द लीडर : तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कमर गनी उस्मानी के साथ उनकी टीम के तीन अन्य सदस्यों को त्रिपुरा की अदालत से जमानत मिल गई है. मौलाना उस्मानी के साथ कारी आसिफ, एहसानुल हक और मुदस्सिर नदीम ने करीब 21 दिन जेल में बिताए हैं. मंगलवार की रात को ये चारों लोग जमानत पर रिहा हो गए. पिछले 3 नवंबर को इन्हें त्रिपुरा के पानीसागर इलाके से हिरासत में लिया गया था. तब, जब राज्य में भड़की सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में ये फैक्ट फाइडिंग के लिए पहुंचे थे. (Maulana Qamar Gani Usmani)
अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में त्रिपुरा में हिंसा भड़क गई थी. राज्य की तस्वीरों ने देश के बड़े हिस्से को विचलित कर दिया. लेकिन पुलिस यही दावा करती रही कि राज्य में हालात सामान्य हैं.
इस बीच वकील, एक्टिविस्ट और सामाजिक संस्थाएं त्रिपुरा पहुंची और जमीनी हालात पर रिपोर्ट तैयार करने लगी. इसमें सुप्रीमकोर्ट के वकीलों की टीम के अलावा, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी राज्य का मुआयना किया और हिंसा की तस्वीरें सामने रखीं.
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तहरीक-ए-फरोग इस्लाम के अध्यक्ष मौलाना कमर गनी भी अपनी टीम के साथ त्रिपुरा पहुंंचे थे. उन्होंने पानी सागर इलाके का दौरा किया. स्थानीय लोगों से बातचीत की. पानी सागर से धर्मनगर के रास्ते में उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. बाद में उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. उनके खिलाफ कई संगीन धाराएं लगाई गई थीं. जिनमें अब उन्हें जमानत मिल गई है.
आपको बता दें कि त्रिपुरा हिंसा के खिलाफ बोलने वाले 102 वकील, छात्र, एक्टिविस्ट और पत्रकारों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम-यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है. इसके अलावा दो पत्रकार, स्वर्णा झा और समृद्धि सकुनिया ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए त्रिपुरा पहुंची थीं.
पुलिस ने इनके खिलाफ भी भ्रामक और भड़काऊ सूचनाएं फैलाने का आरोप लगाकर एफआइआर दर्ज कर ली थी. बाद में असम के एक होटल से इन्हें गिरफ्तार करके त्रिपुरा लाया गया था. जहां अगले दिन मजिस्ट्रेट ने जमानत पर रिहा कर दिया था.
लेकिन इस पूरे मामले में तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के सदस्यों को जेल में रहना पड़ा है. मंगलवार को जब उनकी जमानत की खबर आम हुई तो उलमा ने खुशी का इजहार किया है.