मिसाल बनकर उभरा सहारनपुर का ये गांव, अफवाहों के बीच 45+ के सभी लोगों को लगा टीका

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द लीडर हिंदी, सहारनपुर। उत्तर प्रदेश में सहारनपुर की कोतवाली गंगोह का गांव खड़लाना जिले का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का शत-प्रतिशत कोविड-19 वैक्‍सीनेशन हो चुका है।

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45+ के सभी लोगों को लगी वैक्सीन

प्रशासन की तरफ से इस गांव में दो सप्ताह से कैम्प लगाकर टीकाकरण कराया जा रहा था। सम्भवतः खड़लाना सूबे के पहला ऐसा गांव है, जहां पर 45 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है।

वैक्सीनेशन मामले में मिसाल बनकर उभरा ये गांव

कोरोना वैक्‍सीनेशन में सबसे बड़ी बाधा ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीन के प्रति लोगों की उदासीनता और मुस्लिम समाज के लोगों में फैली भ्रांतियां मानी जा रही हैं। इन तमाम दिक्कतों के बावजूद सहारनपुर का यह गांव कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में मिसाल बनकर उभरा है।

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18+ के 25% युवा भी ले चुके वैक्सीन की डोज 

नकुड़ तहसील के जॉइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल के मुताबिक, गंगोह विकास खंड के ग्राम खड़लाना में 45 वर्ष सेअधिक आयु के सभी व्यक्तियों को कोरोना की प्रथम डोज दी जा चुकी है। इसके अलावा 18+ के 25 प्रतिशत युवा भी वैक्सीन की डोज ले चुके है।

कोरोना वैक्सीन को लेकर फैली थी अफवाह

वहीं गांव के लोगों का कहना है कि, पहले कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के भ्रम सामने आए थे लेकिन जब गांव में कई लोगों की कोरोना के चलते मौत हुई, उसके बाद ग्रामीणों में भय सताने लगा और अंत मे उन्होने वैक्सीन को ही अपना सुरक्षा कवच मानते हुए टीका लगवाया।

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महामारी से बचने के लिए वैक्सीन सबसे बड़ा सुरक्षा कवच

जिसके चलते इस गांव में 45+ के सभी लोगों का शत प्रतिशत वैक्सिनेशन हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि, जब उन्होंने वैक्सीन ली तो थोड़ी बहुत दिक्कत आयी लेकिन अब सब ठीक है। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि, महामारी से बचने के लिए वैक्सीन सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है.

डोर-टू-डोर करना पड़ा टीकाकरण

जॉइंट मजिस्ट्रेट ने बताया कि, जब हमने वैक्सिनेशन शुरू किया तो गांव के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। टीकाकरण के विरोध की जानकारी मिलने पर जॉइंट मजिस्ट्रेट ने चिकित्सा केंद्र प्रभारी, लेखपाल, एएनएम एवं आशा की टीमों के साथ गांव में विचार गोष्ठी, कैंप आदि का आयोजन कर लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक किया।

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कोरोना से बचाव में वैक्‍सीनेशन की भूमिका का प्रचार प्रसार करने व डोर-टू-डोर टीकाकरण के माध्यम से संभव हो पाया है। इस तरह खड़लाना में 900 लोगों ने टीकाकरण कराया है। आठ व्यक्तियों को गंभीर बीमारी के चलते टीका नहीं लगाया गया है। इस ग्राम पंचायत को मॉडल के तौर तैयार किया गया है।

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