मौलाना कमर गनी को UAPA में जमानत दिलाकर बोले महमूद प्राचा-मजहबी रहनुमाओं को खा रहा बुजदिली का कैंसर

द लीडर : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सुप्रीमकोर्ट के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि हमारे समाज (मुस्लिम समुदाय) के मजहबी रहनुमाओं को बुजदिली का कैंसर खा रहा है. अगर वो कम हो जाए तो मुल्क के कमजोर तबके को इंसाफ दिलाने में मदद मिलेगी. प्राचा ने तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के अध्यक्ष मौलाना कमर गनी उस्मानी की जमकर तारीफ की. बोले-उस्मानी जैसे उलमा हों तो मुस्लिम समाज ही नहीं बल्कि पिछड़े वर्ग की समस्याएं भी दूर हो जाएंगी. (Mahmood Pracha Maulana Qamar)

मौलाना कमर गनी उस्मानी त्रिपुरा गए थे, जहां अक्टूबर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. हिंसा के फैक्ट जुटाने के दौरान ही 3 नवंबर को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. मौलाना कमर गनी के साथ उनके तीन साथी कारी आसिफ, एहसानुल हक और मुदस्सिर नदीम 20 दिनों तक जेल में रहे. उनके खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)के तहत कार्रवाई की गई थी.

मौलाना कमर गनी उस्मानी और उनके साथियों की पैरवी एडवोकेट महमूद प्राचा ने ही की है. जहां से 23 नवंबर को वे जमानत पर रिहा हुए हैं. प्राचा ने कहा कि मौलाना उस्मानी को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई कराएंगे. (Mahmood Pracha Maulana Qamar)


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उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में ऐसा माहौल बनाया गया कि, जो लोग बाहर से आए हैं. वे अशांति फैलाना चाहते हैं. जबकि अक्टूबर में विश्व हिंदू परिषद समेत दूसरे संगठनों को वहां रैलियां निकालने की अनुमति दी गई थी. जिसमें पैगंबर-ए-इस्लाम के खिलाफ नारेबाजी की गई. अगर माहौल खराब न होता तो बाहर के लोगों को त्रिपुरा जानी की क्या जरूरत होती.

उन्होंने कहा कि माहौल बनाने का एक सेट पैटर्न है, जिसमें दिखाया जाता है कि मानों मुस्लिम कम्युनिटी ने ही सब कुछ गलत किया है. त्रिपुरा में भी ऐसा ही हो रहा. उस दबी सच्चाई को दुनिया के सामने लाने के लिए जब इंसाफ और संविधान के मानने वाले लोग त्रिपुरा पहुंचे. तो उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए.

कायदे में केस या कार्रवाई उन लोगों पर होनी चाहिए, जिन्होंने माहौल खराब किया. हिंसा-फसाद किया. न कि, जो हिंसा फैलाने वाले लोगों को बेनकाब करते हैं. सरकार की नाकामियों को उजागर करते हैं. (Mahmood Pracha Maulana Qamar)

त्रिपुरा में सुप्रीमकोर्ट के जो वकील, पत्रकार और दूसरे संगठनों के लोग गए थे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की गई. 102 लोगों पर यूएपीए के तहत केस किया गया. दो महिला पत्रकारों को गिरफ्तार किया. जबकि सच्चाई या सबूत सामने रखने से माहौल नहीं बिगड़ता है. बल्कि अपराधियों पर दबाव पड़ता है. फिर चाहे सरकार ही क्यों न उनकी मदद कर रही हो.


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मौलाना उस्मानी या दूसरे लोगों ने जो सबूत जुटाए हैं. उनकी बिनाह पर हम सरकार, संगठन और पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे. और पुलिस अधिकारियों को सजा मिलेगी.

महमूद प्राचा ने मुस्लिम रहनुमाओं को लेकर कहा है कि, उन्हें मजबूत कीजिए. मौलाना कमर गनी उस्मानी बड़े नेता हैं. जो दूसरे कथित बड़े कायद या रहनुमा हैं उनमें कमजोरी और बुजदिली आ चुकी है. उनका इशारा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेताओं और दूसरे मजहबी लीडर्स की तरफ था. (Mahmood Pracha Maulana Qamar)

हाल ही में कानपुर में ही बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसमें प्राचा भी शामिल हुए थे. इसके अगले दिन उन्होंने त्रिपुरा जाकर मौलाना कमर गनी उस्मानी की जमानत की पैरवी की थी.

प्राचा ने कहा कि, हमारे बड़े रहनुमा जो कहते हैं, हकीकत में उस पर खुद अमल नहीं करते. उनकी कथनी और करनी में बड़ा फर्क आ चुका है. जब तक ये अंतर दूर नहीं होगा, हालात नहीं बदलेंगे. अवाम तो संवैधानिक अधिकारों को लेकर जागरुक है. (Mahmood Pracha Maulana Qamar)

तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के महासचिव मुफ्ती आरफीन ने कहा कि दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन मुफ्ती असजद रजा कादरी, दरगाह आला हजरत के प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां, सज्जादानशीन अहसन मियां, जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान मियां समेत सभी बुजुर्गों की दुआओं से जमानत मिल गई है.

 

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Ateeq Khan

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