दिनेश जुयाल
देहरादून। भाजपा आलाकमान ने सारी अटकलों को किनारे करते हुए संसद तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी है। चार बजे शपथ होगी, विधानमंडल दल की संक्षिप्त बैठक के बाद जल्द ही पत्रकारों को बुला कर उनके नाम का ऐलान कर दिया गया। हालांकि केंद्रीय पर्यवेक्षक मौजूद थे लेकिन इस घोषणा के वक्त केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल को भी आगे कर घोषणा करके इस फैसले में उनकी सहमति दिखाने के भी अलग मायने हैं। तीरथ के नाम का प्रस्ताव खुद निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जरिये रखा गया।
पौड़ी के से सांसद और पूर्व मंत्री पार्टी के निर्विवाद नेता हैं। शुरू में उनका नाम चला था लेकिन बाद में दूसरे ही नामों की चर्चा होने लगी। तीरथ लंबे समय तक संघ में अहम जिम्मेदारी संभालने के साथ शिक्षा मंत्री भी रहे हैं।
देहरादून में नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए भाजपा विधानमंडल दल की बैठक महज औपचारिकता थी फिर भी बैठक शुरू होते ही बाहर कुछ दावेदारों के समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन भी शुरू हो गया। केंद्रीय पर्यवेक्षक बन कर आये राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी की नज़र विधायकों और दावेदारों की बॉडी लैंगुएज पर थी। संघ के दूत लगातार सबकी गतिविधियों पर अलग से नज़र रखे हुए थे।
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रमन सिंह के एक दिन पहले ही यहां पहुंचने का भी यही आशय है कि वह देखना चाहते हैं केंद्र से प्रस्तावित मुख्यमंत्री की कितनी स्वीकार्यता है।
केंद्र के नेता और खासकर अमित शाह इस बात से खिन्न हैं कि ऐसे मौके पर ये तमाशा क्यों और किसने किया जब कई राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। उत्तराखंड में भी एक साल ही बचा है और अब चुनावी बिगुल बजाने का वक़्त है।
चार दिन से पार्टी जहां नए मुख्यमंत्री की तलाश कर रही है वहीं तूफान उठाने वालों की सज़ा भी तजबीज की जा रही है। इस प्रकरण के दिल्ली में सबसे अधिक भरमाने वाले दावेदार को न सिर्फ कड़ी फटकार लगी बल्कि उनसे त्रिवेंद्र पक्ष में बुलवाया भी गया। सोशल मीडिया में उनकी गंभीर शक्ल और बयान दिख रहा है।
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आलाकमान प्रदेश में उपचुनाव टालना चाहता था। किसी सांसद को भेजने की स्थिति में दो उपचुनाव होने है। इसलिए पहले विधायकों में से ही नाम छांटे गए। कुछ ऐसे नाम भी आये जो न विधायक हैं न सांसद, जिन्हें खाली पड़ी सल्ट सीट से जिता कर विधानसभा में लाया जा सकता है।
संगठन के एक पदाधिकारी और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम इसी क्रम में सामने आया। फिर मसला ये था कि ऐसा कोई चेहरा हो जो चुनावी गणित तो ठीक से हल कर सके। इस मसले पर कुछ लोगों को रमेश पोखरियाल निशंक ज्यादा बेहतर लगे तो कुछ ने कुछ पुरानी बातें रख कर अपना संशय जताया। इस तरह अंत से सबसे निर्विवाद मानते हुए तीरथ सिंह का नाम फाइनल किया गया।
बहुत संभव है कि तीन खाली सीटों को भरने के लिए और फेरबदल का रास्ता प्रशस्त करने को नए मुख्यमंत्री के साथ कुछ मंत्री भी शपथ लें।