चीफ जस्टिस बोबड़े ने ‘योर ऑनर’ कहने पर कानून के छात्र को चेताया, जानते हैं क्यों नहीं बोलना चाहिए योर ऑनर

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Chief Justice Bobde Warns Your Honor

द लीडर : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया-एसए बोबड़े के नेतृत्व में सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) की एक बेंच ने, कानून के एक छात्र (Law Student) द्वारा न्यायाधीशों को योर ऑनर (Your Honour) कहकर संबोधित किए जाने पर चेतावनी दी है. छात्र के संबोधन पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि, ”हम यूएस सुप्रीमकोर्ट नहीं हैं. हमें इस तरह संबोधित न करें.” (Chief Justice Bobde Warns Your Honor)

इस पर छात्र ने माफी मांगी. और कहा कि ‘माई लॉर्ड’ (My Lords) के तौर पर संबोधित करूंगा. जस्टिस बोबड़े ने कहा, ‘जो भी हो, लेकिन कोई गलत शब्द नहीं.’ और अदालत ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी. जस्टिस बोबड़े ने कहा, ‘हम मामले को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर रहे हैं. चूंकि आपने हमें गलत तरीके से संबोधित किया है.’ अधीनस्थ न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ये हुआ.

इसलिए नहीं कह सकते योर ऑनर

अब सवाल ये उठता है कि सुप्रीमकोर्ट या हाईकोर्ट के जजों को ‘योर ऑनर‘ के रूप में संबोधित क्यों नहीं कर सकते. एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में विधि विभाग के डीन व एसोसिएट प्रोफेसर अमित सिंह कहते हैं, चूंकि सुप्रीमकोर्ट या हाईकोर्ट के जज न्याय-भगवान के प्रतिनिधि का दर्जा रखते हैं.

इसलिए क्योंकि, उनके पास उन मामलों में भी अपने विवेक से फैसला सुनाने का अधिकार है, जो विधि में स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं है. इस तरह उन्हें ‘योर लॉर्डशिप’ या ‘माई लॉर्ड’ कहकर संबोधित किया जाता है. निचली अदालत में ‘योर ऑनर’ कहकर संबोधित कर सकते हैं. क्योंकि वहां ‘मजिस्ट्रेट’ को विधि में जितना वर्णित है, उसी दायरे में फैसला देने का अधिकार होता है. (Chief Justice Bobde Warns Your Honor)


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अमित सिंह बताते हैं कि ‘कुछ साल पहले वकीलों ने एक मुहिम चलाई थी. वो ये कि अदालत में ‘योर लॉर्डशिप’ का संबोधन छोड़ दिया जाए. इस तर्क के साथ कि ‘माई लॉर्डशिप’ अंग्रेजी जमाने का है. आजाद भारत की न्यायव्यवस्था में ‘योर ऑनर’ इस्तेमाल किया जाना चाहिए. (Chief Justice Bobde Warns Your Honor)

साल 2014 में सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका पहुंची थी. जो ‘माई लॉर्ड, योर ऑनर और योर लॉर्डशिप’ के संबोधन से जुड़ी थी. इस पर सुप्रीमकोर्ट कोर्ट ने कहा था कि न्यायाधीशों को सम्मान और गरिमापूर्ण तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए. न्यायाधीशों के प्रति ‘सर’ का संबोधन भी स्वीकार्य है.


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न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसए बोबड़े की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि ‘हमने कब कहा कि यह अनिवार्य है. आप हमें सिर्फ गरिमापूर्ण तरीके से संबोधित कर सकते हैं’. अब सात साल बाद फिर ये मामला न्यायमूर्ति एसए बोबड़े के सामने आया, जब वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया हैं. (Chief Justice Bobde Warns Your Honor)

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