द लीडर। सर्दी के मौसम में कड़कड़ाती ठंड अपने इस चरम पर है, उत्तर भारत इस वक्त जबरदस्त शीतलहर की चपेट में है। दिल्ली से लेकर कश्मीर तक शीतलहर का प्रकोप बना हुआ है. लेकिन गरीबों के ना तो सर पर छत है और ना ही इनके पास गर्म कपड़े हैं। सहारा है तो बस एक जलती हुई आग, जिसके सहारे लोग बैठकर अपनी रात गुजार रहे हैं। अफसर और नेता इन गरीब लोगों के लिए लाख दावे तो करते हैं लेकिन यह दावे धरातल पर कहीं दिखते नहीं है।
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खुद-ब-खुद बयां हो रही गरीबी, बेबसी और लाचारी
बता दें कि, पहाड़ों पर हुई बर्फबारी का असर अब मैदानी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है उत्तराखंड से सटा हुआ उत्तर प्रदेश का पहला जिला बिजनौर जिसमें सर्दी का सितम देखने को मिल रहा है। यहां पर लोग ठंड से बेहाल हैं हाड़ कंपा देने वाली ठंड में लोगों का बुरा हाल है। बिजनौर के रेलवे स्टेशन के करीब का वो नज़ारा जहां आधी रात को खुले आसमान में कई परिवार मासूम बच्चों के साथ खुले में सोने पर मजबूर है। इनका कपकपाता बदन और लड़खड़ाती आवाज़ खुद ब खुद गरीबी,बेबसी और लाचारी बयां कर रही है।
शासन प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए दिन भर भीख मांग कर अपना और बच्चों का पेट पालने के बाद इनके पास इतनी जमा पूंजी नहीं होती कि, ये अपने परिवार को महंगाई के इस दौर में गर्म कपड़े दिला पाए। फूटपाथ पर डेरा डाले ये वो गरीब परिवार है जो ठण्ड के मारे अपने मासूम बच्चों को गोद में लिए सिकुड़े लेटे है। इनका कसूर बस इतना है कि, ये गरीब है। वहीं इन गरीबों की माने तो, सरकार का एक भी नुमाईंदा इनकी बदहाल हालात से अभी तक रुबरु नहीं हुआ। बहरहाल, भले ही सरकार इन गरीबो के लिए सर्दी से बचाव के लिए लाखो रूपये जरूर दे रही हो , लेकिन धरातल पर इन गरीब परिवारों के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है ये तस्वीरे साफ बयां कर रही हैं।
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