UP : शामली मॉब लिंचिंग के शिकार समीर के भाईयों को पढ़ाएगी Miles2Smile, कानूनी मदद का वादा

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शामली : मॉब लिंचिंग में मारे गए समीर के घर पहुंचे आसिफ मुज्तबा. समीर के इन दोनों भाईयों की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है.

द लीडर : उत्तर प्रदेश के शामली जिले में मॉब लिंचिंग में मारे गए मैकेनिक समीर के परिवार को (Miles2Smile) ने आसरा दिया है. संगठन ने समीर के दोनों छोटे भाईयों की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है. इसके साथ ही अधिवक्ताओं की एक टीम ने समीर का केस लड़ने का भरोसा दिया है. (Shamli Mob Lynching Sameer)

Miles2Smile के संस्थापक आसिफ मुज्तबा रविवार को समीर के घर पहुंचे थे. उनके परिवार का हाल जाना. भाईयों से बात की. समीर के भाई आसिफ ने बताया, ”मैं हमेशा से पढ़ना चाहता था. लेकिन अब्बा की मौत के बाद हालात इतने खराब हो गए. मजबूरन हमें और समीर भाई को काम करना पड़ा. अब्बा की जगह मैं होटल पर काम करने लगा. और समीर भाई ने मैकेनिक का काम सीख लिया. होटल में काम के साथ ही मैं पढ़ाई भी करता हूं.”

इसी महीने 11 सितंबर को शामली जिले के कस्बा बनत में समीर को आठ-दस लोगों की भीड़ ने घेरकर पीटा था. जिससे उनकी मौत हो गई थी. समीर के परिवार की ओर से इसम मामले में स्थानीय पुलिस में तहरीर दी गई थी.

बड़े होने के नाते समीर के सिर पर ही घर की जिम्मेदारी थी. घर में मां हैं और एक बहन भी. समीर के काम से ही घर चलता था. लेकिन जवान बेटे को खोकर अब ये परिवार टूट चुका है. अगले महीने ही बेटी की शादी है. और घर में मातम पसरा है.


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आसिफ मुज्तबा, नदीम खान, एडवोकेट तमन्ना पंकज, अजहर और एडवोकेट प्रिया के साथ समीर के घर पहुंचे थे. आसिफ मुज्तबा ने कहा-मैंने परिवार को यकीन दिलाया है कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च हम उठाएंगे. वकील साथी कानूनी मदद करेंगे.

मॉब लिंचिंग में मारे गए समीर की मां.

आसिफ ने कहा-Miles2Smmile की कोशिश है कि नफरती हिंसा का शिकार हर परिवार को शैक्षिक रूप से मजबूत किया जाए. समीर ही नहीं दूसरे परिवारों तक भी ये मदद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. (Shamli Mob Lynching Sameer)

परिवार से बातचीत के बाद आसिफ मुज्तबा ने कितनी हैरत की बात है कि मॉब लिंचिंग की घटना को पुलिस आपसी रंजिश के सामान्य क्राइम की तरह ढील कर रही है. जबकि परिवार साफ कह रहा कि उनकी किसी से कोई जाति दुश्मनी नहीं थी.

समीर की मौत से उनका परिवार सदमे में है. जवान बेटा-भाई खोकर बदहवास परिवार की जिंदगी के गुजर-बसर का भी कोई जरिया नहीं है. समीर की मेहनत ही घर का एक मात्र आर्थिक आसरा थी. जो खत्म हो चुकी है.

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