Punjab Politics : पंजाब सरकार ने मंत्री कांगड़ के दामाद को अनुकंपा के आधार पर दी सरकारी नौकरी, मुखर हुआ विपक्ष

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द लीडर हिंदी, चंडीगढ़। पंजाब में ये क्या हो रहा है…पंजाब कांग्रेस की आपसी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बता दें कि, दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने के बाद अब मंत्री के दामाद को नौकरी देने पर पंजाब में सियासी हलचल काफी तेज हो गई है. वहीं पंजाब की कांग्रेस सरकार के खिलाफ विपक्ष भी मुखर हो गया है. और सीएम कैप्टन अमरिंदर के फैसले का नवजोत सिद्धू गुट विरोध कर रहा है. दरअसल, यह मामला कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को सरकारी नौकरी देने से जुड़ा है. पंजाब की अमरिंदर सरकार पहले से ही दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी दिए जाने का विरोध झेल रही है. वहीं अब कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद गुरशेर सिंह को अनुकंपा के आधार पर एक्साइज और टेक्सेशन इंस्पेक्टर बनाया गया है. जिसका विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा है.


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कैप्टन अमरिंदर के फैसले के खिलाफ सिद्धू गुट

पंजाब सरकार के एक्साइज विभाग ने मंत्री के दामाद को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने पर विभाग की तरफ से पहले ही आपत्ति जताई गई थी. अब सिद्धू गुट भी सीएम अमरिंदर के इस फैसले के खिलाफ हो गया है. बता दें कि, गुरशेर के पिता का सरकारी सेवाएं देने के दौरान ही निधन हो गया था. इसीलिए कैबिनेट मंत्री कांगड़ ने सीएम अमरिंदर सिंह से दामाद गुरशेर को अनुकंपा के आधार पर एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर की पोस्ट पर नियुक्त करने की अपील की थी. बता दें कि, कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ ने पिछले साल सीएम से उनके दामाद को सरकारी नौकरी देने की अपील की थी. लेकिन उस समय उनकी मांग पर सीएम अमरिंदर के कोई फैसला नहीं लिया था.

करोड़ों की संपत्ति का मालिक है गुरशेर 

दरअसल एक्साइज विभाग ने कहा था कि, गुरशेर करोड़ों की संपत्ति का मालिक है. इसीलिए उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती है. लेकिन कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार की ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है कि, अमीर घरानों के लोगों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती. बता दें कि कैबिगेट मंत्री का दामाद गुरशेर पूर्व एक्साइज और टेक्सेशन इंस्पेक्टर भूपजीत सिंह के बेटे हैं. भूपजीत रवि सिद्धू कैश-फॉर-जॉब घोटाले में एक व्हिसल ब्लोअर थे. नौकरी के दौरान ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी.


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शुक्रवार को पंजाब कैबिनेट ने दी मंजूरी

बता दें कि, पंजाब के मंत्रिमंडल ने राज्य मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद गुरशेर सिंह को अनुकंपा के आधार पर आबकारी एवं कराधान निरीक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णय को अवैध करार देते हुए कहा कि, इसे रद्द कराने के लिए पार्टी सभी उपलब्ध विकल्पों का प्रयोग करेगी. राज्य सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि, पंजाब लोक सेवा आयोग-नौकरी के बदले नकद घोटाले मामले का खुलासा करने में गुरशेर सिंह के पिता भूपजीत सिंह ने अहम भूमिका निभाते हुए आयोग को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का काम किया.

जसबीर कौर ने बेटे को रोजगार देने का किया था अनुरोध

बयान के अनुसार, कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार दिवंगत भूपजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर ने दिनांक 26 जून, 2020 के अपने आवेदन के माध्यम से अपने बेटे गुरशेर सिंह को रोजगार देने का अनुरोध किया था। सरकारी नीति दिनांक 21 नवंबर 2002 और संशोधन 28 दिसंबर 2005 के पत्र के अनुसार मृत कर्मचारी/अधिकारी के उत्तराधिकारियों को मृत्यु की तारीख से एक वर्ष के भीतर रोजगार के लिए आवेदन करना होता है. सरकार की नीति यह भी स्पष्ट करती है कि, यदि नौकरी के आवेदन में देरी का कोई वास्तविक कारण है तो कार्मिक विभाग से विशेष अनुमोदन प्राप्त करने के बाद उम्मीदवार के आवेदन पर पांच साल की देरी तक विचार किया जा सकता है.


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नेताओं के परिवार के सदस्यों तक सीमित है पंजाब सरकार- मजीठिया

इसके अलावा विशेष रूप से गुरशेर सिंह की योग्यता बैचलर ऑफ कॉमर्स है जोकि आबकारी और कर निरीक्षक के पद के लिए फायदेमंद है. उम्मीदवार की योग्यता और उनके पिता भूपजीत सिंह द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान किए गए योगदान को देखते हुए, आबकारी एवं कराधान निरीक्षक के पद के लिए आवेदक पर विचार किया गया है और कैबिनेट ने विशेष परिस्थिति में गुरशेर की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान कर दी है. शिअद के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर अपने नेताओं के परिजनों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया. मजीठिया ने कहा कि, मंत्रिमंडल के फैसले से पता चलता है कि, कांग्रेस सरकार की ‘घर-घर रोजगार’ योजना राज्य के मंत्रियों और पार्टी विधायकों और नेताओं के परिवार के सदस्यों तक ही सीमित है.

कांगड़ा पहले कैप्टन के विरोधी गुट में शामिल थे

नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी और पंजाब के कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने गुरुशेर की नियुक्ति पर आपत्ति जाहिर की है. उनका कहना है कि पहले भी उन्होंने इस बात का विरोध किया था. खबर के मुताबिक, कांगड़ा पहले कैप्टन के विरोधी गुट में शामिल थे. ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ ही हफ्ते पहले उन्होंने खेमा बदल लिया और सीएम के पक्ष में आ गए.


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कैबिनेट मंत्री के दामाद को मिली सरकारी नौकरी

भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोपों के बीच, पंजाब सरकार ने राजस्व मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद गुरशेर सिंह को अनुकंपा के आधार पर आबकारी और कराधान निरीक्षक के रूप में नियुक्त किया है. इस मामले को मिसाल के तौर पर देखे बिना नौकरी को “एकमुश्त छूट” के रूप में दिया गया है. कार्मिक विभाग ने इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि, गुरशेर सिंह करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं और अनुकंपा के आधार पर नियोजित होने के के लायक नहीं हैं. हालांकि कैबिनेट की बैठक में किसी भी मंत्री ने नियुक्ति पर आपत्ति नहीं की.सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि, मंत्रियों के परिजनों के बजाय, पार्टी द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों के अनुरूप जरूरतमंदों को नौकरी दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि, अब सवाल उठ रहे हैं कि चुनाव से पहले ऐसे फैसले क्यों लिए जा रहे हैं?

पंजाब सरकार ने दो विधायकों के बेटों को भी दी नौकरी

कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि, गुरशेर के पिता भूपजीत सिंह ने नौकरी घोटाले को उजागर करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिसमें तत्कालीन पीपीएससी अध्यक्ष रवि सिद्धू शामिल थे. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उनकी विधवा जसबीर कौर ने अपने पति की मृत्यु के लगभग नौ साल बाद 26 जून, 2020 को अपने बेटे के लिए नौकरी के लिए अनुरोध किया था. बता दें कि, सरकार ने हाल ही में विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा के बेटे को डीएसपी और एक अन्य विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार नियुक्त करके आलोचनाओं को आमंत्रित किया था.


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