वैक्सीनेशन पर केंद्र की नीति के खिलाफ कांग्रेस आक्रामक, राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग

0
239

द लीडर देहरादून।

उत्तराखंड में वैक्सीन नहीं है। 45 से कम उम्र वालों को टीके लग ही नहीं रहे हैं और मैक्स अस्पताल तय रेट से ज्यादा रकम पर टीके लगवा रहा है। देश भर के सभी लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन लगाने की मांग को लेकर कांग्रेस ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। कुछ जिलों में जिलाधिकारी के मार्फत राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया।
कांग्रेस की मांग है कि सरकार देश में प्रतिदिन एक करोड़ वैक्सीनेशन सुनिश्चित करे और भारत के हर नागरिक को मुफ्त वैक्सीनेशन किया जाए।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया है कि कहा कि कोविड-19 ने लगभग हर भारतीय परिवार को अप्रत्याशित तबाही एवं असीम पीड़ा दी है। दुख की बात है कि मोदी सरकार ने कोरोना से लड़ने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है और लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। केंद्र की भाजपा सरकार कोविड-19 के अपराधिक कुप्रबंधन की दोषी है।
महामारी के बीच वैक्सीनेशन ही एकमात्र सुरक्षा है। मोदी सरकार की वैक्सीनेशन की रणनीति भारी भूलों की एक खतरनाक कॉकटेल है। भाजपा सरकार ने ‘वैक्सीनेशन की योजना’ बनाने का अपना कर्तव्य ही भुला दिया। सरकार निंदनीय रूप से ‘वैक्सीन की खरीद’ से बेखबर रही। केंद्र सरकार ने जानबूझकर एक ‘डिजिटल डिवाईड’ पैदा किया, जिससे वैक्सीनेशन की प्रक्रिया धीमी हो गई। ‘ एक ही वैक्सीन के लिए अलग अलग कीमतें तय कीं, ताकि आम आदमी से आपदा में लूट की जा सके।
जहां अन्य देशों ने मई, 2020 से वैक्सीन खरीदने के ऑर्डर देने शुरू कर दिए थे, वहीं मोदी सरकार ने वैक्सीन का पहला ऑर्डर जनवरी, 2021 में दिया। जन पटल पर मौजूद जानकारी के अनुसार, मोदी सरकार और राज्य सरकारों ने 140 करोड़ की जनसंख्या के लिए आज तक केवल 39 करोड़ वैक्सीन खुराकों का ऑर्डर दिया है। 31 मई, 2021 तक केवल 21.31 करोड़ वैक्सीन ही लगाई गईं। वैक्सीन की दोनों खुराकें केवल 4.45 करोड़ भारतीयों को ही मिली हैं, जो भारत की आबादी का केवल 3.17 प्रतिशत है। पिछले 134 दिनों में, वैक्सीनेशन की औसत गति लगभग 16 लाख खुराक प्रतिदिन है। इस गति से, देश की पूरी वयस्क जनसंख्या को वैक्सीन लगाने में तीन साल से ज्यादा समय लग जाएगा। यदि ऐसे ही चलता रहा, तो हम देश के नागरिकों को कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा पाएंगे, इस सवाल का जवाब मोदी सरकार को देना होगा।

सरकार वैक्सीन की 6.63 करोड खुराक दूसरे देशों को निर्यात कर चुकी है।
सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड की एक खुराक की कीमत मोदी सरकार के लिए 150 रुपये, राज्य सरकारों के लिए 300 रुपये और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये है। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की एक खुराक की कीमत मोदी सरकार के लिए 150 रुपये, राज्य सरकारों के लिए 600 रुपये और निजी अस्पतालों के लिए 1,200 रुपये है। निजी अस्पताल एक खुराक के लिए 1500 रुपये तक वसूल रहे हैं। दो खुराकों की पूरी कीमत की गणना इसी के अनुसार होगी। ये मुनाफाखोरी का नुस्खा है।
उत्तरकाशी में पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, जिला कांग्रेस और शहर कांग्रेस ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी उत्तरकाशी को सौंपा। इस दौरान उत्तरकाशी जनपद में 18 से 44 वर्ष की आयु के लोगों को वैक्सीन न लग पाने एवम पंजीकरण के संबंध में भी चर्चा हुई ।

महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन

हल्द्वानी में कांग्रेसियों ने बुद्ध पार्क में केंद्र व राज्य सरकार का पुतला फूंकते हुए जमकर नारेबाजी की। कहा कि कोरोना काल के बावजूद लोगों का उत्पीडऩ किया जा रहा है।महंगाई कम करने के दावों और नारों के बीच सत्ता पाने वाली भाजपा अब वादाखिलाफ पर उतर आई। 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता इसका जवाब जरूरी देगी।
कांग्रेस महामंत्री हेमंत साहू के नेतृत्व में जुटे कार्यकर्ताओं ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के बाद खाद्य तेल व अन्य चीजों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। मई में ही लगातार तेल के दाम बढऩे के रिकॉर्ड टूट गए। उसके बावजूद सरकार खुद को जनता का हितैषी बता रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here