तीरथ के लिये सीट छोड़ कर महाराज जाएंगे संसद में

द लीडर, देहरादून : अभी घोषणा तो नहीं हुई लेकिन रज़ामंदी हो गई कि तीरथ सिंह के लिए सतपाल महाराज चौबट्टाखाल की विधानसभा सीट से इस्तीफा देंगे और तीरथ की पौड़ी सीट से उन्हें संसद में भेज कर केंद्र में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। (Maharaj Leave Seat Parliament Tirath)

भाजपा के लिए दोनों उपचुनाव जीतने का यही सबसे आसान तरीका था। सतपाल महाराज के लिए पौड़ी अपनी पुरानी सीट है और अब तीरथ रावत का भी साथ है जो इस सीट से सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के बहुत करीबी रहे हैं। उनके बेटे ने तीरथ के खिलाफ चुनाव लड़ा और केंद्रीय नेतृत्व से नाराजगी के बावजूद न उन्होंने पार्टी छोड़ी न अपने बेटे को आशीर्वाद दिया।

उधर चौबट्टा खाल तीरथ सिंह की पुरानी सीट है। 2012 से 2017 तक यहां के विधायक रहे। इसी दरमियान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व भी सौंपा गया।


तीरथ सिंह : एक बेदाग चेहरे पर दाग धोने की जिम्मेदारी


 

वैसे सल्ट सीट खाली है लेकिन वहां से न लड़ने की दो वजहें हैं । पहली ये कि पार्टी अंदर बाहर का माहौल देख कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और दूसरी मुख्यमंत्री बनने की चाहत में ही संसद छोड़ विधायक का चुनाव लड़ने वाले महाराज की नाराजगी अगले चुनाव में पार्टी को भारी पड़ सकती है।

महाराज एक धर्मिक पहचान तो रखते ही हैं उत्तराखण्ड के ठाकुरों के बड़े नेता भी हैं। बहुत संभव है उनसे केंद्रीय मंत्री बनाने का भी वादा हुआ हो।

अब तक के घटनाक्रम से लगता है कि इस फार्मूले की कम से कम तीन दावेदारों को जानकारी थी।

जिनको अंधेरे में रखा गया था उन्हें देर सबेर कद हल्का होने का अहसास हो सकता है। त्रिवेंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों को भी आलाकमान नए मुख्यमंत्री के जरिये ऐसा अहसास करा सकती है। प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर भी अटकलें चल रही थी, हो सकता है इसे अभी टाल दिया जाय।

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Ateeq Khan

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