भारत ‘सच्चा दोस्त नहीं’: अनस हक्कानी

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anas haqqani: internet

हक्कानी नेटवर्क के अनस हक्कानी ने भारत सरकार और मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि अफगानिस्तान के प्रति भारत की नीति को बदलने की जरूरत है। WION मीडिया के साथ साक्षात्कार में अनस हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान के लोग समझते हैं कि भारत एक सच्चा दोस्त नहीं है।

तालिबान के शीर्ष नेतृत्व में विवाद की खबर का खंडन करते हुए हक्कानी ने कहा कि तालिबान नेतृत्व के बीच कोई मतभेद नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अशरफ गनी की पूर्व सरकार से जुड़े तत्वों द्वारा इस तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जर्मनी अफगानिस्तान में अपना दूतावास खोलने वाला पहला पश्चिमी देश हो सकता है।

साक्षात्कार में हुए सवाल और जवाब

सवाल: अमेरिकी ड्रोन हमले पर आपके क्या विचार हैं, क्या अमेरिका और तालिबान के बीच कोई तालमेल है?

अनस हक्कानी: वे बेगुनाहों को निशाना बनाते हैं। हमला करने को ड्रोन का इस्तेमाल करने की मंजूरी देने में अमेरिका के साथ हमारी कोई व्यवस्था नहीं है। हम इस्लामिक स्टेट को अनुमति नहीं दे रहे हैं, हम उन्हें हरा सकते हैं। अगर अमेरिका के पास कोई जानकारी है तो उन्हें हमारे साथ समन्वय की जरूरत है, हम कार्रवाई करेंगे।

जबीहुल्लाह मुजाहिद और अहमदुल्ला वासीक [तालिबान नेताओं] ने भी ड्रोन हमले की निंदा की है।

सवाल: तालिबान का कहना है कि वे बदल गए हैं। यह सच है तो युवा चेहरे के रूप में आप कैबिनेट का हिस्सा क्यों नहीं हैं?

अनस हक्कानी: तालिब बदल गए हैं, इस बात को व्यक्ति के स्तर पर सीमित न करें। सरकारी बदलाव होंगे। एक बात हमेशा रहेग, तालिबान की देशभक्ति और उनका इस्लामी पक्ष बना रहेगा।

सवाल: महिला राजनयिकों और उनके आंदोलनों के संबंध में क्या कोई प्रतिबंध होगा?

अनस हक्कानी: महिला राजनयिक मौजूद रहेंगी। उन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन सांस्कृतिक मूल्यों का सभी को सम्मान करना होगा।

सवाल: अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति जारी रखता है तो क्या होगा?

अनस हक्कानी: अमेरिका को बाहर करना एक चुनौती थी, जिस वजह से लोग आत्मघाती हमले तक करने लगे। हमें कोई बाहरी व्यक्ति नहीं चाहिए। जिन लोगों ने अमेरिका के लिए अफगानिस्तान छोड़ दिया, वही जान सकते हैं। जो लोग बाहर जाना चाहते हैं, वे अपने वीजा और पासपोर्ट के साथ बाहर जा सकते हैं, वे अपनी औपचारिकताएं पूरी कर जा सकते हैं। आप ये सवाल विदेश मंत्रालय से पूछ सकते हैं, क्योंकि मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

सवाल: क्या विशेष अप्रवासी वीजा धारकों को जाने की अनुमति होगी?

अनस हक्कानी: इस पर टिप्पणी करने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं। जिनके पास औपचारिक वीजा और पासपोर्ट हैं, वे जा सकते हैं, इस पर कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

सवाल: तालिबान सरकार के 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र ब्लैकलिस्टिंग में हैं, आगे का रास्ता क्या है?

अनस हक्कानी: दोहा वार्ता इस्लामिक अमीरात के साथ खड़ी है। ब्लैकलिस्टिंग एक समस्या है। अमेरिका का रवैया पक्षपाती है। वे कई मौकों पर अपने वादों पर कायम रहने में विफल रहे हैं। शायद वे चाहते हैं कि संघर्ष फिर से हो। अमेरिका की शांति की परिभाषा स्पष्ट नहीं है, वे बहुत उलटफेर करते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इसे समझता है।

सवाल: भारत के साथ संबंधों पर आपके क्या विचार हैं, यह देखते हुए कि अफगानिस्तान में भारत की बहुत सारी विकास परियोजनाएं हैं?

अनस हक्कानी: दुर्भाग्य से भारत पक्षपाती रहा है और पिछले 20 वर्षों से युद्ध की आग शांत करने के लिए कुछ नहीं किया। अभी तक उनकी भूमिका नकारात्मक रही है। भारतीय मीडिया में भी इसका प्रतिबिंब दिखता है, जिसने तालिबों को बहुत बुरे लोगों के रूप में चित्रित किया। उन्हें अफगानिस्तान के प्रति अपनी नीति बदलने की जरूरत है।

अफगानिस्तान के लोग नकारात्मकता के कारण समझते हैं। भारत सच्चा मित्र नहीं है। इस्लामिक अमीरात को सभी के साथ कूटनीतिक व्यवहार करना है। बेहतर होगा कि वे नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मक कदम उठाएं ताकि लोग शांति के साथ बेहतर जीवन जी सकें।


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