बहुजनों के हाथ में मोर्चे सौंपकर पैनी होगी किसान आंदोलन की धार, मई में संसद मार्च

0
341

चार महीने से ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन कुछ तब्दीली के साथ नई ऊंचाई पर जाने को तैयार हो रहा है। तीन कृषि कानूनों को रद कराने और एमएसपी की गारंटी के साथ अब ताजा और कुछ बुनियादी सामाजिक समस्याओं को लेकर आंदोलन की धार को पैना करने की कोशिश शुरू हो गई है।

ताजा यह कि किसानों के बीज, खाद की महंगाई और बुनियादी यह कि समाज में मौजूद जातिवादी मूल्यों को छुटकारा दिलाने का मसला।

किसानों का कहना है कि एक तो तय एमएसपी पर खरीद नहीं होती, दूसरा खेती पर लागत इतनी बढ़ रही है कि वह फसल के मूल्य से भी अधिक हो जाती है। हाल ही में इफको से जारी किए नोटिस के अनुसार डीएपी की बोरी अब 1200 की जगह 1900 रुपए की मिलेगी। इसी तरह अन्य उत्पादों के दाम भी बढ़ाए हैं।

यह भी पढ़ें – आंबेडकर क्यों चाहते थे कि पारंपरिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाए

https://www.facebook.com/103731911514170/videos/121756739751231

किसान आंदोलन के 134वें दिन 9 अप्रैल को किसानों ने आंदोलन की नई रणनीति पर चर्चा करके अहम फैसले लिए। आठ बिंदुओं में हुए फैसले में सबसे अहम बात यह रही कि अब ऐसा मौका भी आएगा जो बहुजन आंदोलन के मुद्दे भी मुखर रूप से रखे जाएंगे।

9 अप्रैल को लिए गए आठ फैसले

1. कल 10 अप्रैल को सरकार को चेतावनी स्वरूप सुबह 8 बजे से 11 अप्रैल सुबह 8 बजे तक KMP-KGP हाईवे को जाम किया जाएगा।

2. 13 अप्रैल को दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद धरनों पर खालसा पंथ का स्थापना दिवस मनाया जाएगा और जलियावाला बाग हत्याकांड की बरसी पर शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम होंगे।

3. 14 अप्रैल को ‘संविधान बचाओ दिवस’ और ‘किसान बहुजन एकता दिवस’ मनाया जाएगा। इस दिन सयुंक्त किसान मोर्चे के सभी मंचों को बहुजन समाज के आंदोलनकारी चलाएंगे और सभी वक्ता भी बहुजन होंगे। इस दिन कैथल में हरियाणा के किसान विरोधी उपमुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम रखा है। जहां पहुंचकर शांतिमय तरीके से कार्यक्रम रद्द कराने की कोशिश की जाएगी।

4. आंदोलन में स्थानीय लोगों की भागीदारी व उनके समर्पण का सम्मान करते हुए 18 अप्रैल को सभी मोर्चो पर आसपास के लोगों को सम्मानित किया जाएगा और उस दिन मंच संचालन की जिम्मेदारी भी उन्हें दी जाएगी।

5. 20 अप्रैल को धन्ना भगत की जयंती पर उनके गांव धोआ कलां से दिल्ली की सीमाओं पर मिट्टी लाई जाएगी व उनकी याद में टीकरी बॉर्डर मोर्चे पर कार्यक्रम होंगे।

6. 24 अप्रैल को मोर्चे के 150 दिन होने पर एक हफ्ते के विशेष कार्यक्रम होंगे, जिनमें किसानों मजदूरों के साथ साथ कर्मचारी, विद्यार्थी, नौजवान, कारोबारी व अन्य संगठनों को दिल्ली मोर्चा में शामिल होने का आह्वान किया जाएगा।

7. अप्रैल के आखिरी सप्ताह में देशभर में किसान आंदोलन को समर्थन देने वाले संगठनों की कन्वेंशन होगा, जिसमें आंदोलन को देशव्यापी तेज करने की योजना बनाई जाएगी।

8. संसद मार्च की निर्धारित तारीख का मोर्चे की अगली बैठक में सोच विचार कर ऐलान कर दिया जाएगा।

यह भी पढ़ें – क्या नए कृषि कानून देहात के जातिवादी ढांचे पर चोट करेंगे

 

(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here