तेजस्वी यादव
बिहार चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने वाले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अभी भी इसी लाइन पर डटे हैं. वे राज्य में बेरोजगारी, भर्ती चयन प्रक्रिया में धांधली, शिक्षा-स्वास्थ्य के मुद्दों पर मुखर हैं. और चुनावी वादों की गठरी पर पैर रखकर मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. ताजा मुद्दा कर्मचारी चयन परिषद से जुड़े रहे एक ओएसडी का है. जिन पर बलात्कार के गंभीर आरोप लगे हैं. इस पर तेजस्वी ने एक लेख लिखा है, जिसे यहां पढ़ सकते हैं.
आखिर क्यों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक DSP जिस पर नाबालिग दलित लड़की के बलात्कार के साथ-साथ केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) में भी भारी धांधली करने के आरोप हैं, को बचा रहे हैं? यह DSP केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष का OSD रहा है. DSP और चयन परिषद के अध्यक्ष का क्या संबंध रहा है, ये पूरा प्रशासनिक और पुलिस महकमा जानता है. केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के विवादित अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का क्या, कैसा, कब से और कौन सा संबंध है? यह तथ्य भी जगजाहिर है.
DSP पर एक दलित नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार करने का आरोप है और भर्ती परीक्षा में धांधली का भी. यह आरोप स्वयं DSP की पत्नी ने सबूत के साथ मीडिया के सामने अपने पति पर लगाये हैं. फिर आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि डीएसपी की गिरफ्तारी तो दूर, निष्पक्ष जांच भी अडंगा लगाया जा रहा है. यहां तक कि जानबूझकर FIR दर्ज करने में देरी की गयी.
इस अधिकारी के विरुद्ध जांच और गिरफ्तारी को, प्रत्यक्ष रूप से बिहार के पूर्व DGP और वर्तमान केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष बचा रहे हैं. अब जब मीडिया की वजह से चर्चित हो चुका है. तब मजबूरन पुलिस विभाग इस भ्रष्ट और व्याभिचारी अधिकारी पर दिखावटी कार्यवाही कर रहा है.
बिहार का हर अभिभावक और अभ्यर्थी जानता है कि नीतीश कुमार और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष के संरक्षण, निर्देश और शह पर केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष ने, इसी OSD के साथ मिलकर व्यापक पैमाने पर भर्ती में धांधली और घोटाले को अंजाम दिया है. 2017 की ड्राइवर (सिपाही भर्ती) में क्या-क्या गुल खिलाए गए थे. ये बात कौन नहीं जानता?
मुख्यमंत्री और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा सौंपी गयी सूचियों के आधार पर, सिपाही भर्ती में अनियमित तरीक़े से, अधिकांश नियुक्तियां एक जिला और जाति के आधार पर हुईं. दूसरी नियुक्तियों में रिश्वत का चलन होता है. जिसका हिस्सा ऊपर तक जाता है.
इसी गठजोड़ के तहत पूर्व विवादित डीजीपी को सेवानिवृत्त होने के बाद भी नीतीश कुमार ने महत्वपूर्ण पद देकर व्यवस्था में जमाए रखा है. ताकि वो उनकी एक ज़िला-एक जाति की ज़रूरतें पूरी कर, भ्रष्टाचार और अनैतिक राजनीति को मजबूती देते रहें.
कुछ ऐसे हैरान करने वाले ऑडियो सामने आए हैं, जो सत्त में बैठे लोगों को बेनकाब करते हैं. चयन परिषद के महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति एवं सत्ता के इस अनैतिक और भ्रष्ट गठजोड़ ने बिहार के लाखों युवाओं की ज़िंदगी चौपट कर दी है. जाति, जिला, अन्याय और पैसे के आधार पर अयोग्य युवकों का पुलिस विभाग में चयन किया जा रहा है. जिससे योग्य, सक्षम और प्रतिभाशाली युवा और बेरोजगार नौकरी पाने से वंचित रह जाते हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चयन प्रक्रिया की बागडोर अगर ऐसे ही लोगों के हाथ में देकर जाति और पैसे के आधार पर अक्षम लोगों की नियुक्ति जारी रखेंगे तो यकीन जानिए, पहले से ही बदहाल बिहार पुलिस की कार्यक्षमता और ज्यादा प्रभावित होगी.
हमारी मांग है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ऐसे लोगों को तुरंत हटाया जाए. क्या जिले और जाति के लोगों के अलावा चढ़ावे का हिस्सा भी मजबूरी है, जो नीतीश कुमार उन्हें पद पर बनाए हुए है? हरेक भर्ती और चयन प्रक्रिया का कमोबेश यही हाल है. मुख्यमंत्री को ऐसा क्या लालच और फ़ायदा है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वह ऐसे लोगों को बड़े पद देकर उपकृत कर रहे है? मुख्यमंत्री जवाब दें?
(आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बिहार के नेता प्रतिपक्ष हैं. ये लेख उनके सोशल प्लेटफॉर्म से यहां साभार, अक्षरश प्रकाशित है. इसमें कोई तथ्यात्मक बदलाव नहीं किया है. ये लेखक के निजी विचार हैं, जिन्हें यहां स्थान दिया है.)