फ्रांस ने रमजान के महीने में इस्लामी मान्यता के हिसाब से हलाल चिकन मांस प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले को लेकर वहां के मुस्लिम नेताओं ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की है। फ्रांस में जुलाई 2021 से नए कानून के अनुसार पोल्ट्री जानवरों के इस्लामी वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
पेरिस मस्जिद, लियोन मस्जिद और एव्री मस्जिद के निदेशकों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि देश के मुस्लिम समुदाय के लिए फ्रांस के कृषि मंत्रालय का यह नकारात्मक संदेश है। इस सिलसिले में मंत्रालय के सामने बात रखने का भी कोई नतीजा नहीं निकला।
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मुस्लिम नेताओं की ओर से कहा गया कि इस तरह मुसलमानों को उनके मजहब की खुलकर प्रैक्टिस से रोका जा रहा है, जो कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस अधिकार के लिए कानूनी प्रक्रिया से चुनौती दी जाएगी।
इस मामले पर मुस्लिम नेताओं ने यहूदी समुदाय के नेताओं के साथ भी चर्चा की है, क्योंकि उनके मजहब में भी हलाल जैसी कोशर नाम की परंपरा है।
दरअसल, पूरे यूरोप में हलाल मांस के खिलाफ एक मुहिम चल रही है। फ्रांस के अलावा बेल्जियम समेत तमाम यूरोपीय देशों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं। यूरोप में कुछ पशु-पक्षी संरक्षण कार्यकर्ताओं का तर्क है कि वध के लिए यहूदी कोशर और इस्लामी हलाल का नियम आम यूरोपीय तरीके की तुलना में असंवेदनशील हैं। कोशर या हलाल के तरीके से जानवरों को ज्यादा तकलीफ होती है, गर्दन काटने का यह तरीका दर्दनाक है।
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उनका कहना है कि मुसलमानों की पवित्र पुस्तक में जानवरों के वध के लिए हलाल भी कोशर वध की तरह ही गले को थोड़ा झुकाकर काटकर मारने का नियम है। इससे पहले जानवरों को अचेत करने की अनुमति नहीं है।
इस बीच पेरिस में एक हलाल सुपरमार्केट में स्थानीय अधिकारियों द्वारा शराब और पोर्क उत्पादों की बिक्री के लिए मजबूर करने का भी मामला सामने आया है।