द लीडर | अफगानिस्तान के कुंदुज शहर में एक शिया मस्जिद में जोरदार धमाका हुआ है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, शुक्रवार को जुमे की नमाज के वक्त मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इस घटना में कम से कम 50 लोगों की मौत हुई है, जबकि सैकड़ों लोग घायल बताए गए हैं। अस्पतालों में भी एक के बाद एक मृतकों के शव पहुंच रहे हैं।
Blast targets Shiite mosque in Afghanistan's Kunduz city: AFP News Agency quoting Taliban official
— ANI (@ANI) October 8, 2021
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुहाजिद ने बताया, ‘आज दोपहर राजधानी कुंदुज के बांदर खान अबाद जिले में हमारे शिया हमवतन की एक मस्जिद में एक धमाका हुआ है, जिसके चलते हमारे कई नागरिक शहीद और घायल हो गए।’ स्थानीय मीडिया ने बताया कि दर्जनों लोगों की मौत हो गई है। प्रांत की राजधानी कुंदुज के लोगों ने एएफपी को बताया कि शुक्रवार की नमाज के दौरान एक शिया मस्जिद में विस्फोट हुआ।
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300 से ज्यादा लोग पढ़ रहे थे नमाज़
लोकल सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि जब ये बम धमाका हुआ उस वक्त मस्जिद में 300 से ज्यादा लोग नमाज़ के लिए जमा हुआ थे। तुलु न्यूज़ के मुताबिक चश्मदीदों का कहना है कि इस बम धमाके में 100 से ज्यादा लोगों की जान गई है और घायल हुए हैं।
हमले का कारण स्पष्ट नहीं
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पहले कहा था कि कुंदुज में “हमारे शिया हमवतन की एक मस्जिद में विस्फोट” होने पर अज्ञात संख्या में लोग मारे गए और घायल हुए. हमले की जिम्मेदारी का तत्काल कोई दावा नहीं किया गया था, लेकिन तालिबान के कट्टर प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट समूह ने हाल ही में इसी तरह के अत्याचारों का दावा किया है।
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रविवार को भी हुआ था ब्लास्ट
इससे पहले भी 3 अक्टूबर को, काबुल में एक मस्जिद के बाहर घातक विस्फोट हुआ था, जिसमें 5 आम नागरिकों की मौत हो गई थी। तालिबान के अधिकारी ने बताया कि ये लोग संगठन के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद की मां की मौत के बाद शोक जताने मस्जिद में जमा हुए थे। वैसे तो किसी ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन शक इस्लामिक स्टेट समूह पर गया, जिसने अगस्त में काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद से उसके खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं।
कब्जे के बाद सबसे खतरनाक विस्फोट
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से रविवार के विस्फोट हमले सबसे खतरनाक थे। इससे पहले 26 अगस्त को भयावह हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली थी, जिसमें काबुल एयरपोर्ट के बाहर 169 से ज्यादा अफगान लोग और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।