द लीडर : पाकिस्तान में बलात्कार (Rape) की सजा मौत है. फिर भी हर रोज 11 औरतों के साथ बलात्कार होता है. पिछले 6 सालों में 22,000 महिलाओं का रेप हुआ है. हालात इस कदर बदतर हो चले हैं कि इमरान सरकार को हर जिले में बलात्कार रोधी संकट प्रकोष्ठ खोलने का फैसला करना पड़ा है. लेकिन एक सवाल अब भी बरकरार है. क्या इमरान सरकार की इस नयी कोशिश से रेप की घटनाओं में कोई कमी दर्ज हो पाएगी?
ये सवाल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान की बुनियाद एक इस्लामिक राष्ट्र की है. इस लिहाज से तो इसमें रेप जैसे घिनौने अपराध की कोई कल्पना ही नहीं होनी चाहिए थी. दूसरी बात. पाकिस्तान में रेपिस्टों के लिए पहले से सजा-ए-मौत जैसा सख्त कानून है. इस पर भी लोगों में कानून का खौफ नहीं हैं और औरतें असुरक्षित हैं. तो फिर बलात्कार रोधी प्रकोष्ठ कितना असरदार साबित होगा? इस पर संदेह है.
पाकिस्तान में महिला अपराधों को लेकर पुलिस कितनी संजीदा है. खासकर रेप जैसे विभत्स घटनाओं में. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह सालों में मात्र 77 गुनाहगारों को ही सजा मिल पाई है. जो कुल आरोपों में कार्रवाई का केवल 0.3 प्रतिशत बैठता है. महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन-वुमेंस एक्शन फोरम के मुताबिक रेप के 82 प्रतिशत आरोपी महिलाओं के नाते-रिश्तेदार, चाचा-भाई और आसपास के लोग ही होते हैं. इस मामले में भारत और पाकिस्तान दोनों की स्थिति कमोबेश एक जैसी है.
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रेप की घटनाएं रोकने के लिए पाकिस्तान में नियमित प्रयास नजर आते हैं. लेकिन कामयाबी नहीं मिलती नहीं दिखती. इसका बड़ा कारण पुलिस तंत्र की नाकामी है. इसे आप रेप के 22 हजार मामलों में महज 77 आरोपियों को सजा दिलाने की स्थिति तक पहुंच पाने के तथ्य से समझ सकते हैं.
WAF-Khi wrote to the Sindh Commission on the Status of Women (SCSW) to register its protest and demand a retraction of a recent statement made by the authority claiming that rape laws are often misused.
Read full statement : pic.twitter.com/StY6Vmi3EH— Women's Action Forum – Karachi Chapter (@WAFKarachi) March 19, 2021
साल 2019 में पाकिस्तान में 1000 स्पेशल अदालतों का गठन किया गया. इस खास मकसद के साथ कि ये अदालतें महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मामलों को देखेंगी. इसके बावजूद औरतों को अपनी सुरक्षा के लिए सड़क पर उतरना पड़ रहा है. बीते 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आम औरत मार्च में हजारों की तादाद में लड़कियां और महिलाएं शामिल हुईं थीं. हालांकि ये अलग बात है कि इस औरत मार्च पर इस्लाम और देश विरोधी आरोप मढ़कर कार्रवाई की मांग उठ रही है.
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औरत मार्च के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वालों में राजनीतिक शख्सियतों के अलावा पत्रकार, उलमा और धार्मिक संगठन. कई जमातों के लोग शामिल हैं. इससे पहले महिला संगठनों के विरोध और मांग के मद्देनजर ही 2016 में पाकिस्तानी संसद ने एंटी रेप और एंटी ऑनर किलिंग बिल पर मुहर लगाकर इसे कानून की शक्ल दी थी. इसमें डीएनए टेस्ट को अनिवार्य रूप से जोड़ा गया था. इस कानून के तहत रेप करने वाला किसी भी तरह का व्यक्ति हो, मानसिक रोगी ही क्यों न सही. दोष सिद्ध होने पर वह मौत की सजा या उम्रकैद का हकदार होगा.