नई दिल्ली। भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने सरकार को सूचित किया है कि, उसने कोवैक्सीन से जुड़े 90 प्रतिशत दस्तावेज पहले ही डब्ल्यूएचओ में जमा करा दिए हैं, ताकि टीके को आपात इस्तेमाल के लिए सूचीबद्ध कराया जा सके.
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कोवैक्सीन के तीसरे चरण के प्रशिक्षण को लेकर अंतिम दौर में वार्ता
उसने कहा कि, शेष विवरण भी अगले महीने दे दिये जाएंगे. कंपनी ने बताया कि, एक अलग घटनाक्रम में बीबीआईएल अमेरिका में छोटे पैमाने पर कोवैक्सीन के तीसरे चरण के चिकित्सीय परीक्षण के लिए अमेरिका के खाद्य और औषधि प्रशासन (यूएएफडीए) के साथ वार्ता के अंतिम दौर में है.
वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई बैठक
सूत्रों ने बताया कि, कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से ईयूएल दिलाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए बीबीआईएल के शीर्ष अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक हुई.
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कोविशील्ड आपात इस्तेमाल की अनुमति सूची में सूचीबद्ध
उल्लेखनीय है कि, डल्ब्यूएचओ की तरफ से ईयूएल उत्पाद की सुरक्षा और प्रभाव को प्रतिबिंबित करती है. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादित कोविशील्ड नाम के टीके को विश्व निकाय ने आपात इस्तेमाल अनुमति सूची में सूचीबद्ध किया है.
कोरोना वायरस टीके के समान वितरण की वैश्विक पहल ‘कोवैक्स’ में टीके को शामिल कराने के लिए भी डब्ल्यूएचओं की मान्यता की जरूरत है.
सूत्रों ने बताया कि, बीबीआईएल डब्ल्यूएचओ की आपात इस्तेमाल सूची में कोवैक्सीन के सूचीबद्ध होने को लेकर आश्वस्त है और इसमें विदेश मंत्रालय हर संभव सहायता करेगा.
कोवैक्सीन से जुड़े 90 प्रतिशत जरूरी दस्तावेज WHO में जमा
बता दें कि, कोवैक्सीन से जुड़े 90 प्रतिशत जरूरी दस्तावेज पहले ही डब्ल्यूएचओ में जमा करा दिए हैं और बाकी के जून तक जमा कराने की उम्मीद है.
कोवैक्सीन को पहले ही 11 देशों से नियामकीय मंजूरी मिली
बीबीआईएल ने अप्रैल में डब्ल्यूएचओ के ईयूएल के लिए आवेदन किया था. उन्होंने बताया कि, कोवैक्सीन को पहले ही 11 देशों से नियामकीय मंजूरी मिल चुकी है. सूत्रों ने बताया कि सात देशों की 11 कंपनियों ने कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में रुचि दिखाई है.
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सूत्रों ने बताया कि, बीबीआईएल ब्राजील और हंगरी में कोवैक्सीन की नियामकीय मंजूरी हेतु जरूरी दस्तावेजों को जमा कराने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में है.
बीबीआईएल के पास लंबी अवधि के आंकड़े
बताया जा रहा है कि, दोनों देश द्विपक्षीय स्तर पर गहन चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, बीबीआईएल इन देशों के नियामकों के नियमित संपर्क में है. उन्हें अपने डोजियर पर भरोसा है, क्योंकि उनके पास लंबी अवधि के आंकड़े हैं.
जो एंटीबॉडी के छह महीने बाद और आठ महीने बाद भी बने रहने की जानकारी देते हैं. बीबीआईएल ने बैठक में स्पष्ट किया कि सभी नियामकीय मंजूरी पूर्व तरीख और बाद के लिए प्रभावी होगी.
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उन्होंने बताया कि किसी भी देश ने ‘टीका पासपोर्ट’ लागू नहीं किया है. और दुनिया के विभिन्न देशों की मंजूरी की अपनी व्यवस्था है, अधिकतर मामलों में यात्रा के दौरान आरटी-पीसीआर जांच में कोरोना वायरस नेगेटिव होने के प्रमाणपत्र की जरूत है.
गौरतलब है कि, सीरम इंस्टीट्यूट का कोविशील्ड और भारत बायोटेक का कोवैक्सीन देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण का हिस्सा है और कुछ खबरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है. क्योंकि इस टीके को मान्यता नहीं मिली है.
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उन्होंने बताया कि, बीबीआईएल की ईयूएल को लेकर सरकार के साथ हुई बैठक में कंपनी के प्रबंध निदेशक वी. कृष्णा मोहन और उनके सहयोगियों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
‘और जानकारी’ की जरूरत- डब्ल्यूएचओ
वहीं डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि, भारत बायोटेक को अपने कोवैक्सीन टीके को आपात इस्तेमाल के लिये सूचीबद्ध कराने को लेकर और अधिक जानकारी देनी होगी. एजेंसी ने कहा कि यदि मूल्यांकन के लिये प्रस्तुत किया गया उत्पाद सूचीबद्ध करने के मानदंडों पर खरा उतरता है तो डब्ल्यूएचओ व्यापक रूप से इसके परिणाम प्रकाशित करेगा.
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आपातकालीन उपयोग सूचीकरण प्रक्रिया की अवधि वैक्सीन निर्माता द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों की गुणवत्ता और डब्ल्यूएचओ के मानदंडों को पूरा करने वाले आंकड़ों पर निर्भर करती है.