खबर का असर : कोविड जैसे लक्षण वाले मरीजों की जाँच रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी कोविड मरीजों की भांति इलाज

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लखनऊ। कोरोना आज भी रहस्य बना हुआ है यही कारण है कि जहां तक कोरोना के बारे में पता किया जाता है ।उसे कुछ न कुछ ऐसा आगे नया आ जाता है जिससे लोगों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यही कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा था। यहां पर बहुत से मरीजों की कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी उनमें कोविड जैसे लक्षण दिख रहे थे जिसमें कई लोगों की तो इलाज के अभाव में मौत तक हो जा रही है।

इस समस्या को देखते हुए द लीडर हिंदी ने अपनी खबर में बताया था कि प्रदेश में बहुत से मरीज कोविड-19 की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन उनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। जिस वजह से उनको कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा और नॉन कोविड अस्पताल में वह अन्य मरीजों को भी संक्रमित कर रहे थे। वंही इसका कारण भी बताया गया था कि कोरोना के न्यू म्युटेन की जांच के लिए प्रदेश सरकार के पास उपाय ही नही है यंहा सिर्फ पुराने संसाधनों से जांच हो रही है जो सिर्फ वायरस डिडेक्ट करता है। जिसका संज्ञान लेते हुए आज उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यह आदेश जारी किया गया। जो प्रिजम्प्टिव कोविड-19 रोगी है यानी जो रोगी प्रयोगशाला जांच में कोविड निगेटिव पाए जाते हैं। लेकिन उनके लक्षण के आधार पर अथवा एक्स-रे/सिटी स्कैन या रक्तचाप इत्यादि के आधार पर कोविड-19 श्रेणी में उन्हें सम्मिलित किया जाना चाहिए। ऐसे रोगियों की तुरंत लक्षणों के आधार पर जांच करते हुए ,कोविड मरीजों की भांति ही उपचार किया जाए।

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क्या है नए म्यूटेंट के मरीजों में लक्षण

हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना का डबल म्‍यूटेंट शरीर पर अलग-अलग तरीके से हमला कर रहा है। नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है और श्वसन तंत्र पर तेजी से कब्जा कर लेता है। इससे सिरदर्द जैसी समस्याएं भी दिख रही हैं, जो कि पहले नहीं दिखी थीं। यही कारण है कि कोरोना के पुराने लक्षणों से मिलान करने पर संक्रमित भी धोखे में खुद को स्वस्थ मान बैठते हैं और जांच नहीं कराते। इससे संक्रमण की रफ्तार और बढ़ी है।

क्या थे पुराने मरीजों में लक्षण

पिछले यानी सबसे शुरुआती म्‍यूटेंट के कारण मरीज में बुखार, सर्दी-खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षण दिखते थे। साथ में कई मरीजों में स्वाद और गंध की क्षमता अस्थायी तौर पर खत्म हो जाती थी। समय के साथ दवा लेने पर ये लक्षण ठीक हो जाते थे। आगे चलकर पैरों की अंगुलियों पर लाल या बैंगनी चकत्ते जैसे लक्षण भी दिखे। वहीं ज्यादातर मरीजों में बेचैनी और थकान थी।

 

देश के कई बड़े हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मरीज देखे हैं, उन्हें बुखार, खांसी, सांस की समस्या थी और फेफड़े के सीटी स्कैन में लक्षण दिखे। इसे मेडिकल टर्म में पैची ग्राउंड ग्लास ओपेसिटी कहा जाता है। कुछ मरीजों की जांच ब्रोन्चोल्वियोलर लैवेज (BAL) के जरिए की गई यह रोगों को पहचानने का एक तरीका है, जिसमें एक लचीले पाइप को एक निश्चित मात्रा में केमिकल के साथ मुंह या नाक के जरिए फेफड़े तक ले जाया जाता है और फिर उसकी जांच की जाती है, जिसके बाद बीमारी की पहचान होती है। जो भी मरीज कोविड-19 के पुराने टेस्टिंग तरीकों में निगेटिव पाए गए लेकिन जिनमें लक्षण थे, वे लैवेज टेस्ट में पॉजिटिव आए।
इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर और बाइलियरी साइंसेस में क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ प्रतिभा काले के अनुसार, “यह संभव है कि इन मरीजों में वायरस नाक या गले को संक्रमित नहीं किया हो। जबकि स्वैब सैंपल इन्हीं जगहों से ली जाती है। वायरस ACE रिसेप्टर्स से खुद को जोड़ता है, यह फेफड़े की कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। इसलिए जब वहां से फ्लुइड सैंपल लेकर जांच की जाती है तो उनमें कोविड-19 की पुष्टि होती है.”

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