जानिए उम्र कैद की सज़ा पाने वाले गायत्री प्रजापति के बारे में : गरीबी रेखा के नीचे थे पर सत्ता में आते ही बने 1000 करोड़ के मालिक

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द लीडर | चित्रकूट के चर्चित गैंगरेप मामले में एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रजापति के साथ ही मामले में दोषी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उम्रकैद की सजा के साथ ही तीनों दोषियों पर 2-2 लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले बुधवार को कोर्ट ने प्रजापति समेत आशीष और अशोक को दोषी करार दिया था और सजा पर फैसला सुरक्षित रखते हुए अगली तारीख शुक्रवार की दी थी।

गायत्री प्रजापति के बारे में कहा जाता है कि वह कभी गरीबी रेखा के नीचे आता था। लेकिन मंत्री बनने के दो साल के भीतर ही वह एक हजार करोड़ का मालिक बन गया। लोकायुक्त जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि गायत्री प्रजापति के इतने कम समय में इतनी प्रॉपर्टी बनाने के पीछे गोरखधंधे का हाथ है।

अपने ड्राईवर तक के नाम कर रखी थी कंपनी 

कॉरपोरेट मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, 2017 तक तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के परिजनों और उनके करीबियों की ऑनरशिप वाली 13 कंपनियां थीं। हर कंपनी में गायत्री के दोनों बेटे, भाई और भतीजा सभी कंपनियों में डायरेक्टर थे। इसके अलावा सात और कंपनियों में गायत्री प्रजापति के ड्राइवर और करीबी लोगों के नाम हैं। लेकिन गायत्री प्रजापति की कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उसके बेटे अनुराग प्रजापति की थी। अनुराग प्रजापति पर भी अमेठी से एक लड़की से रेप का आरोप है।


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100 करोड़ का टर्नओवर

2016 में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी व सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने शिकायत की थी कि गायत्री प्रजापति की संपत्ति 942.5 करोड़ रुपये है। गायत्री और उनके रिश्तेदारों के नाम वाली 13 कंपनियों का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए का था। इसमें गोल्ड क्रस्ट माइनिंग लिमिटेड और एमजी कालोनाइजर्स प्रा.लि.प्रमुख हैं।

करोड़ों में जमीन का कारोबार

इसके अलावा गायत्री का जमीन का भी कारोबार करोड़ों में है। 2012 में विधायक बनने से पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति छोटी-छोटी जमीनें खरीदकर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम किया करते थे। लखनऊ के रायबरेली रोड पर मोहनलाल गंज में इनकी 110 एकड़ जमीन का जिक्र कंपनी में किया गया है। गायत्री प्रसाद की कंपनियां खनन के अलावा जमीन से जुड़े हुए व्यापार में भी शामिल रहीं हैं। प्रॉपर्टी से जुड़े व्यापार और अवैध सम्पत्तियों के लिए अलग कंपनियां बनाई गई हैं।


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इनके नाम से हैं संपत्तियां

  • पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्‍नी और सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने खुलासा किया था कि 16 लोगों के नाम पर गायत्री की बेनामी संपत्तियां हैं।
  • इसमें गायत्री के परिवार के अनिल प्रजापति (पुत्र), अनुराग प्रजापति (पुत्र), सुधा (पुत्री), अंकिता (पुत्री), महाराजी (पत्नी), रामशंकर (भाई), जगदीश प्रसाद (भाई) शामिल हैं।
  • करीबियों में गुड्डा देवी (महिला सहयोगी), राम सहाय (ड्राइवर), रामराज (सहयोगी), पूनम (गुड्डा की बहन), सुरेन्द्र कुमार, प्रमोद कुमार सिंह, सरोज कुमार, जन्मेजय और देवतादीन शामिल हैं।

2002 में गरीबी रेखा के नीचे था गायत्री

  • गायत्री प्रसाद प्रजापति 2002 तक गरीबी रेखा के नीचे आता था।
  • 2012 में गायत्री ने अपनी कुल संपत्ति 1.83 करोड़ बताई थी।
  • साल 2009-10 में उनकी सालाना इनकम 3.71 लाख रुपए थी।
  • साल 2011 में प्रजापति तब पहली बार मीडिया की सुर्खियों में आया, जब आगरा में हुए पार्टी अधिवेशन में रामगोपाल यादव ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया कि अमेठी के गायत्री प्रसाद प्रजापति ने पार्टी को 25 लाख रुपए का चंदा दिया है।
  • साल 2012 में गायत्री ने अपने एफिडेविट में दो गाड़ियां दिखाई थी। जब वह जेल से बाहर थे तब वह बीएमडब्लू से भी चलते दिखाई देते थे।

कौन हैं गायत्री प्रसाद प्रजापति?

गायत्री प्रजापति ने साल 1995 के आसपास समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हुए थे। उन्होंने अमेठी विधानसभा से 1996 और 2002 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई। इसके बाद, 2012 के विधानसभा चुनाव में गायत्री प्रजापति अमेठी सीट से जीत गए और फरवरी 2013 में उन्हें सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया। जुलाई 2013 में मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ तो उन्हें स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया।


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इसके बाद, जनवरी 2014 में उन्हें खनन विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। गायत्री प्रजापति ने एक बार फिर 2017 में सपा के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़ा। हालांकि, बीजेपी की गरिमा सिंह के आगे उनकी साइकिल पंक्चर हो गई।

बदसलूकी के बाद जान से मारने की धमकी का था आरोप

आज से 4 साल पहले यानी साल 2017 में चित्रकूट की रहने वाली एक महिला ने तत्कालीन सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति समेत चार लोगों पर अपने और अपनी बेटी के साथ गैंगरेप की कोशिश का आरोप लगाया था। जब महिला ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो गायत्री प्रजापति और उसके साथियों ने उसके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद पीड़िता ने न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर की थी।

गायत्री प्रजापति के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस

18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में गायत्री प्रजापति समेत 6 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इसके बाद सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इन सभी के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।  मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री के अलावा विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह, चंद्रपाल, रूपेश्वर, आशीष शुक्ल और अशोक तिवारी आरोपी बताए गए थे। वहीं, बता दें कि इस मामले में कुल 17 गवाह पेश किए जा चुके हैं।


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