तीन नए कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी के लिए दिल्ली की सरहदों पर घेराबंदी किए किसानों का आंदोलन देशभर में बेलें फैलाता जा रहा है। किसान महापंचायतों के बाद भारत बंद और मिट्टी सत्याग्रह से आम जन का समर्थन जुटाने की कोशिशों ने हौसलों को बढ़ा दिया है।
अब किसानों ने केंद्र की भाजपा सरकार से जुड़े नेताओं को निशाने पर लिया है, जो आंदोलन का समर्थन नहीं कर रहे। उनके खिलाफ नए ऐलान से भाजपा नेताओं में घबराहट बढ़ रही है। इस ऐलान की वजह से ही राजस्थान के सांसद ने ऐन वक्त पर बैठक टाल दी।
छह अप्रैल को राजस्थान के हनुमानगढ़ में जिला परिषद की बैठक में सांसद निहालचंद ने आना था, जहां बड़ी संख्या में किसान जमा हो गए। बताया जा रहा है कि किसानों के सवालों से डरे भाजपा सासंद बैठक स्थल पर आए ही नहीं।
दूसरी ओर भाजपा नेता विजय सांपला का भी पंजाब के फगवाड़ा में घेराव व विरोध किया गया। किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि जो भी भाजपा सांसद, विधायक, नेता आंदोलन का समर्थन नहीं करेंगे, उनका हर जगह सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के समन्वयक डाॅ.दर्शनपाल ने कहा, राजनैतिक नैतिकता के विचार को ध्यान में रखते हुए किसानों ने भाजपा व सहयोगी दलों के कई नेताओं को मजबूर किया है कि वे अपनी स्थिति बदलें व पार्टी छोड़कर किसानों का समर्थन करें। देश के कई हिस्सों में भाजपा व अन्य दलों के नेताओं ने किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे संघर्ष को समर्थन देते हुए अपना पद छोड़ा है।
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उन्होंने कहा, किसान मोर्चा भाजपा व सहयोगी दलों के सांसदो, विधायकों व अन्य नेताओं से अपील कर रहा है कि किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हुए अपने पद व स्थिति को छोड़ें। भाजपा में रहते हुए भी कई नेताओं ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया भी है, जबकि कई नेता सरकारी एजेंसियों के डर से किसानों के समर्थन में आने से भयभीत हैं।
डॉ.दर्शनपाल ने कहा, किसानों का यह आंदोलन सहमति या असहमति से कहीं अधिक मानव अधिकारों और किसानों के प्रति संवेदनशीलता का मुद्दा है। इसे किसी घमंड की लड़ाई की बजाए सामाजिक मुद्दा समझा जाए।
गौरतलब है, किसान मोर्चा के आह्वान पर पांच अप्रैल को एफसीआई बचाओ दिवस मनाया गया। हुसैनगंज, पटना, नालंदा, दरभंगा, हाजीपुर, भोजपुर, जालौन-उरई, पटना, नालंदा, मुजफ्फरपुर, उदयपुर, सीकर, झुंझुनूं, सतना, हैदराबाद, दरभंगा, आगरा, रेवाड़ी, पलवल में भी किसानों के प्रदर्शन की खबरें देर रात आईं।
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सैकड़ों गांवों से दिल्ली बॉर्डरों पर पहुंची मिट्टी
131 दिन से दिल्ली में चल रहे अनिश्चितकालीन किसान आंदोलन के समर्थन में देशभर में निकाली जा रही मिट्टी सत्याग्रह यात्रा रंग ला रही है। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा दांडी (गुजरात) से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची थी। सत्याग्रही 23 राज्यों के 1500 गांव की मिट्टी लेकर दिल्ली पहुंच चुके हैं।
उड़ीसा के नवरंगपुर जिले के ग्राम पापडाहांडी की मिट्टी, जहां 1942 में अंग्रेजों ने 19 सत्याग्रहियों की हत्या की थी, शहीद भगत सिंह के गांव खटखट कलां, शहीद सुखदेव के गांव नौघरा जिला लुधियाना, उधमसिंह के गांव सुनाम जिला संगरूर, शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाभरा, झाबुआ, मामा बालेश्वर दयाल की समाधि बामनिया, साबरमती आश्रम, सरदार पटेल के निवास, बारदोली किसान आंदोलन स्थल, असम में शिवसागर, पश्चिम बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम, उत्तर दीनाजपुर, कर्नाटक के वसव कल्याण एवम बेलारी, गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव,उत्तर प्रदेश के 75 गांव ,बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव।
संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवम ओडिसा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी , छत्तीसगढ़ के बस्तर के भूमकाल आंदोलन के नेता शहीद गुंडाधुर ग्राम नेतानार, दल्ली राजहरा के शहीद शंकर गुहा नियोगी सहित 12 शहीदों के स्मारक स्थल और धमतरी जिला के नहर सत्याग्रह की धरती कंडेल से मिट्टी, मुलताई जहां 24 किसानों की गोलीचालन में शहादत हुई, मंदसौर में 6 किसानों की शहादत स्थल की मिट्टी , ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहादत स्थल, छतरपुर के चरणपादुका, जहां असहयोग आंदोलन के समय 21 आंदोलनकारी शहीद हुए, उन शहीदों की भूमि की मिट्टी सहित मध्यप्रदेश के 25 जिलों के 50 ग्रामों की मिट्टी लेकर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची।
दिल्ली के नागरिक 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचेंगे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बॉर्डरों पर पहुंचीं और हर बॉर्डर पर शहीद किसान स्मारक बनाए गए।