चुनाव से पहले पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर है। उत्तराखंड राज्य में रासुका लागू करने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सरकार पर हमला बोला है। और कहा कि, सरकार कर्मचारियों की जायज मांगों पर विचार नहीं कर रही है। उल्टा रासुका लगाकर कर्मचारियों को लोकतांत्रिक तरीके से अपने अधिकारों के लिए लड़ने से रोकने का प्रयास कर रही है।
द लीडर, देहरादून। एक तरफ 2022 में उत्तराखंड में चुनाव होने है जिसको लेकर अपनी जीत का दम भरने वाली सभी पार्टियां तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। राजनीतिक पार्टियां हर मुद्दें पर सरकार को घेर रही हैं. और सरकार पर तीखे वार कर रही है. बता दें कि, उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लागू करने पर कांग्रेस ने तीखा विरोध जताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि, रासुका लागू करना लोकतंत्र की हत्या है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि, सरकार इस कानून के जरिये हक की आवाज उठाने वालों का दमन करना चाहती है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर रासुका के फैसले पर गंभीर चिंता जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
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जनता की समस्याओं से भाग रही बीजेपी सरकार
मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से बातचीत में गोदियाल ने कहा कि, सरकार कर्मचारियों और किसानों की समस्याओं से डर कर भाग रही है। जनता की आवाज दबाने के लिए रासुका का सहारा लिया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर काम कम करने और बातें ज्यादा करने का आरोप भी लगाया। इसके साथ ही कहां कि, सरकार गरीबों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है।
रासुका लगाकर अपने अधिकारों के लिए लड़ने से रोक रही सरकार
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि, सरकार कर्मचारियों की जायज मांगों पर विचार नहीं कर रही है। उलटा रासुका लगाकर कर्मचारियों को लोकतांत्रिक तरीके से अपने अधिकारों के लिए लड़ने से रोकने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता संभालते ही कहा था कि, वे बात कम और काम ज्यादा करेंगे, लेकिन वे मात्र कोरी घोषणाएं कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि, सरकारी नौकरी के लिए आवेदन शुल्क माफ करने की मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर मोटा शुल्क वसूला जा रहा है। जिन बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला, उनसे पिछले साढ़े चार साल में जमा किए गए शुल्क को वापस किया जाना चाहिए। गोदियाल ने यह भी कहा कि, प्रदेश सरकार खनन माफियाओं की गोद में खेल रही है, सरकार के मुखिया एवं मंत्रियों ने खनन माफिया को राज्य में खुली छूट दे रखी है। इन्हीं खनन माफियाओं की वजह से कांग्रेस शासन में नदियों पर बने पुलों की नींव कमजोर होती जा रही है।
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रासुका लगाना महात्मा गांधी का अपमान है
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार से हर वर्ग त्रस्त होकर सड़क पर संघर्ष करने को मजबूर है। सरकार उनकी समस्याओं के निराकरण में अक्षम साबित हो रही है। रासुका के तहत कार्रवाई कर सरकार दमन करने में लिप्त है। ऐसी सरकार को बदलने की जरूरत है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा कि, महात्मा गांधी के जन्मदिवस के एक दिन बाद सरकार का रासुका लगाने का फैसला उनका अपमान है। उन्होंने कहा कि असहमति के सुरों को सुनने की व्यवस्था ही नहीं, बल्कि उसे सम्मान देने के उत्सव का नाम ही लोकतंत्र है।
क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है। अगर सरकार को लगता कि, कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने की शक्ति दे सकती है। सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। साथ ही, अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है। इस कानून के तहत जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है। इस कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
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कब बना था ये कानून
देश में कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं। ये कानून अलग-अलग स्थिति में लागू किए जाते हैं। इन्हीं मे से एक है रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इसे बनाया गया था। ये कानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है।
किन नागरिकों को पकड़ा जा सकता है
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अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति उन्हें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है।
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यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ी कर रहा है को वह उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है।
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इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
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कितने महीने जेल में
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 (NSA) के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि NSA के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उनके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिनों के लिए रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है।