कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के विरासत टेक्स बयान पर सियासी बवाल, जानिए पार्टी ने क्यों झाड़ा पल्ला

द लीडर हिंदी: कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के एक बयान पर सियासी बवाल छिड़ गया है.सैम पित्रोदा के विरासत टेक्स वाले बयान पर राजनीति गरमा गई है.इस पूरे मामले पर कांग्रेस अपना पल्ला झाड़ती दिखाई दे रही है.बता दें कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि सैम पित्रोदा को खुलकर और आजादी से अपने विचार रखने का अधिकार है. लेकिन यह जरूरी नहीं कि पित्रोदा के विचार किसी मुद्दे पर कांग्रेस का पक्ष हों. कई बार वे नहीं होते.

गौरतलब है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने पीएम मोदी के संपत्ति के बंटवारे वाले बयान के बाद विरासत टैक्स को लेकर टिप्पणी से भारत की राजनीति में हलचल मचा दी है. सैम पित्रोदा ने कहा, ‘अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है. अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 फीसदी अपने बच्चों को दे सकता है. 55 फीसदी सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है. यह एक दिलचस्प नियम है. यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए. हालांकि पूरी नहीं, आधी ही. ये जो निष्पक्ष कानून है मुझे अच्छा लगता है.

पित्रोदा के इसी बयान को लेकर जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “वे मेरे और दुनिया में कई लोगों के अच्छे मेंटर, दोस्त और मार्गदर्शक रहे हैं. पित्रोदा किसी भी मुद्दे पर अपनी राय को स्वतंत्रता के साथ रख सकते हैं. जाहिर तौर पर एक लोकतंत्र में लोगों को अपने निजी विचारों पर चर्चा करने और उन्हें रखने का अधिकार है. इसका यह मतलब नहीं कि उनका विचार हमेशा कांग्रेस का विचार दर्शाता हो. कई बार ऐसा नहीं होता है. उनके बयान को इस वक्त सनसनीखेज बनाकर चलाना और इसे परिप्रेक्ष्य से बाहर ले जाना पीएम मोदी के दुर्भावनापूर्ण चुनावी अभियान से ध्यान बंटाने की कोशिश है.

जानिए क्या है पित्रोदा का पूरा बयान
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि, भारत में आपके पास ऐसा नहीं है. अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता.इसलिए लोगों को इस तरह के मुद्दों पर बहस और चर्चा करनी होगी. मुझे नहीं पता कि आखिर में निष्कर्ष क्या निकलेगा, लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात करते हैं, जो लोगों के हित में हैं न कि केवल अति-अमीरों के हित में.

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Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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