगी। गैरसैंण में चल रहे बजट सत्र में कांग्रेस विधायक करण माहरा की मांग पर खेल मंत्री अरविंद पांडे ने सचिव से पूरे प्रकरण की जांच कराने की घोषणा कर दी है। वैसे इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका विचाराधीन है। इस मामले में कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

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बीसीसीआई की मान्यता कमेटी की रिपोर्ट में भी सीएयू की गड़बड़ियों का जिक्र है। इधर उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएन भी ताल ठोंक कर मैदान में है उसका दावा है कि वह प्रदेश में क्रिकेट गतिविधयों के संचालन में खुद समर्थ है।शुक्रवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक करण माहरा ने कहा कि इस माममले में कांग्रेस के लोग भी शामिल हैं लेकिन वह दलगत राजनीति से अलग खेल के हित में इस मामले की जांच चाहते हैं।

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर उपनल में लिपिक की हैसियत का आदमी किस तरह संगठन का सचिव बना दिया जाता है। उनका इशारा सीधे माहिम वर्मा की तरफ था जिन्होंने वसीम जाफर परसांप्रदायिक होने का आरोप लगा कर उन्हें मुख्य कोच पद से इस्तीफा देने को विवश किया था। खुद वसीम यह आरोप लगा चुके हैं हैं कि उन पर नाकाबिल खिलाड़यों के चयन के लिए दबाव बनाया गया और विरोध करने पर उनकी छवि धूमिल करने के लिए राजनीति की गई।

इस बीच उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएसन के सचिव चंद्रकांत आर्य का दावा है कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप हो जाएगा । उनका कहना है कि बीसीसीई ने नियमों की अनदेखी कर सीएयू को मान्यता दी है, उसका खुलासा हो जाएगा। सीनियर टीम के चयनकर्ता मनोज मुद्गल और वसीम जाफर ने जो आरोप लगाए हैं वो गलत नहीं. (Secretary Investigate Wasim Jaffer Case)

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