लैटिन अमेरिका के सोशल मीडिया पर छाईं मुस्लिम महिलाएं

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लैटिन अमेरिका के सोशल मीडिया में मुस्लिम महिलाओं के वीडियो छा गए हैं, जहां ईसाई धर्म का बोलबाला है और इस्लाम के डिजिटल प्रचारकों को कोई खास तवज्जो नहीं मिल पाती। ऐसे में यहां की मुस्लिम महिलाओं के वीडियो लाखों व्यूज बटोर रहे हैं। इन वीडियोज में लैटिन अमेरिकी मुस्लिम महिलाएं अपनी आस्था के बारे में बात करती हैं और अपनी निजी जिंदगी को दिखाती हैं। (Muslim Women Latin America)

लैटिन अमेरिकी मुस्लिम महिलाओं के वीडियोज की खासियत यह भी है कि उनमें रचनात्मकता, चौंकाने वाले तथ्य या हास्य का मिलाजुला कंटेंट होता है, जिसकी वजह से व्यूअर उनसे बोर नहीं होते, बल्कि उनके प्रचारक बन जाते हैं।

ऐसी एक लैटिन अमेरिकी ऑनलाइन इन्फ्लूएंसर मुस्लिम महिला ब्राजीलियाई शहर साओ पाउलो की 31 वर्षीय डायटीशियन मरियम चामी हैं।

उनके पिता लेबनानी थे और मां ब्राजील की, जिन्होंने इस्लाम कबूल लिया। चामी ने एक मुस्लिम स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और बड़ी होने पर कैथोलिक बहुसंख्यकों वाले देश में हिजाब पहनना काफी मुश्किलभरा लगा।

वह बताती हैं, शुरुआत में मैंने उन मुस्लिम लड़कियों के लिए वीडियो बनाए, जिन्हें धर्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। (Muslim Women Latin America)

फिर मैंने इस्लाम की व्याख्या करने और मुसलमानों के खिलाफ ब्राजीलियाई लोगों के पूर्वाग्रहों को कम करने के लक्ष्य के साथ कंटेंट तैयार करना शुरू किया।

टिक्कॉक पर आज उन्हें 11 लाख लोग फॉलो करते हैं।

चामी ब्राजील जैसे काफी उदार देश में हंसते-व्यंग्य के लहजे में विवादास्पद विषयों पर चर्चा करती हैं, जैसे बुर्के पर – इस क्लिप को 9 लाख से ज्यादा बार देखा गया, या उनकी भाभी पर, ऐसे मुसलमान जो हिजाब नहीं पहनते।

उनका कहना है, मुझे अपने समुदाय और धार्मिक नेताओं का भी सपोर्ट है। इस तरह मेरी बड़े पैमाने पर रीच होती है और मैं तमाम मुस्लिम इन्फ्लूएंसर के जुदा तरीके से धार्मिक असहिष्णुता का मुकाबला कर रही हूं, इस तरह से लोग हमारे धर्म की तारीफ कर रहे हैं।

चामी के वीडियो में यह दिखाना भी है कि मुस्लिम महिलाएं पुरुषों की उत्पीड़ित शिकार नहीं हैं, क्योंकि हिजाब पहनी महिला को देखकर काफी लैटिन अमेरिकियों के दिमाग में यह बात आती है। उन्होंने कहा कि ब्राजील में नारीवादी आंदोलन इस तरह के पूर्वाग्रह पैदा करते हैं।

चामी ने कहा, मेरा मानना है कि नारीवाद चयनात्मक है। यह महिला के अधिकार के लिए संघर्ष करता है जो वह चाहती हैं, लेकिन अगर महिला मुस्लिम मान्यताओं को मानती है और इस्लामी लिबास पहनती है, तो उसे नारीवादी महिलाओं द्वारा अलग नजर से देखा जाता है, जैसे उनपर अत्याचार किया जाता हो।

कोलंबियाई वकील और डिजिटल इन्फ्लूएंसर अमीरा उबैदा सांचेज़ भी अपने वीडियो में अपने देश में मुस्लिम महिलाओं के बारे में सबसे आम गलत धारणाओं को दूर करने की कोशिश करती हैं। (Muslim Women Latin America)

उन्होंने कहा, “मैंने और मेरी बहन ने एक साथ कानून की पढ़ाई की। हमें हिजाब में देखकर विश्वविद्यालय में लोग अक्सर हैरानी के साथ पूछते थे कि क्या मुस्लिम महिलाओं को पढ़ने की अनुमति है।”

एक वकील के तौर पर 24 वर्षीय अमीरा आमतौर पर ईसाई कोलंबियाई महिलाओं के केस लड़ती हैं, जिन्हें उनके पतियों ने उनके बच्चों के साथ छोड़ दिया और उनके पास गुजारे को पैसे भी नहीं होते।

टिकटॉक पर उनके अकाउंट पर 43 हजार 600 फॉलोअर्स हैं।

उनके पिता इमाम कार्लोस सांचेज़ ने कहा: मैंने अपनी किसी भी बेटी को ऐसा करने के लिए कभी नहीं कहा। अमीरा ने खुद इस्लाम बारे में इस तरह बात करने का फैसला किया, जिसे वह बड़ी क्षमता के साथ करती है। ”

उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिका में इस्लाम का प्रचार करना आसान काम नहीं है। बीसवीं सदी के आखिर तक कोलंबिया जैसे देशों में कैथोलिक धर्म आधिकारिक धर्म था। (Muslim Women Latin America)

सांस्कृतिक मतभेद भी लैटिन अमेरिकियों की इस्लामी अवधारणाओं की समझ को जटिल बनाते हैं।

इसलिए अमीरा हमेशा सीधी-सादी भाषा का इस्तेमाल करती हैं और अपने वीडियो में फनी तत्वों को शामिल करती हैं।

उन्होंने कहा, बहुत से लोग लैटिन अमेरिका में इस्लाम का प्रसार करना चाहते हैं, लेकिन वे ‘सुन्नत’ और ‘हदीस’ के बारे में बात करते हैं, जबकि यहां इन शब्दों के बारे में कोई नहीं जानता कि उनका मतलब क्या अर्थ है।

भारत में अपने मुस्लिम पति के साथ रहने वाली 30 वर्षीय मैक्सिकन महिला नेली खान ने कहा कि लैटिन अमेरिकी दर्शकों के लिए इंटरनेट पर इस्लामी मुद्दों को समझाना आसान नहीं है।

मेरा लक्ष्य इस्लाम पर चर्चा करने के लिए हमारे जीने का तरीका, हमारी रोजमर्रा की जिंदगी है। कभी-कभी मुझे धार्मिक मामलों की व्याख्या करनी पड़ती है, जिससे लैटिन अमेरिकी असहमत हो सकते हैं, कुछ लोगों को इस्लाम बिल्कुल पसंद नहीं है।

नेली खान का जन्म एक कैथोलिक परिवार में हुआ था, किशोरावस्था में ही उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया। उसने कहा कि मैक्सिको में इस्लामी सामग्री तलाशना मुश्किल था, लेकिन अब यहां इस्लाम के प्रसार को लेकर काम करने वाले कई संगठन हैं।

उनके यूट्यूब चैनल नाना इंडिया व्लॉग्स के 1 लाख 47 हजार सब्सक्राइबर हैं। वह खासतौर पर मैक्सिको के साथ सांस्कृतिक मतभेदों का ध्यान रखते हुए अपने परिवार के साथ भारत में अपने जीवन को दिखाती हैं। लेकिन उनके कई वीडियो में इस्लामिक आयाम को साफतौर पर देखा जा सकता है। (Muslim Women Latin America)

उनकी अब तक की सबसे बड़ी हिट श्रृंखला इंडिया एंड माई लव स्टोरी रही है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया, कैसे वह अपने पति से मिलीं, और कैसे उन्हें पता चला कि उनकी शादी से पहले उनकी पहली पत्नी थी, जिसे उन्होंने तलाक दे दिया। उनकी तीन वीडियो को 25 लाख से ज्यादा व्यू मिले।

वह कहती हैं, मैं खुद को असरदार शख्सियत नहीं मानती, क्योंकि मुझे पता है कि मैं आदर्श मुसलमान नहीं हूं। मैं हमेशा एक बेहतर मुसलमान बनने की कोशिश करती हूं। इतना ही चाहती हूं कि मेरे जीवन, मेरे परिवार और इस सच्चाई को दिखाती रहूं कि मुसलमान सामान्य जीवन जीते हैं।

मैक्सिको के ग्वाडलजारा विश्वविद्यालय में लैटिन अमेरिकी इस्लाम विशेषज्ञ व सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर अरेली मदीना के अनुसार, इस क्षेत्र में मुस्लिम महिलाओं का डिजिटल इन्फ्लूएंसरों के तौर पर उभरना सार्वजनिक मंच पर मौजूदगी दर्ज कराने की रणनीति का हिस्सा है।

उन्होंने कहा, वक्त के साथ महिलाओं ने पहले खुद को सड़कों पर दिखाने के लिए अलग-अलग तरीके विकसित किए हैं, जिसे लोग जानें और देखें कि वे केवल अपने धर्म की वजह से दमित महिला नहीं हैं। यही डायनामिक अब ऑनलाइन हो रहा है।

बेशक ऑनलाइन कई दर्शक उन्हें बुरा-भला कह सकते हैं, लेकिन यह सच है कि ज्यादातर दर्शक ऐसे वीडियो को जिज्ञासा और सीखने की इच्छा के साथ देखते हैं।

मदीना ने कहा कि मैक्सिको और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में इस्लाम में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए इंटरनेट एक मौलिक उपकरण रहा है, जहां हाल तक बड़े मुस्लिम समुदाय नहीं थे।

बीस साल पहले कई युवा, जो इस्लाम के बारे में सीखना चाहते थे, वे केवल दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ चैट करके और इसके बारे में ऑनलाइन सामग्री खोजकर ही ऐसा करने की कोशिश करते थे। कुछ लोग फोन या ऑनलाइन चैट द्वारा इसी तरह इस्लाम में परिवर्तित हो जाते हैं। (Muslim Women Latin America)

जिन महिलाओं ने इंटरनेट की मदद से इस्लाम की जानकारियां हासिल कीं, वे अब इसी इंटरनेट का इस्तेमाल दर्शकों के बड़े दायरे में इस्लाम के बारे में बात करने के लिए कर रही हैं।

Source: Arab News


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