घाटी में गैर मुस्लिम घरों में हुए कैद… क्या जम्मू-कश्मीर को 90 के दशक में लौटाने की हो रही साजिश ?

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द लीडर। आतंकी हमले से कश्मीर के लोगों में खौफ देखा जा रहा है। बता दें कि, श्रीनगर में 5 दिन में 7 निर्मम हत्या से दहशत है। घाटी में रहने वाले गैर मुस्लिम कर्मचारियों ने खुद को घरों में कैद कर लिया है या कश्मीर के बाहर निकल रहे हैं। गैर मुस्लिम व्यापारियों ने शाम ढलने से पहले दुकानें बंद कर ली या फिर खोली ही नहीं। दहशत इस कदर हावी है कि, आतंकियों ने ईदगाह के जिस स्कूल में आईडी देखने के बाद दो गैरमुस्लिम शिक्षकों की हत्या की थी, उस स्कूल से सिर्फ 4 किमी दूर एक और स्कूल है, जहां हिंदू और कश्मीरी पंडित काम कर रहे हैं। यहां की महिला शिक्षक ने यह खबर सुनी तो बेहोश होकर गिर पड़ी। बाकी साथी रोने लगे।


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मौत के दहशतगर्द बाहर हमारी तलाश कर रहे ?

जम्मू से आने वाले एक शिक्षक कहते हैं किस हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि हम क्या करें। ऐसा लग रहा है कि, मौत के दहशतगर्द बाहर हमारी तलाश कर रहे हैं। इस स्कूल के सभी गैरमुस्लिम कर्मचारियों को सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया है। इस घटना के बाद प्रशासन अलर्ट है। पुलिस हर स्कूल और विभाग से गैर मुस्लिम कर्मचारीयों को निकाल रही है। उन्हें सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए संदेश भेजा गया। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले गैर मुस्लिम कर्मचारियों को आर्मी कैंट या अन्य सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। बहुत सारे लोगों ने कुछ ही घटों में जम्मू के लिए फ्लाइट भी बुक कर ली है।

गैर मुस्लिमों को हाई सिक्योरिटी परिसर में रखा गया

पूरे कश्मीर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। हर जगह तलाशी ली जा रही है। प्रशासन ने गैर मुस्लिमों को फील्ड ड्यूटी से हटा लिया है। हर एक विभाग को सूचना भेजी गई है कि वे अपने यहां काम करने वाले सभी गैरमुस्लिमों को घर में रहने के लिए कहें। अनंतनाग जिले में परिवार के साथ रह रही कश्मीरी पंडित खुशी जम्मू के लिए रवाना हो गई है। उन्होंने कहा कि, जब पंडित और सिख मारे जा रहे हैं तो हम यहां नहीं रहना चाहते। गंदरबल में काम करने वाले सभी गैर मुस्लिम कर्मचारियों को माता खीरभावनी के हाई सिक्योरिटी परिसर में रखा गया है।


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आतंक विरोधी जुलूस में सभी धर्म के लोग दिखाई दिए

इस बदतर हालात में भी कुछ आशा की किरण देखी जा सकती है। पहली बार सभी धर्मों के लोग आतंकी विरोधी जुलूस में दिखे। सुपिंदर के दाह संस्कार में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम पहुंचे। सोशल मीडिया पर आतंक के खिलाफ लोग लिख रहे हैं। बता दें कि, श्रीनगर के ईदगाह इलाके के सरकारी स्कूल में आतंकियों द्वारा मारी गईं प्रिंसिपल सुपिंदर कौर का शुक्रवार को गम और गुस्से के बीच अंतिम संस्कार किया गया। कौर के आवास पर समुदाय के सैकड़ों लोग एकत्रित हुए और शव स्ट्रेचर पर रखकर मार्च निकाला। श्रीनगर की सड़कों से गुजरी कौर की अंतिम यात्रा में लोग भावुक दिखे और न्याय चाहिए के नारों के बीच आगे बढ़े। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के विरोध में भी नारे लगाए।

जम्मू-कश्मीर को 90 के दशक में लौटाने की साजिश

बता दें कि, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद अब आतंकियों की बौखलाहट खुलकर सामने आने लगी है। आतंकवादी अब आम नागरिकों को निशाना बनाकर घाटी में दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को आतंकियों द्वारा दो शिक्षकों की हत्या के बाद घाटी में पिछले पांच दिनों में मारे गए आम नागरिकों की संख्या सात पहुंच गई है। आतंकी ज्यादातर घाटी के हिन्दुओं और गैर मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं। इनमें से छह की हत्या शहर में हुई है। इनमें चार अल्पसंख्यक समुदाय से थे। इस तरह से देखा जाए तो एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर को 90 के दशक में लौटाने की साजिश हो रही है।


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आम नागरिकों को निशाना बनाकर फैलाई जा रही दहशत

कश्मीर में आम नागरिकों को लक्ष्य बनाकर की जा रही हत्या को आतंकियों की नई रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। जानकार इसे अभी 90 के दशक जैसी स्थिति बनाने की कोशिश से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, आतंकी गुटों की कमजोर स्थिति के मद्देनजर सुरक्षा बल इस संभावना से इनकार कर रहे हैं। ताजा घटनाओं को आतंकी गुटों के शीर्ष नेतृत्व के खात्मे की वजह से बौखलाहट और घाटी में जनसांख्यिकीय बदलाव की आशंका के मद्देनजर आम नागरिकों को निशाना बनाकर दहशत फैलाने की कोशिश और तालिबान के कब्जे के बाद उभरते कट्टरपंथ से जोड़कर देखा जा रहा है।

कब-कब हुई ताबड़तोड़ वारदात

2 अक्तूबर : श्रीनगर के चट्टाबल निवासी माजिद अहमद गोजरी की आतंकियों ने हत्या की
2 अक्तूबर : एसडी कॉलोनी बटमालू में मोहम्मद शफी डार को गोलियों से भूना
5 अक्तूबर : श्रीनगर के मशहूर दवा कारोबारी माखन लाल बिंदरू की शाम को गोली मारकर हत्या
5 अक्तूबर : एक घंटे बाद चाट विक्रेता बिहार निवासी वीरेंद्र पासवान की हत्या
5 अक्तूबर : कुछ ही मिनट बाद उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में मोहम्मद शफी लोन की हत्या
7 अक्तूबर : श्रीनगर में महिला प्रधानाध्यापिका समेत दो शिक्षकों की गोली मारकर हत्या


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पहले भी कायराना हरकतें

2 जून : त्राल में आतंकियों ने भाजपा नेता राकेश पंडिता को मौत के घाट उतारा
8 जून : अनंतनाग में कांग्रेस नेता और सरपंच अजय पंडिता की हत्या
22 जून : जम्मू-कश्मीर में इंस्पेक्टर परवेज अहमद पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया
15 जुलाई : सोपोर में भाजपा नेता मेहराजुद्दीन मल्ला को अगवा किया गया, पर दस घंटे में ही उन्हें मुक्त करा लिया गया।

डीजीपी ने कहा- सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास

जम्मू-कश्मीर में शिक्षकों की हत्या की घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि, कश्मीर में नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों की लक्षित हत्या का मकसद भय का माहौल बनाना और सदियों पुराने सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाना है। सिंह ने स्कूल में संवाददाताओं से कहा, यह दरिंदगी, वहशत और दहशत का मेल है। इस स्कूल का परिसर काफी फैला हुआ है और बड़े मैदान और तीन मंजिला इमारतें हैं, लेकिन कोई सीसीटीवी नहीं है। सिंह ने कहा कि, जो लोग मानवता, भाइचारे और स्थानीय मूल्यों को निशाना बना रहे हैं, वे जल्द ही बेनकाब होंगे। उन्होंने हालिया हमलों को कश्मीर के मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की कोशिश बताते हुए आरोप लगाया कि, आतंकवादी पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे हैं, ताकि घाटी में शांति बहाली में बाधा डाली जा सके।


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