विहिप के संतों की शरण में सीएम, सभी अखाड़ों को जमीन अब अगले कुम्भ में

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द लीडर हरिद्वार

एक तरफ नैनीताल हाइकोर्ट बार बार सरकार को डपटता है दूसरी ओर संत। शुक्रवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरिद्वार में विहिप के संतों की शरण में थे।इस उपवेशन यानी मार्गदर्शकों की बैठक में धर्म के राज के बारे में बातें हुईं। मंदिरों के प्रबन्धन से लेकर कुम्भ के संचालन तक  का मुद्दा आया। धर्मान्तरण औऱ लव जिहाद का भी ज़िक्र आया। इस बैठक के बाद ही खबर चल पड़ी के देवस्थानम बोर्ड भंग हो रहा है। कुम्भ में जगह मांग रहे अखाड़ों को इस आयोजन के जरिये लगता है शांत कर दिया गया।
विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक अखण्ड परमधाम आश्रम हरिद्वार में आयोजित की गयी। बैठक का शुभारंभ अखण्ड परमधाम के परमाध्यक्ष स्वामी परमानंद महाराज ने किया। अध्यक्षता जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने की ।

सभी अखाड़ों को जमीन अगले कुम्भ में जरूर देंगे

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार में होने वाले अगले कुंभ के लिए 2010 एवं 2021 कुंभ के अनुसार चिन्हित भूमि के अनुरूप अखाड़ों, शंकराचार्यों, महामंडलेश्वर और संत समाज के लिए अभी से भूमि चिन्हित की जाएगी। इसके लिए डिजिटल प्रक्रिया अपनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद मैंने सबसे पहले हरिद्वार कुंभ की बैठक ली। शिवरात्रि के स्नान पर्व पर हरिद्वार कुंभ में संतो का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला।मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ में आने वाले संत समाज, अखाड़ों एवं श्रद्धालुओं के भव्य स्वागत के लिए स्नान पर्वों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जा रही है।

शराब के ठेके हटेंगे

मुख्यमंत्री ने संतों की मांग को उचित बताते हुए लक्ष्मणझूला और मुनि की रेती क्षेत्र से शराब के ठेके हटाने के निर्देश भी कर दिए। ये इलाके भी कुम्भ क्षेत्र में आते हैं।
देवस्थानम बोर्ड से मुक्त होंगे 51 मंदिर

सभी संतजनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा मंदिरों का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। बाद में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चार धाम देव स्थानम् बोर्ड विधेयक के विषय में संत समाज को आश्वासन दिया कि इस विषय पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने माना कि 51 छोटे मंदिरों को बोर्ड के अंतर्गत लाना अनुचित था।उपवेशन में लव जिहाद और धर्मांतरण पर व्यापक चर्चा की गयी।

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