अफगानों को उनके मुकद्​दर पर न छोड़े दुनिया-हमारी आवाज बनें, फिल्म महानिदेशक सहरा करीमी का खत

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Afghans Sahra Karimi Taliban
सहरा करीमी. अफगान फिल्म की महानिदेशक.

सहरा करीमी. अफगान फिल्म कंपनी की महानिदेशक हैं. जिसका गठन 1968 में हुआ था. सहरा ने दुनिया के नाम एक खत लिखा है. ये अफगान सत्ता पर तालिबान के नियंत्रण के दरम्यान का है. अब जब राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगान से भाग चुके हैं. सत्ता पर तालिबान का कब्जा है. तो वहां के हालात क्या हैं? अफगानों की बड़ी आबादी में तालिबान का इस कदर खौफ क्यों है. ये समझने के लिए सहरा करीमी का ये खत जरूर पढ़िए. (Afghans Sahra Karimi Taliban)


 

मैं जब ये लिख रही हूं, यकीन जानिए मेरा दिल जख्मी है. लेकिन उम्मीद और इरादे फिर भी मजबूत हैं. इस बात को लेकर कि आप हमें और हमारे कलाकारों को तालिबान से बचाने को खड़े होंगे.

बीते कुछ हफ्तों में तालिबान ने कई प्रांतों को अपने कब्जे में ले लिया है. इस बीच हमारे कई लोगों का जनसंहार किया. बच्चों को कैडनैप करके, लड़कियों को बाल विवाह के तौर पर अपने लोगों के हवाले कर दिया.

अफगानिस्तान में तालिबान

एक महिला को केवल उसकी पेशाक के खातिर मौत के घाट उतार डाला. हमारे करीबी हास्य कलाकारों पर जुल्म ढाए. उनका कत्ल कर दिया. एक नामचीन कवि को भी मार दिया. सरकार के सांस्कृतिक और मीडिया प्रमुख की हत्या कर दी. सरकार से जुड़े तमाम लोग मार दिए हैं. कुछ को खुलेआम फांसी पर टांग दिया. लाखों लोगों को विस्थापित कर दिए. (Afghans Sahra Karimi Taliban)


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अपना घर-वार, प्रांत छारेड़कर असंख्यक लोग काबुल के शिविरों में पनाह लिए हैं. जहां बदहाली और खौफ मंडरा रहा है. शिविरों में लूटपाट चल रही है. एक तरीके से इंसानियत पर संकट है. दूध की किल्लत से मासूम बच्चे दम ताेड़ रहे हैं.

इस सबके बावजूद दुनिया खामोश है. शायद हम इस मौन के आदी हो चुके हैं. जबकि हम जानते हैं कि ये ठीक नहीं है. हमारे लोगों को इस हाल में छोड़ने का फैसला गलत है. बीते 20 सालों में हमने जो कुछ भी हासिल किया, वो सब तहस-नहस हो गया.

इस वक्त हमें आपकी आवाज की जरूरत है. बतौर एक फिल्म निर्माता मैंने जिस चीज के लिए जीतोड़ मेहनत की है. वो बिखरने की कगार पर है. अगर सत्ता तालिबान के हाथों में आ जाती है, तो वे हर तरह की कलाओं को प्रतिबंधित कर देंगे. मैं और दूसरे कलाकार भी उनकी हिट लिस्ट में दर्ज होंगे. (Afghans Sahra Karimi Taliban)

तालिबानी औरतों के हकों का हनन करेंगे. अभिव्यक्ति की आजादी को कैद कर दिया जाएगा. इससे पहले जब तालिबान सत्ता में था. उस वक्त स्कूल जाने वाली लड़कों की संख्या जीरो थी. लेकिन इस वक्त करीब 9 मिलियन ज्यादा अफगानी लड़कियां स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रही हैं.


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तालिबान ने सबसे बड़े शहर हेरात पर फतह हासिल कर ली है. इसी हेरात में एक यूनिवर्सिटी है, जहां 50 प्रतिशत छात्राएं पंजीकृत हें. एक अनोखा अचीवमेंट है. जिससे दुनिया वाकिफ नहीं है. लेकिन पिछले कुछ दिनों ने तालिबान ने कई स्कूलों को भस्म कर दिया है. और लगभग 20 लाख लड़कियों को स्कूलों से निकाल दिया गया है.

मैं शायद इस दुनिया को ठीक से नहीं समझ पाई. और न ही उनकी खामोशी को समझ पा रही हूं. लेकिन मैं खड़ी रहूंगी और देश की खातिर लड़ूंगी. हां, मैं जानती हूं कि ये सब मैं अकेले नहीं कर सकती. मुझे आपकी मदद की जरूरत है. हमारे साथ क्या हो रहा है? इसे देखें. और दुनिया को दिखाने में मदद करें. (Afghans Sahra Karimi Taliban)

हर एक शख्स को ये बताएं कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है? अफगान के बाहर हमारी आवाज बनें. क्योंकि तालिबान के कब्जा करते ही इंटरनेट और संचार सेवाओं तक हमारी पहुंच शायद नहीं हो पाएगी.

प्लीज. हमारी आवाज का समर्थन करें. इस हकीकत को मीडिया के साथ शेयर करें. और अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमारे बारे में लिखें. क्योंकि दुनिया हमारी तरफ नहीं देखती. हमें अफगान महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और दूसरे सभी लोगों को आवाज आवाज की जरूरत है.

हमारे लिए यही सबसे बड़ी मदद होगी. जिसकी हमें सख्त जरूरत है. प्लीज हमारी मदद को आगे आएं. अफगानों को उनके मुकद़्दर पर न छोड़ें. काबुल में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से पहले हमारी मदद करें. हमारे पास कुछ ही वक्त है. बहुत आभार.


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हालांकि अब जब हम, सहरा करीमी का ये खत आप तक पहुंचा रहे हैं. तब तक, सत्ता पर तालिबान का कब्जा हो चुका है. जिसको लेकर भारत में बहस छिड़ी है. खासकर अमेरिका की शिकस्त को लेकर. मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा अफगान में अमेरिका की हार पर खुश है. सहरा करीमी.

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