नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में इस साल भाजपा की सीधी टक्कर फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से हैं। फुरफुरा शरीफ का राज्य के मुसलमानों पर अच्छा प्रभाव है। पार्टी को अल्पसंख्यक मतों में विभाजन की उम्मीद है। सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) ने इस बार कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन किया है।
दरअसल राज्य में मुसलमान मतदाता करीब सौ सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। इस वर्ग का मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण और उत्तर परगना के साथ-साथ मुर्शिदाबाद में व्यापक प्रभाव है। राज्य में करीब 28 फीसदी मतदाता इसी वर्ग से हैं।
ऐसे में भाजपा को पता है कि अगर यह वोट बैंक मजबूती के साथ टीएमसी के साथ खड़ा रहा तो सत्ता हासिल करने का उसका सपना पूरा नहीं होगा। गौरतलब है कि मुस्लिम वोट के कारण ही लोकसभा-विधानसभा के बीते दो चुनावों में टीएमसी का वोट शेयर 43-45 फीसदी के बीच रहा।
#BengalElection : आखिर बंगाल में क्यों बजता है दीदी का डंका
अब्बास से उम्मीद क्यों
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ओवैसी को लेकर राज्य के मुसलमान सतर्क हैं। राज्य में थोड़े अंतर से राजग सरकार का रास्ता न रोक पाने की टीस राज्य के अल्पसंख्यक वर्ग में है। मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा राज्य में सत्ता परिवर्तन न होने के लिए ओवैसी को जिम्मेदार मानता है।
हालांकि सिद्दीकी और उनकी पार्टी की स्थिति दूसरी है। सिद्दीकी स्थानीय और बंगाली मुसलमान हैं। उनकी पार्टी कांग्रेस-वाम दल के साथ चुनाव मैदान में है।
किसान आंदोलन के शतक पर राहुल गाँधी का केंद्र को बाउंसर
भाजपा मुसलमानों को देगी टिकट
इस बार भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह मुसलमानों को टिकट दे सकती है। भाजपा चाहती है कि वह टीएमसी के पक्ष में ध्रवीकरण न हो।