द लीडर हिंदी, देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का आना कोई नई बात नहीं है लेकिन अंतर यह है कि, जहां पहले ये प्राकृतिक आपदाएं जन–धन को न्यूनतम नुकसान पहुंचाती थी, वहीं अब ये कहर बरपा रही हैं. उत्तराखंड में भूकम्प और भू–स्खलन जैसी आपदाएं तो पहले भी काफी देखने को मिलती थी मगर हाल के 5–6 वर्षों में यहां बादल फटने की बढ़ती घटनाओं ने अधिक तबाही मचाई है. लेकिन अब उत्तराखंड में एक ऐसा एप लॉन्च हुआ है. जो प्राकृतिक आपदा आने से पहले की आपको अलर्ट कर देगा.
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‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ ऐप का शुभारम्भ
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोबाइल ऐप्लीकेशन ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ ऐप का शुभारम्भ किया है. इस ऐप को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन विभाग और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की ने मिलकर बनाया है. इस ऐप के माध्यम से भूकम्प से पहले ही उसके आने की चेतावनी मिल जाएगी.
ऐप से जन सुरक्षा में मिलेगी काफी मदद
उत्तराखंड यह ऐप बनाने वाला पहला राज्य है, इससे जन सुरक्षा में काफी मदद मिलेगी. इस ऐप के माध्यम से भूकंप के दौरान लोगों की लोकेशन भी प्राप्त की जा सकती है. भूकंप अलर्ट के माध्यम से भूकंप से क्षतिग्रस्त संरचनाओं में फंसे होने पर भी सूचना दी जा सकती है. उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. बता दें कि, उत्तराखण्ड भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन विभाग और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की की ये पहल काफी लाभकारी साबित होगी.
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सीएम पुष्कर ने इसे बताया अच्छी पहल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि, इस ऐप के माध्यम से लोगों को भूकंप की पूर्व चेतावनी मिल सके, इसके लिए इस ऐप की लोगों को जानकारी दी जाएगी. विभिन्न माध्यमों से व्यापक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार किया जाए. उन्होंने कहा कि, आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा इसकी छोटी फिल्म बनाकर जन-जन तक पहुंचाया जाए. स्कूलों में भी बच्चों को फिल्म के माध्यम से इस ऐप के बारे में जानकारी दी जाए. मुख्यमंत्री ने बताया कि, इस ऐप के माध्यम से उन लोगों के पास भी भूकंप से पूर्व चेतावनी का मैसेज पहुंच जाए, जिनके पास पास एंड्रॉएड फोन नहीं है, इसकी व्यवस्था की जाए. उन्होंने भूकंप पूर्व चेतावनी में सायरन एवं वॉयस, दोनों माध्यमों से अलर्ट की व्यवस्था करने की बात कही है. भूकंप की पूर्व चेतावनी के लिए सायरन टोन अलग से हो. मुख्यमंत्री ने इसे भूकंप की पूर्व चेतावनी पाने के लिए एक अच्छी पहल बताया है.
पहाड़ी क्षेत्रों में आम बात है प्राकृतिक आपदाएं
बता दें कि, यू तो बिजली गिरना, तेज बारिश का होना, भू–स्खलन होना और बादल का फटना पहाड़ी और हिमालयी क्षेत्रों के लिए कोई नई बात नहीं है, साल 2013 में 16–17 जून को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम सहित तमाम अन्य क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाओं से बाढ़ तथा तबाही का जो मंजर पैदा हुआ, ऐसा शायद पहले कभी नहीं देखा गया था. प्रकृति का सर्वाधिक कहर केदारनाथ धाम में देखने को मिला जहां ग्लेशियर टूटने तथा बादल फटने की घटना के बाद अचानक आई बाढ़ ने 10 हजार से अधिक लोगों की जिंदगी लील ली.
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…जब चमोली जिले में कुदरत ने बरपाया था कहर
वहीं अब हिमालय से उठने वाली यह सुनामी सिर्फ केदारनाथ तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी बादल फटने और लगातार बारिश के रूप में कहर बनकर टूटी है. इसका सर्वाधिक प्रकोप उत्तराखंड के चार पहाड़ी जिलों रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ को झेलना पड़ा है. चमोली जिले में 8 फरवरी 2021 को आई आपदा आपदा और बादल फटने के कारण कई लोग काल के गाल में समा गए. इतना ही नहीं यहां बाढ़ ने एनटीपीसी के स्वामित्व वाली एक बहुत बड़ी पनबिजली परियोजना को प्रभावित किया, जिसमें लगभग 176 मजदूर उस परियोजना पर काम कर रहे थे. वही कई लोग लापता हो गए. और कई लोगों के आशियाने उजड़ गए.
इस ऐप से बच सकती है लाखों जिंदगियां
वहीं अब फिर से लगातार हो रही बारिश के कारण पर्वतीय जिलों में बादल फटने जैसी घटनाएं आम हो गई है. बारिश के चलते नदियां भी उफान पर है. इसके साथ ही कई लोग तो पहाड़ी इलाकों से मैदानी इलाकों में आने लगे है. इस डर से की कहीं प्राकृतिक आपदाओं की वो भेंट न चढ़ जाए. फिलहाल उत्तराखंड सरकार ने ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ ऐप का शुभारम्भ कर एक अच्छी पहल की है. जिससे आपदा आने से पहले ही लोगों को अलर्ट कर दिया जाएगा और लोग सुरक्षित दूसरे स्थान पर चले जाएंगे. और अपनी जान बचा पाएंगे.
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