द लीडर हिंदी, देहरादून। जुलाई-अगस्त में होने वाली कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. उत्तराखंड की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शाखा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस यात्रा पर रोक लगाने की मांग रखी है.
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कांवड़ यात्रा पर IMA ने जाहिर की चिंता
कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के चलते आईएमए ने इसे रद्द करने की आवाज उठाई है. इसे लेकर आईएमए के राज्य सचिव डॉक्टर अजय खन्ना ने सीएम को पत्र लिखा है.
तीसरी लहर की दस्तक का खौफ
आईएमए ने अपने पत्र में लिखा है कि, तीसरी लहर देश में दस्तक देने वाली है. कोरोना की पहली लहर के बाद कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया. जिसके चलते कोरोना की दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचाही थी.
Indian Medical Association (IMA), Uttarakhand urged Chief Minister Pushkar Singh Dhami to disallow the proposed Kanwar Yatra (July – August) in order to control the eruption of the 3rd wave of the #COVID19 pandemic. pic.twitter.com/5HpY4thtmm
— ANI (@ANI) July 13, 2021
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सावन में शुरू होती है कांवड़ यात्रा
बता दें कि, लगभग एक पखवाड़े तक चलने वाली कांवड़ यात्रा सावन महीने की शुरुआत से लेकर तकरीबन 15 दिन तक चलती है. जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लाखों कांवड़िए गंगा का पवित्र जल लेने के लिए हरिद्वार में जमा होते हैं.
कावड़ क्यों लाई जाती है?
मुख्य रूप से यह समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव द्वारा सेवन करने से जुड़ी हुई है. तब भगवान शिव के शरीर को जलता देख देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया. जल अर्पित करने के कारण भगवान शंकर के शरीर को ठंडक मिली और उन्हें विष से राहत मिली.
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कावड़ यात्रा का धार्मिक महत्व
प्रतीकात्मक तौर पर कांवड यात्रा का संदेश इतना भर है कि, आप जीवनदायिनी नदियों के लोटे भर जल से जिस भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हें वे शिव वास्तव में सृष्टि का ही दूसरा रूप हैं. धार्मिक आस्थाओं के साथ सामाजिक सरोकारों से रची कांवड यात्रा वास्तव में जल संचय की अहमियत को उजागर करती है.