द लीडर : दिल्ली दंगों में पुलिस की जांच और कार्रवाई पर अदालत से बेहद सख्त टिप्पणी हो रही हैं. दंगों के आरोपी पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत तीन लोगों को एक स्थानीय अदालत से आरोपमुक्त किए जाने के बाद, शुक्रवार को हाईकोर्ट ने 5 और आरोपियों को जमानत दे दी है. (Delhi Riots Police Court)
गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत ने शाह आलम समेत तीन आरोपियों को आरोप मुक्त करते हुए जो टिप्पणी की थी. वो पुलिस के कामकाज के तरीके पर गंभीर सवाल भी है. अपने आदेश में अदालत ने कहा था-”इतिहास में दिल्ली दंगों को दिल्ली पुलिस द्वारा की गई घटिया जांच के लिए याद किया जाएगा.”
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने मुहम्मद आरिफ, फुरकान, शादाब अहमद, तबस्सुम और सुवलीन को जमानत दे दी है. इनकी पैरवी वकील दिनेश तिवावी कर रहे थे.
अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध भी किया. तर्क दिया कि वीडियोग्राफी के जरिये आरोपियों की पहचान करना, काफी अजीब था.
इसे भी पढ़ें -UP के पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की फोटो को रिपब्लिक भारत ने बताया तालिबानी मुल्ला उमर का बेटा, करेंगे केस
इससे पहले गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत ने शाह आलम, राशिद सैफी और शादाब को आरोप मुक्त किया था. इन पर दिल्ली के भजनपुरा गली नंबर-15 के ओम सिंह के पान के खोखे को जलाने का आरोप था. इनके खिलाफ दयालपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. (Delhi Riots Police Court)
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में दिनेश तिवारी बचाव पक्ष के वकील के रूप में पैरवी कर रहे थे. उन्होंने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किलों के पास कोई हथियार नहीं पाया गया है. न ही उनकी मौजूदगी को दर्शाता कोई वीडियो फुटेज मिला. केवल एक मात्र गवाह है. वो है पुलिस. यहां तक कि कोई सार्वजनिक गवाह भी नहीं है.
वकील दिनेश तिवारी ने ये भी कहा कि पुलिस ने झूठी गवाही दी है. वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. अगर वह होते तो कंट्रोल रूम को सूचित करते. पुलिस के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.
उन्होंने आरोपियों कीे गिरफ्तारी को लेकर भी सवाल खड़े किए और बचाव में तर्क रखा. कहा कि 9 मार्च 2020 को खजूरी खास थाने में एफआइआर संख्या 101 दर्ज की गई. और उनके मुवक्किलों को गलत तरीके से फंसाकर 9 अप्रैल को तीनों की गिरफ्तारी दिखाई. बचाव और अभियोजन पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया. (Delhi Riots Police Court)
पिछले साल फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे भड़क गए थे. जिसमें करीब 53 लोग मारे गए थे और हजारों की संख्या में घायल हुए थे. ये दंगें तब हुए थे, जब शाहीन बाग में सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रोटेस्ट चल रहा था. इसे खत्म करने के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा समेत अन्य ने आंदोलन से खुद निपटने की चेतावनी दी थी.
इसे भी पढ़ें-सांप्रदायिक लहजे में खबरें परोस रहा मीडिया, जमीयत की फेक न्यूज याचिका पर सुप्रीमकोर्ट की चिंता
इसके बाद ही माहौल बिगड़ा और दंगे भड़क गए. लेकिन पुलिस ने दंगों की सुनियोजित साजिश का आरोप सीएए-एनआरसी के आंदोलनकारियों पर लगाया. इस आरोप में जेएनयू, जामिया के छात्र और छात्रनेताओं को आरोपी बनाया गया. जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, जामिया एल्युमिनाई संगठन के अध्यक्ष समेत कई लोग अभी जेल में हैं.