मेघालय , मणिपुर, और त्रिपुरा अपना 52वां राज्य दिवस मना रहा, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं, बयान में नहीं किया हिंसा का जिक्र

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द लीडर हिंदी: मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा अपना 52वां राज्य दिवस मना रहे हैं. इस मौके पर पीएम मोदी ने दी बधाई.बता दें कि रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा को उनके राज्य दिवस पर शुभकामनाएं दीं और पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति, समृद्ध इतिहास, परंपराओं और उपलब्धियों की सराहना की.वही मणिपुर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान सामने आया है.

लेकिन उनका यह बयान मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर नहीं है. बलि्क उनका यह बयान मणिपुर राज्य दिवस पर आया है. पीएम ने अपने ट्वीटर हैंडल एक्स पर पोस्ट किया, कहा-“राज्य के लोगों को मेरी शुभकामनाएं. मणिपुर ने भारत की प्रगति में एक मजबूत योगदान दिया है. हमें राज्य की संस्कृति और परंपराओं पर गर्व है. मैं मणिपुर के निरंतर विकास के लिए प्रार्थना करता हूं.” पीएम मोदी के बयान में हिंसा का जिक्र नहीं.

बता दें कि मणिपुर में बीते 3 मई 2023 को शुरू हुई अंतहीन हिंसा के बाद यह दूसरी बार है जब प्रधानमंत्री की जुबान पर मणिपुर का नाम आया है, लेकिन इस बयान में उन्होंने हिंसा का जिक्र नहीं किया. इससे पहले बीते साल जब मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने पीएम मोदी और उनकी सरकार को चौतरफा घेरा.

सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे को उठाया तब भी प्रधानमंत्री हिंसा के मुद्दे पर दो शब्द बोलने के लिए राजी नहीं हुए. आखिरकार विपक्षी दल संसद में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए, ताकि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मणिपुर हिंसा के मुद्दे को उठाया जा सके और सरकार से सवाल पूछा जा सके.

मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी ने संसद में क्या कहा था?
10 अगस्त 2023 को मजबूरन पीएम मोदी को अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देने लिए संसद में आना पड़ा. लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घंटे से ज्यादा का भाषण दिया.

अपनी सरकार की पीठ थपथपाई, विपक्ष पर जमकर निशाना साधा, लेकिन अपने दो घंटे से ज्यादा लंबे भाषण में पीएम मोदी मणिपुर हिंसा जैसे गंभीर मुद्दे पर चंद मिनट ही बोले. उन्होंने मणिपुर के मुद्दे पर कहा, “मैं देश के सभी नागरिकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिस तरह प्रयास चल रहे हैं, शांति का सूरज जरूर उगेगा.”

जानिए क्या मणिपुर में शांति का सूरज अब तक उगा या नहीं?
संसद में पीएम मोदी को बयान दिए हुए 5 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है.सवाल यह है कि क्या मणिपुर में शांति का सूरज उग गया है? इसका जवाब होगा, नहीं उगा है. सवाल यह है कि मणिपुर में शांति का सूरज आखिर कब उगेगा? सच तो यह है कि इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

क्योकि मणिपुर में सरकार चला रही बीजेपी और केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के पास भी नहीं, जिन्हें इस सवाल का जवाब देना चाहिए. मणिपुर में 8 महीनों से जारी हिंसा के बाद भी दोनों ही सरकारें इस सवाल का जवाब देने में पूरी तरह से नाकाम रही हैं.

मणिपुर में अभी कैसे हैं हालात?
मणिपुर में बीते साल 3 मई से शुरू हुई हिंसा के बाद अभी भी हालात तनावपूर्ण हैं. राज्य में बीते 48 घंटे के अंदर अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा में 5 नागरिकों समेत दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है. विष्णुपुर जिले में संदिग्ध हथियारबंद चरमपंथियों ने गुरुवार शाम पिता-पुत्र समेत चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया. मरने वालों की पहचान थियाम सोमेन सिंह,ओइनम बामोइजाओ सिंह, उनके बेटे ओइनम मनितोम्बा सिंह और निंगथौजम नबादीप मैतेई के रूप में हुई है.

बुधवार रात इंफाल पश्चिम जिले के कांगचुप में हमलावरों ने एक मैतेई बहुल गांव के ग्राम रक्षक को मौत के घाट उतार दिया.बुधवार को ही संदिग्ध चरमपंथियों ने टैंगनोपल जिले में म्यांमार सीमा से सटे मोरेह शहर में सुरक्षाबलों पर हमला किया था. इस दौरान दो पुलिस कर्मियों की मौत हो गई. हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में मारे गए सभी लोग मैतेई समुदाय के थे. इसके बाद राजधानी इंफाल से लेकर बिष्णुपुर जैसे मैतेई बहुल इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.