इटावा : तालाब में ऑक्सीजन की कमी के चलते हजारों मछलियों की हुई मौत

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द लीडर। यूपी के जिला इटावा के मुलकालीन ऐतिहासिक पक्का तालाब में ऑक्सीजन की कमी के चलते हजारों विशेष प्रजाति ‘कवई’ मछलियों की मौत होने से हड़कंप मच गया। जिसके बाद मौके पर पहुंचे मतस्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने तालाब का निरीक्षण किया।

मछलियों की मौत का कारण तालाब का पक्का होना और दो दिन पहले तालाब की सफाई के लिए तालाब में डाला गया ब्लीच पाउडर को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि, अधिक मात्रा में ब्लीच पाउडर डाले जाने से ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियों की मौत हुई है।

ऑक्सीजन की कमी के चलते हजारों मछलियों की मौत

वहीं मतस्य निरीक्षक ने बताया कि, मरने वाली मछली यमुना नदी में पाए जाने वाली कवई मछली है जो कि तालाब के लिए प्रतिबंधित होती है। नगर पालिका की टीम मरी हुई मछलियों को तालाब से निकालने में जुटी हुई है। बता दें कि, मछलियों के मरने से तालाब के आसपास दुर्गंध फैल रही है।


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इटावा का ऐतिहासिक धरोहर मुगलकालीन पक्का तालाब के पास अंग्रेजी शासनकाल में बना विक्टोरिया हॉल भी मौजूद है। ऐसे में यह पक्का तालाब मछलियों के लिए 2016-17 से मौत का तालाब बन गया है। हर वर्ष इसमें कुंटलो मछलियां मर जाती है। इस साल की बात करें तो 2 दिन से लगातार कवई प्रजाति की हज़ारों मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है।

मृत मछलियों को निकाला जा रहा बाहर

सफाई के लिए तालाब में डाला गया था ब्लीच पाउडर

यह तालाब नगर पालिका परिषद की देखरेख में आता है। इस तालाब का अपना कोई पानी का स्रोत न होने के चलते इसको पालिका के द्वारा ही पानी के टैंकर लगवा कर भरने का काम किया जाता है। वहीं साफ सफाई का ज़िम्मा भी पालिका के ऊपर है। जिसके चलते इस तालाब की साफ सफाई का कार्य 2 दिन पहले शुरू किया गया था।

वहीं पालिका की टीम ने तालाब में ब्लीच पाउडर और कैमिकल का छिड़काव पानी को साफ करने के लिए करवाया था। लेकिन इस कैमिकल के जरिए तलाब में हजारों मछलियां मर गई है।

तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए हुए थे करोड़ों खर्च

मतस्य विभाग के अधिकारियों की माने तो, जानकारी के अभाव में ब्लीच पाउडर की मात्रा ज्यादा पड़ जाने से मछलियों की मौत होना बताई जा रही है। वहीं मछलियों की मौत का एक बड़ा कारण और यह निकल कर आ रहा है कि, तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए साल 2016-17 में तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता संटू ने सपा सरकार के समय ऐतिहासिक तालाब को सुंदर बनाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये थे।

जिसके बाद तालाब की सुंदरता तो बढ़ गई और शहर के लोग पक्के तालाब पर बड़ी संख्या में घूमने के लिए आने लगे। लेकिन तालाब के धरातल को पक्का आरसीसी सीमेंट से करवा दिया गया। जिससे गर्मियों के मौसम में तालाब का पानी बेहद गर्म होने लगा और यही वजह मछलियों की मौत का कारण बनती आ रही है।

और इस बार जब नगर पालिका ने साफ सफाई के लिए ब्लीच पाउडर और केमिकल पानी में डाला तो गर्म पानी और ब्लीच पाउडर की मात्रा ज्यादा हो जाने से तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा मछलियों के लिए खत्म हो गई। जिसके कारण पिछले 2 दिनों से तालाब में हज़ारों की तादाद में मछलियों की मौत हो रही है।

मत्स्य विकास अधिकारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि, गर्मी में पानी का ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। तलाबों में ऑक्सीजन बढ़ाये जाने सम्बंधी दवाई डाला जाना चाहिए। जिससे भीषण गर्मी में मछलियों को सही से ऑक्सीजन मिल सके। अगर तालाब में ब्लीच या अन्य केमिकल पानी को साफ करने के लिए डालेंगे तो निश्चित ही यह मछलियों की मौत का कारण बन जायेगा।

हजारों की तादात में कवई प्रजाति की मछलियों की मौत

मत्स्य अधिकारी ने यह भी बताया कि, तालाब में जो मरी हुई मछली मिली है। वह कवई प्रजाति की मछली है। जो कि सिर्फ यमुना नदी में पाई जाती है और यह मछली तालाबों में पाले जाने के लिए प्रतिबंधित है।

क्षेत्रीय सभासद ने बताया कि, यह तालाब मुगलकालीन समय से बना हुआ है। सन दो हजार 2016-17 में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता संटू के द्वारा इस पूरे तालाब को पक्का करा दिया गया। वहीं पानी की निकासी ना होने के चलते गर्मियों में पानी बेहद गर्म हो जाता है। नगरपालिका की बोर्ड मीटिंग में कई बार उनके द्वारा तालाब के धरातल को प्राकृतिक तौर पर कच्चा मिट्टी का कराए जाने के लिए मांग की जा चुकी है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।


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